बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए… 50% विकसित जमीन देंगे, पर मुआवजा नहीं मिलेगा
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प्रदेश में उद्योगों और हाईवे-एयरपोर्ट के अलावा बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर सरकार मंगलवार को दो पॉलिसी लेकर आई। पहला विधानसभा में। यहां मुआवजे से बचने के लिए सरकार ने टीएंडसीपी एक्ट 1973 में जोड़ी गई नई धारा 66 (क) का बिल पेश किया। इसके तहत सरकारी विभाग किसी भी क्षेत्र को विशेष क्षेत्र घोषित कर जमीन अधिग्रहण कर सकेंगे।
यानी लैंड पुलिंग स्कीम लागू हो जाएगी। बदले में भूमि स्वामी को आधी जमीन विकसित करके देंगे। दूसरी ओर शाम को इंदौर-पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर के लिए सरकार नया फार्मूला लाई। इसके तहत भूमिधारकों को दोगुना मुआवजा या 60% विकसित प्लॉट में से एक विकल्प मिलेगा।
विधानसभा में पेश बिल पास हुआ तो यह सभी विभागों पर लागू होगा। अलग से कोई नियम नहीं बना सकेगा। बताया जा रहा है कि इसका सबसे पहले इस्तेमाल उज्जैन-इंदौर के आसपास होगा। यहां उज्जैन-जावरा फोरलेन बनना है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं। इंदौर में पश्चिमी बायपास के लिए भी भूमिधारक जमीन नहीं दे रहे। उज्जैन-इंदौर सिक्स लेन इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और उज्जैन एयरपोर्ट भी बनना है।
वो सबकुछ जो आपके लिए जानना जरूरी है
विशेष क्षेत्र घोषित कर डेवलपमेंट, पहला प्रयोग उज्जैन-इंदौर के आसपास
विधेयक के पीछे तर्क ? सरकार के 5 तर्क हैं। एक- 40 हेक्टेयर से कम के प्रोजेक्ट या 500 करोड़ से कम का निवेश हुआ तो लैंड पुलिंग लागू नहीं होगा। दो- सिर्फ इंटीग्रेटेड टाउनशिप में इस्तेमाल। तीन- 50% डेवलप जमीन वापस कर दी जाएगी। चार- जो जमीन लौटाएंगे, उसकी कीमत कई गुना बढ़ जाएगी। पांच-कोर्ट-कचहरी के चक्कर बचेंगे।
किसानों को क्या मिलेगा? सड़क, नाली आदि या डवलपमेंट पर 30% तक जगह चली जाती है। बची हुई 70% जमीन में 50% विकसित जमीन किसानों को वापस मिलेगी। शेष 20% का उपयोग सरकार करेगी। इसमें व्यावसायिक गतिविधि के साथ सबकुछ हो सकता है। नगरीय विकास के एसीएस संजय शुक्ला का कहना है कि सरकार यदि वहां आईटी पार्क या अन्य कमर्शियल एक्टिव करती है तो जमीन की कीमत कई गुना हो जाएगी। सीधा लाभजमीन धारकों को मिलेगा। यह मुआवजे से भी ज्यादा हो सकता है।
अभी मप्र में कितना मिलता है, बाकी राज्यों की स्थिति ? मप्र सरकार ने 2013 में भू-अर्जन अधिनियम लागू किया। कलेक्टर गाइडलाइन से दो गुना मुआवजा मिलता है। यूपी में जमीन अधिग्रहण पर 4 गुना तो राजस्थान में 3 गुना मुआवजा मिलता है। मप्र व हिमाचल प्रदेश में दोगुना मुआवजे का प्रावधान है। गुजरात व महाराष्ट्र ने लैंड पुलिंग स्कीम चला रखी है। मप्र ने गुजरात मॉडल अपनाया।
किन प्रोजेक्ट्स पर असर?
स्कीम का सबसे पहले इस्तेमाल उज्जैन और इंदौर के आसपास होने वाला है। विधायक व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा का कहना है कि मौजूदा रूट ही बदल दें तो ज्यादा फायदा होगा। राजस्थान सीमा से भोपाल आने में 115 किमी कम दूरी होगी। बस सीतामऊ के पहले रूट डायवर्ट करना पड़ेगा।
भाजपा विधायक बोले– सिंहस्थ सिटी के नाम पर कॉलोनाइजर्स को फायदा पहुंचा रहे
उज्जैन में सिंहस्थ मेला क्षेत्र की जमीन पर कंक्रीट निर्माण को लेकर भाजपा विधायक डॉ. चिंतामणि मालवीय ने मंगलवार को विधानसभा में अपनी ही सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि स्पिरिचुअल सिटी के नाम पर कॉलोनाइजर्स को फायदा पहुंचाने की साजिश हो रही है। मालवीय ने कहा- ‘उज्जैन का किसान डरा हुआ है।
किसानों की जमीन पहले अस्थायी रूप से ली जाती थी, लेकिन अब स्थायी अधिग्रहण के नोटिस भेजे जा रहे हैं।’ कांग्रेस विधायक महेश परमार ने भी समर्थन किया। उन्होंने उज्जैन क्षेत्र से भाजपा विधायकों अनिल जैन और सतीश मालवीय से भी सीएम डॉ. मोहन यादव से बात करें।
उद्योगों के लिए… दोगुना मुआवजा या 60% विकसित प्लॉट- दोनों विकल्प
इंदौर-पीथमपुर कॉरिडोर के लिए ये फॉर्मूला
इंदौर-पीथमपुर इकॉनोमिक कॉरिडोर के लिए सरकार जमीन अधिग्रहण का नया फार्मूला लेकर आई है। इसमें भूमि स्वामियों या किसानों को 2 विकल्प दिए गए हैं। पहला-अधिग्रहित जमीन को विकसित करने के बाद जो 60 से 70% सेलेबल (विक्रय करने योग्य) जमीन बचेगी, उसका 60% प्लॉट या जमीन भूमिधारक को लौटा दी जाएगी। शेष जमीन का उपयोग सरकार करेगी।
दूसरा भूमि अधिग्रहण के 2013 के नियम के तहत कलेक्टर गाइडलाइन का दोगुना मुआवजा देकर जमीन अधिग्रहित की जा सकेगी। शर्त सिर्फ यह होगी कि अधिग्रहण आपसी समझौते से होगा। सरकार जबरन अधिग्रहण नहीं करेगी। कैबिनेट में फार्मूले को मंजूरी दे दी गई।
इन दो विकल्पों का उपयोग कर सरकार कॉरिडोर को 75 मीटर चौड़ा बनाएगी। यह प्रदेश की सबसे चौड़ी सड़क होगी, जो 19.60 किमी लंबी होगी। इस सड़क के जरिए पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र और आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग को इंदौर एयरपोर्ट से सीधे कनेक्टिविटी मिल जाएगी। इस प्रोजेक्ट में इंदौर के 9, पीथमपुर के 8 गांवों की कुल 1290.74 हेक्टेयर भूमि आ रही है। इसमें 1 हजार हेक्टेयर भूमि निजी स्वामित्व की है।
भोपाल में बनेगा नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल
- आयुष्मान भारत योजना के तहत भोपाल के झागरिया खुर्द गांव में नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की नई शाखा स्थापित होगी। कैबिनेट बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इसके लिए 4 हेक्टेयर भूमि निशुल्क आवंटित की।
- क्या करेगा यह सेंटर… देशभर में स्वास्थ्य निगरानी, बीमारियों की पहचान और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली को मजबूत करेगा।
- मुख्य उद्देश्य कोरोना जैसी उभरती बीमारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों की निगरानी करना, त्वरित एक्शन प्लान बनाना और राज्यों को तकनीकी सहयोग देना होगा।
- यह सेंटर देश के 8 अन्य एनसीडीसी केंद्रों को जोड़कर मुख्यालय से समन्वय करेगा।
- इसे 100 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जाएगा।
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