एनआईटी त्रिची में इंदौर की बेटी को किया मेंटली टॉर्चर: 15 दिन पहले हॉस्टल से हुई थी लापता, पिता बोले-NIT उसका सपना था – Indore News

एनआईटी त्रिची में इंदौर की बेटी को किया मेंटली टॉर्चर:  15 दिन पहले हॉस्टल से हुई थी लापता, पिता बोले-NIT उसका सपना था – Indore News

15 सितंबर से मेरी बेटी लापता है। सिर्फ रविवार को कॉलेज के बाहर जाने की अनुमति मिलती है। शनिवार को रात 10 बजे बेटी से फोन पर आखिरी बार बात हुई थी। तब कहा था कि मुझे सीआर बना दिया है। दिन में बहुत ज्यादा काम होता है पढ़ाई के लिए वक्त नहीं मिलता। फिर फोन

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उस दिन देर रात 3 बजे तक पढ़ाई की और अगले दिन सुबह 7 बजे हॉस्टल से निकल गई। उसके बाद से बेटी की कई सूचना नहीं है। हम मदद के लिए जगह जगह भटक रहे हैं। हमने पीएम और सीएम से भी मदद की गुहार लगाई है।

ये कहते हुए पिता नुतेश गुप्ता की आंखें भर आई। इंदौर के सूर्यदेव में रहने वाले नुतेश गुप्ता की बेटी ओजस्वी गुप्ता (21) पिछले 15 दिन से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ( एनआइटी त्रिची) से लापता है। तमिलनाडु पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पिता नुतेश बताते हैं कि 15 दिन पहले बेटी से आखिरी बार रात को फोन पर बात हुई थी। तब बातचीत से नहीं लगा था कि वह परेशान है। देर रात तक उसने हॉस्टल की अन्य लड़कियों के साथ पढ़ाई की। और अगले दिन सुबह हॉस्टल से निकल गई।

बेटी एनआईटी के गेट से अकेली जाते हुए सीसीटीवी फुटेज में नजर आ रही है। ये ही उसकी आखिरी तस्वीर है। हॉस्टल रूम में 4 पन्नों का एक लेटर छोड़ कर गई है। लेकिन उसने ये लेटर क्यों लिखा इसकी वजह अब तक साफ नहीं हुई है। लेटर में उसने पुरुष प्रधान समाज का जिक्र किया है। क्लास में उसे सीआर बना दिया था।

उसका सपना एनआइटी में जाना था। सपना पूरा हुआ लेकिन वहां क्या हुआ। ये समझ नहीं आ रहा है। कोई हमें नहीं बता रहा है कि बेटी के साथ वहां क्या हुआ। मैं हमेशा उसको बोलता था कि बेटा जरा सी भी प्रॉब्लम हो हमें जरूर बताना। कोई बात मत छुपाना। कोई भी परेशानी हो हम उसके लिए तैयार है। बेटी से ये भी कहा था कि रविवार या कभी बाहर जाने, घूमने का प्लान बने तो हमें बताकर जाना। मेरी बात बेटी तक पहुंचे या उसके कानों तक जाए तो मुझे पूरा विश्वास है कि वो पक्का फोन करेगी या बिना बोले घर आ जाएगी।

दैनिक भास्कर से ओजस्वी के पिता नुतेश गुप्ता ने बात की। जानिए उनका क्या कहना है और 4 पन्नों के लेटर में क्या लिखा है…

पिता नुतेश गुप्ता, मां भाई और भाभी के साथ ओजस्वी गुप्ता।

पिता नुतेश बोले- इतनी बड़ी हो गई लेकिन कभी बिना पूछे घर से नहीं गई

सुबह-शाम रोज बेटी से बात होती थी। उसने कभी कोई परेशानी नहीं बताई। शनिवार 14 सितंबर को रात को 10 बजे उससे आखिरी बार बात हुई थी। हाल-चाल पूछने पर उसने कहा था कि अच्छी हूं। खाना खा लिया है। रात में पढ़ाई करना है। मुझे क्लास में सीआर बना रखा है। दिन में काम रहते है, पढ़ाई नहीं हो पाती है। इसलिए रात को पढ़ाई करूंगी।

अगले दिन रविवार था। मैंने सोचा रात को देर तक बेटी ने पढ़ाई की होगी, इसलिए उसे सुबह थोड़ा लेट फोन किया मगर उसका कोई जवाब नहीं आया। रात को एनआईटी से फोन आया कि आपकी बेटी मिसिंग है। आपको कुछ पता है क्या? तब हमने कहा कि हमारी तो सुबह से बात ही नहीं हुई।

फिर कॉलेज वालों ने पूछा कि थाने में मिसिंग की रिपोर्ट डाल दें। इसके बाद उन्होंने थाने में रिपोर्ट डाल दी। अगले दिन बेटी की मां और भाई इंदौर से त्रिची पहुंचे। तब से वो कॉलेज कैंपस में ही है। लेकिन बेटी के बारे में कुछ भी पता नहीं चला है। उसका फोन भी बंद है। वहां की पुलिस भी यही कह रही है कि इंवेस्टीगेशन चल रहा है, लेकिन कोई क्लू नहीं मिल रहा।

बेटी अपने साथ कोई सामान लेकर नहीं गई। हॉस्टल रूम में ही सारा सामान छोड़ गई। एटीएम, आधार कार्ड, कुछ रुपए सब छोड़ दिए। एक छोटा पर्स साथ ले गई जिसमें मोबाइल था। 15 सितंबर की सुबह 7 बजे से मोबाइल बंद है।

रात 3 बजे तक की थी पढ़ाई

हॉस्टल रूम में साथ रहने वाली लड़कियों ने बताया कि रात को 3 बजे तक हमारे साथ पढ़ती रही। उसके बाद सो गई। सुबह साढ़े 6 बजे जब हम उठे तो वो बेड पर नहीं थी। सोचा कि आसपास गई होगी। टेनिस खेलने गई होगी। सुबह 8 बजे तक वापस नहीं आई तो फ्रेंड्स को लगा कि शायद घूमने गई होगी। उसके रूम में रखे बैग में 4 पन्ने का लेटर मिला है।

उसमें लिखा है कि मैं जब से सीआर बनी तब से टॉर्चर किया जा रहा है। मैं मेंटली डिस्टर्ब हूं। मगर बेटी ने कभी कोई प्रॉब्लम नहीं बताई। पिछले महीने 10 अगस्त को मैं उसे एनआईटी छोड़कर आया था। 30 अगस्त के आसपास वो सीआर बनी। जब सीआर बन गई तब हमें बताया था। उसके पहले सीआर बनने को लेकर कोई बात नहीं की।

हमारे बिना आज तक बेटी नहीं रही। एक दिन ऐसा नहीं गया कि उसने बात नहीं की हो। रोज बताना की कैसी है। छोटी सी बात तक हमसे नहीं छुपाती। 12वीं पास की। कॉलेज से बीसीए किया लेकिन कभी भी बिना पूछे घर से नहीं गई। पार्क, जू तो हमने कभी उसे जाने ही नहीं दिया। आजकल समय खराब है। घर से बस अन्नपूर्णा मंदिर तक ही वो फ्रेंड्स के साथ गई होगी।

पढ़ने में शुरू से ही अच्छी रही है। नर्सरी से 12वीं तक 90 से अधिक ही परसेंट रहे। बीसीए में उसने कॉलेज टॉप किया था। एनआईटी के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा में आल इंडिया 78वीं रैंक बनी थी। मुख्यमंत्रीजी से शनिवार को मिले थे। उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में है। मैं दिखवाता हूं। इंदौर के द्वारकापुरी थाने में मिसिंग की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई है।

लापता छात्रा ओजस्वी ने लेटर में ये लिखा

लोगों के लिए इतना मत करो कि खुद को ही खो दो। क्योंकि ये वही लोग होते है जो आप पर उंगली उठातें हैं।

तुम जितनी सुंदर होती हो उतनी ही डेंजर जोन में रहती हो। लेकिन इसका दूसरा पहलु ये है कि अगर तुम सुंदर नहीं हो तो तुम्हारी सुनने वाला भी कोई न होगा। ना कॉलेज में, ना आगे कॉर्पोरेट वर्ल्ड में। अगलीनेस के साथ लीड करना बहुत मुश्किल है। खासकर पुरुषों को लीड करना।

सीआर बनने पर मैं खुश थी। लेकिन बदकिस्मती से मेरी जिंदगी में मेंटली टॉर्चर की शुरुआत एनआईटी में हुई। एनआईटी मेरा ड्रीम कॉलेज था। इसके लिए मैंने बहुत मेहनत की थी।

मेरा मेंटल प्रेशर था नहीं टोलरेट कर पाई। मेरे फॉल्ट के लिए किसी और को ब्लेम मत करना। तुम सब अच्छे से पढ़ाई करना। अच्छा पैकेज लेकर जाना और जिसको सीआर बनना है बना दो यार… Love you NIT…BYE BYE

भाभी श्वेता ने कहा : पहली बार हुआ है जब उसने कुछ नहीं बताया हो, हमेशा बताती थी

जब वो यहां से एनआईटी गई थी तब शुरुआत के 15 दिन बहुत अच्छे थे। सब बढ़िया चल रहा था। जब वो सीआर बनी तो बताया कि मेरे ऊपर बर्डन बहुत आ गया है। पढ़ाई नहीं हो रही है तो फोन पर कम बात कर पाऊंगी। लेकिन कभी उसने नहीं बताया कि कोई उसे परेशान कर रहा है।

पुरुष आपको करने नहीं देंगे। सुंदर हो तो अलग तरह से परेशान करेंगे। इन्हीं सब चीजों में वो परेशान हुई है। वो हमें बता देती तो अच्छा होता। घर में सबसे छोटी है। 5 कजिन भाइयों में इकलौती बहन है। उसे बहुत ही लाड-प्यार से रखा गया। हमेशा उसे कहा गया कि कोई भी प्रॉब्लम हो हमें बताना। वो बताती भी थी। ये पहली बार हुआ कि जब वो टेंशन में थी और हमें नहीं बताया।

उसके जाने के बाद पुलिस की पूछताछ में रूम मेट्स ने बताया कि वो पिछले करीब 10 दिनों से इंट्रोवर्ड हो गई थी। बहुत कम बात करती थी। बिना वजह अकेली में रोती थी। पूछने पर कुछ नहीं बताती थी।

चार पन्नों के सुसाइड नोट में लिखी टॉर्चर की बात

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