भोपाल के कैलाशनाथ काटजू अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान एनेस्थेसिया ओवरडोज से महिला की मौत के मामले में अस्पताल अधीक्षक, गाइनोकोलॉजिस्ट, और अन्य स्टाफ पर चिकित्सकीय लापरवाही का केस दर्ज हुआ है। न्यायालय ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत मानते हुए मौत के वास्तविक कारण दबाने की बात कही।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Tue, 07 Jan 2025 04:42:10 PM (IST)
Updated Date: Tue, 07 Jan 2025 10:56:53 PM (IST)
HighLights
- ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया ओवरडोज से महिला की मौत।
- अस्पताल अधीक्षक समेत पांच पर न्यायालय के आदेश से केस।
- चिकित्सकीय लापरवाही मानते हुए कोर्ट का कार्रवाई का आदेश।
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। आठ महीने पहले नसबंदी कराने आई महिला की मौत मामले में टीटी नगर स्थित कैलाशनाथ काटजू अस्पताल के अधीक्षक सहित पांच लोगों पर केस दर्ज हुआ है। यह एफआईआर भोपाल के स्थानीय न्यायालय के आदेश पर हुआ है।
एफआईआर में अस्पताल के अधीक्षक कर्नल डा. प्रवीण सिंह, तत्कालीन गाइनोकोलाजिस्ट डा. सुनंदा जैन, उनके पैरा मेडिकल स्टाफ, निश्चेतना विशेषज्ञ, लैब टेक्निशियन और मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट की डा. केलू ग्रेवाल को आरोपी बनाया गया है।
चिकित्सकीय लापरवाही
आरोप है कि एनेस्थिसिया के ओवरडोज से महिला की मौत हुई। न्यायालय ने इसे चिकित्सकीय लापरवाही माना है। टीटी नगर थाने एएसआइ प्रीतम सिंह ने बताया कि विद्यानगर निवासी अविनाश गौर ने न्यायालय में परिवाद दायर किया था।
नसबंदी ऑपरेशन में मौत
इसमें उन्होंने बताया कि 14 मई 2024 को सुबह वह अपनी पत्नी रीना गौर को नसबंदी ऑपरेशन के लिए कैलाश नाथ काटजू अस्पताल ले गए थे। डॉक्टरों ने आपरेशन से पहले मेडिकल जांच में सब सामान्य बताया था। ऑपरेशन शुरू हुआ तो वे घर चले गए थे।
दोपहर को उन्हें अस्पताल से फोन आया और तुरंत अस्पताल पहुंचने के लिए कहा गया। ऑपरेशन थिएटर के अंदर पहुंचे तो देखा कि पत्नी का पेट फूला हुआ है और दांत के बीच में जीभ फंसी हुई थी।
पोस्टमार्टम कराने के लिए काफी हंगामा
स्टाफ ने बताया कि रीना की मौत हो गई है। पत्नी की मौत के बाद अविनाश गौर ने पोस्टमार्टम कराने को कहा तो डॉक्टरों ने मना कर दिया। शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए काफी हंगामा हुआ। उसके बाद टीटी नगर पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम कराया।
हमीदिया अस्पताल में पोस्टमार्टम
हमीदिया अस्पताल में डा. केलू ग्रेवाल ने शव परीक्षण किया। इसकी रिपोर्ट में डॉक्टर ने स्पष्ट मत नहीं दिया। न्यायालय ने अविनाश के दावे को सही माना। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत मानते हुए न्यायालय ने कहा कि मौत के वास्तविक कारणों को नियोजित तरीके से दबाया गया है।
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