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एमपी के किसान बनेंगे कॉलोनाइजर, टाउनशिप डेवलप कर सकेंगे: एग्रीमेंट और रेरा की इजाजत की जरूरत नहीं, कैबिनेट बैठक में आएगी पॉलिसी – Madhya Pradesh News

मध्यप्रदेश के किसान अब कॉलोनाइजर बन सकेंगे। इसके लिए किसानों के समूह को अपनी जमीनों का पूल तैयार करना होगा। वे बिना एग्रीमेंट के टाउनशिप डेवलप कर सकते हैं। किसानों के साथ प्राइवेट डेवलपर भी टाउनशिप डेवलप कर सकते हैं लेकिन उन्हें एग्रीमेंट करना पड़ेगा

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मोहन सरकार मध्यप्रदेश में इंटिग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी लागू करने जा रही है। इसका मकसद लोगों को बेहतर आवासीय सुविधाएं देना और नियोजित यानी प्लांड तरीके से शहरों और उनकी सीमा से सटे ग्रामीण इलाकों का विकास करना है। इसके लिए सरकार डेवलपर को कई तरह की रियायतें और सहूलियत देगी।

इंटीग्रेटेड टाउनशिप एक नियोजित आवासीय प्रोजेक्ट होता है, जिसमें आवास के साथ स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, शॉपिंग सेंटर, फूड कोर्ट, मल्टीप्लेक्स, सुपर मार्केट, मनोरंजन और खेल सुविधाएं होती हैं।

निम्न आय वर्ग और मध्यम वर्ग को मकान देना मकसद सरकार का मकसद निम्न आय वर्ग और मध्यम वर्ग को मकान देना है। इसके लिए स्टाम्प ड्यूटी में ईडब्ल्यूएस मकानों के लिए 100% और एलआईजी-अफोर्डेबल मकानों के लिए 50% की छूट दी जाएगी। इतना ही नहीं, प्रोजेक्ट के लिए न तो रेरा और न ही अन्य एजेंसियों से अनुमतियां लेने की आवश्यकता होगी।

नगरीय विकास एवं आवास के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली समिति टाउनशिप के लिए जरूरी अनुमतियां देने का काम करेगी। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग 8 फरवरी को इस पॉलिसी के ड्रॉफ्ट का प्रेजेंटेशन मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने कर चुका है। मुख्य सचिव ने मामूली बदलाव के साथ पॉलिसी को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी मिलने की संभावना है। क्या है प्रस्तावित पॉलिसी और इसमें किसान कैसे डेवलपर बन सकते हैं, आम लोगों को किस तरह फायदा मिलेगा…पढ़िए, संडे स्टोरी

मध्यप्रदेश सरकार ने पॉलिसी को तीन कैटेगरी में बांटा है

  • जमीन अधिग्रहण में सुविधा
  • प्रोजेक्ट में कई तरह की छूट
  • टाउनशिप की तत्काल मंजूरी

अब तीनों कैटेगरी के बारे में सिलसिलेवार जानिए…

पहली कैटेगरी: जमीन अधिग्रहण सुविधा

  • सरकार करेगी मदद: डेवलपर अपने स्तर पर प्रस्तावित टाउनशिप की सीमा के भीतर 80% जमीन हासिल कर लेता है और बाकी जमीन उसे नहीं मिलती है, तो वह संबंधित प्राधिकरण से जमीन के अधिग्रहण के लिए आवेदन कर सकता है। प्राधिकरण डेवलपर और जमीन के मालिक के बीच नेगोशिएशन करेंगे। जमीन का मुआवजा डेवलपर देगा।
  • सरकारी भूमि का कंट्रीब्यूशन: यदि कोई सरकारी जमीन प्रस्तावित टाउनशिप के क्षेत्र में आती है तो डेवलपर को सरकारी जमीन का 20% या 8 हेक्टेयर, जो भी कम हो दिया जा सकता है। सरकार जो जमीन देगी, उसके बदले डेवलपर को मूल जमीन का 50% विकसित प्लॉट के रूप में सरकार को लौटाना होगा। 12 मीटर अप्रोच रोड होना चाहिए।

दूसरी कैटेगरी: प्रोजेक्ट में छूट का प्रावधान

इसके पांच प्रमुख पॉइंट्स हैं…

  • कॉलोनी नियमों में रिलैक्सेशन: इसके लिए सरकार मध्यप्रदेश ग्राम पंचायत कॉलोनी विकास नियम 2014 और मध्यप्रदेश नगर पालिका कॉलोनी विकास नियम 2021 में बदलाव करेगी।
  • स्टाम्प ड्यूटी में छूट: ईडब्ल्यूएस आवास के लिए 100% और एलआईजी-अफोर्डेबल हाउस के लिए 50% स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी जाएगी।
  • एफएआर में छूट: फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) का मतलब होता है कि जमीन पर कितने क्षेत्र में निर्माण किया गया है। डेवलपर यदि ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और किफायती आवास का अतिरिक्त निर्माण करता है तो उसे ज्यादा एफएआर पर निर्माण की सुविधा दी जाएगी।
  • ग्रीन बेल्ट का विकास: टाउनशिप में 0.4 हेक्टेयर में ग्रीन बेल्ट बनाना जरूरी है। ज्यादा ग्रीन बेल्ट विकसित करने पर प्रोत्साहन के रूप में अतिरिक्त ग्रीन एफएआर दिया जाएगा। सौर, पवन ऊर्जा जैसे गैर पारंपरिक ऊर्जा के संसाधनों का उपयोग करने पर भी एक्स्ट्रा एफएआर मिलेगा।
  • खेती की जमीन खरीदने की लिमिट नहीं: ऐसे प्रोजेक्ट के लिए डेवलपर जितनी चाहे, खेती की उतनी जमीन खरीद सकता है। इस जमीन का टाउनशिप बनाने के हिसाब से लैंडयूज बदला जाएगा।

तीसरी कैटेगरी: टाउनशिप की तत्काल मंजूरी

अनुमतियों के लिए राज्य स्तरीय समिति बनेगी अब तक डेवलपर को सरकार के कई विभागों से अनुमतियां लेना पड़ती हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए पॉलिसी में एक राज्यस्तरीय समिति बनाने की सिफारिश की गई है। नगरीय आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता वाली समिति में सभी महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे।

समिति चाहेगी तो अन्य विभागों के 5 सदस्यों को इसमें शामिल कर सकती है। समिति विभिन्न प्रकार की अनुमतियों को देने के लिए सिंगल विंडो की तरह काम करेगी। साथ ही नीति में संशोधन और नए नियम बनाने का अधिकार भी समिति के पास होगा।

3 पॉइंट्स में जानिए डेवलपर और उसकी जिम्मेदारी…

  1. किसान भी बन सकते हैं डेवलपर: शहरों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों के किसान और छोटी जमीनों के मालिक, जमीनों का पूल बनाकर खुद टाउनशिप डेवलप कर सकते हैं। इसमें जमीन खरीदने या बेचने का बंधन भी नहीं होगा। डेवलपमेंट के लिए ये लोग आपसी सहमति से एक ग्रुप या कंपनी बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें अलग से एग्रीमेंट करने की जरूरत नहीं होगी।
  2. बुनियादी ढांचे के विकास की जिम्मेदारी: डेवलपर टाउनशिप का निर्माण प्रोजेक्ट रिपोर्ट और सरकार के बनाए नियमों के तहत करेगा। टाउनशिप के भीतर बुनियादी ढांचे को डेवलप करेगा। पानी की आपूर्ति, सीवरेज, जल निकासी, बिजली और सड़क का नेटवर्क तैयार करेगा।
  3. डेवलपमेंट के बाद तय समय तक मेंटेनेंस: प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो, इसके लिए डेवलपर को टोटल प्रोजेक्ट डेवलपमेंट कॉस्ट की 10% राशि बैंक गारंटी के रूप में जमा करानी होगी। टाउनशिप बन जाने के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव की जिम्मेदारी तब तक डेवलपर की रहेगी, जब तक कि इसे संबंधित एजेंसी को सौंप नहीं दिया जाता।

​​​​​​​अब पढ़िए, डेवलपर और खरीदार को क्या फायदा होगा

डेवलपर को फायदा: जानकार कहते हैं कि कॉलोनियों के डेवलपमेंट में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को कंट्रोल करने में नई पॉलिसी कारगर साबित हो सकती है। अब तक टाउनशिप प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदने पर ही कॉलोनाइजर को करोड़ों रुपए खर्च करने होते थे। जमीन की रजिस्ट्री के बाद ही प्रोजेक्ट से संबंधित रेरा रजिस्ट्रेशन, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगरीय निकाय से जरूरी अनुमतियां मिल पाती थीं।

खरीदार को फायदा: एक कॉलोनी डेवलप करने में सड़क, बिजली, सीवर, वाटर सप्लाई जैसी सुविधाओं के विकास पर भी भारी भरकम खर्च होता है। इससे जमीन या मकान की कीमत बढ़ जाती है। नई पॉलिसी में जमीन मालिक और डेवलपर की पार्टनरशिप कॉलोनी डेवलपमेंट की कॉस्ट को घटा देगी। जिससे मकान की लागत भी कम होगी और आम लोगों को कम कीमत पर मकान मिल सकेगा।

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