मप्र के लोगों को संपत्ति कर के साथ सर चार्ज के रूप में अब फायर सेफ्टी टैक्स भी देना पड़ सकता है। दरअसल, सरकार जल्द ही प्रदेश में फायर सेफ्टी एक्ट लागू करने वाली है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इस एक्ट का जो मसौदा तैयार किया गया है उसमें फायर सेफ्टी
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साथ ही इसमें फायर पुलिस के गठन का भी प्रस्ताव है। यदि कहीं आग लगती है तो ये फायर पुलिस उसी तरह काम करेगी जैसे रेगुलर पुलिस करती है। फायर सेफ्टी एक्ट के ड्राफ्ट में नॉर्म्स का पालन न करने पर सजा और जुर्माने के प्रावधान के साथ फायर सेफ्टी डायरेक्टर की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। डायरेक्टर फायर सेफ्टी नॉर्म्स पूरा होने पर एनओसी जारी कर सकेगा।
मध्यप्रदेश में पिछले पांच साल से फायर सेफ्टी एक्ट लागू करने की कवायद चल रही है। अब जाकर इसका मसौदा तैयार हुआ है। विधि विभाग ने इसे स्वीकृति दे दी है। अब राज्य शासन की वरिष्ठ सचिवों की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में इसे मंजूरी दे दी जाएगी। 16 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीत कालीन सत्र में फायर सेफ्टी एक्ट का ड्राफ्ट पेश किया जाएगा।
जानिए फायर सेफ्टी एक्ट में और कौन से प्रावधान किए गए हैं। इसे लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
इन तीन मामलों से समझिए फायर सेफ्टी एक्ट की जरूरत क्यों..
1. हरदा पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट, 13 लोग मारे गए
इसी साल फरवरी में हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में 13 लोगों की जान चली गई थी और 200 से ज्यादा घायल हो गए थे। मध्यप्रदेश में पटाखा फैक्ट्रियों में हादसे का ये कोई पहला मामला नहीं था, बल्कि पिछले 10 साल में पटाखा फैक्ट्रियों में 14 धमाके हो चुके हैं। इनमें 180 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
एक्सपर्ट कहते हैं कि यदि मप्र में फायर सेफ्टी एक्ट लागू होता तो शायद ये हादसा नहीं होता। खास बात ये है कि हरदा हादसे के एक हफ्ते पहले 23 जनवरी को डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को एक नोट शीट भेजी थी, जिसमें लिखा था कि मप्र में फायर सेफ्टी एक्ट लागू किया जाए।
2.सतपुड़ा भवन अग्निकांड की जांच कमेटी ने की थी सिफारिश
सतपुड़ा भवन में आग लगने की जांच करने के लिए अपर मुख्य सचिव डा. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने 287 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसमें यह सुझाव दिया गया था कि प्रदेश में फायर सेफ्टी एक्ट लागू किया जाए। फायर एंड सर्विसेस के लिए अलग से विभाग बनाने की सिफारिश की गई थी।
3. जबलपुर और भोपाल के अस्पतालों में आग
जबलपुर के दमोह नाका स्थित न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में 1 अगस्त 2022 को भीषण आग लग गई थी। इसमें आठ लोगों की मौत हो गई थी। नगर निगम जबलपुर की फायर ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि अस्पताल में आग से सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं थे। अस्पताल ने जो प्रोविजनल एनओसी ली थी उसकी मियाद भी खत्म हो गई थी।
इसी तरह 8 नवंबर 2021 को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आग लगने से 8 मासूमों की मौत हो गई थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी नगर निगम को फायर सेफ्टी ऑडिट के निर्देश दिए थे। इन दोनों घटनाओं के बाद मप्र में एक बार फिर फायर सेफ्टी एक्ट लागू करने की मांग उठी थी।
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6 पॉइंट्स में जानिए नए एक्ट में क्या प्रावधान
1.फायर सेफ्टी का इंतजाम नहीं तो लग सकता है 10 हजार तक का जुर्माना
- किसी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी का इंतजाम नहीं करने या आग लगने की स्थिति में 10 हजार रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।
- इसके साथ ही अब 9 मीटर ऊंचाई वाले भवनों को भी फायर एनओसी लेना होगी।
- अब तक 15 मीटर ऊंचाई वाले भवनों के लिए ही यह जरूरी है।
- शैक्षणिक संस्थान, संस्थागत, सभा, व्यवसायिक- व्यापारिक, औद्योगिक गोदाम के लिए 500 मीटर से अधिक के क्षेत्र में फायर एनओसी अनिवार्य रहेगी।
2.सार्वजनिक आयोजन के लिए भी फायर एनओसी अनिवार्य
- किसी भी सार्वजनिक आयोजन के लिए निदेशक से फायर एनओसी लेना अनिवार्य होगा।
- इसके लिए पंडाल लगाने वाले को एक घोषणा पत्र देना होगा, जिसमें आग से बचने के इंतजाम करने की जानकारी होगी।
- यदि जांच में जानकारी गलत पाई जाती है तो उसे सील करने का अधिकार निदेशक द्वारा नियुक्त अफसर को होगा।
- इसे अधिनियम की धारा 38 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। इसके लिए 10 हजार रुपए का जुर्माना और 3 महीने का कारावास की सजा होगी।
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3.हर साल लेना होगा यूटिलिटी सर्टिफिकेट
- ड्राफ्ट के मुताबिक भवन निर्माण के दौरान फायर सेफ्टी सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा।
- भवनों में ऑटोमैटिक स्प्रिंकल सिस्टम, फायर अलार्म और फायर सेफ्टी उपकरण लगाने होंगे।
- यदि ऐसा नहीं होगा तो निदेशक यूटिलिटी सर्टिफिकेट जारी नहीं करेगा।
- यह एक साल के लिए जारी किया जाएगा। इसके बाद फिर निरीक्षक के बाद नया सर्टिफिकेट जारी होगा।
4.नए फायर स्टेशन बनेंगे, 250 कर्मचारी मर्ज होंगे
- जिन शहरों की आबादी ज्यादा है और जहां उद्योग और बड़े वाणिज्यिक–व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं, वहां फायर स्टेशन बनाए जाएंगे।
- हर स्टेशन के लिए एक फायर आफिसर की नियुक्ति होगी, जो इसका प्रभारी होगा। यह अधिकारी ही सभी जिम्मेदारियों के लिए उत्तरदायी होगा।
- अग्निशमन सेवा का नया कैडर बनेगा। प्रदेश स्तर का फायर डायरेक्टोरेट बनेगा जिसमें पुलिस फायर स्टेशन के 250 कर्मचारी भी मर्ज हो जाएंगे।
- हर निकाय में फायर सेफ्टी अधिकारी नियुक्त होंगे। निजी-सरकारी भवनों के फायर ऑडिट की व्यवस्था बनेगी।
- हर भवन में आग से सुरक्षा के उपाय देखे जाएंगे। ये मौजूद न होने पर नोटिस मिलेगा और लगातार उल्लंघन हुआ तो बिल्डिंग सील भी कर दी जाएगी।
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5.कारखानों, बहुमंजिला इमारतों में फायर सेफ्टी अफसर जरूरी
- कारखाने, बड़े प्रतिष्ठानों और बहुमंजिला इमारतों के मालिकों को एक फायर सेफ्टी अफसर की नियुक्ति करना होगी।
- जो फायर डिप्लोमा या फायर से इंजीनियरिंग की डिग्री धारक होगा।
- ये अफसर फायर स्टेशन के प्रभारी को समय–समय पर रिपोर्ट भेजेंगे। यह पद खाली नही रखा जा सकेगा।
- यदि ऐसा नहीं किया गया तो फायर स्टेशन प्रभारी को कार्यवाही करने का अधिकार होगा।
6. तीन घंटे की सूचना पर होगी जांच
- फायर स्टेशन प्रभारी 3 घंटे की सूचना पर सुबह से शाम होने तक किसी भी भवन या प्रतिष्ठान में फायर उपकरणों की जांच कर सकेगा।
- इसके लिए किसी शासन या प्रशासन से अनुमति की जरूरत नहीं होगी।
- भवन मालिक ऐसे निरीक्षण में रुकावट पैदा नहीं कर सकेंगे।
- यदि खामियां पाई गई तो वह एक्शन लेने के लिए नोटिस भी जारी करने का अधिकार भी इस अफसर को रहेगा।
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इंदौर में 70% हाईराइज में फायर सेफ्टी ऑफिसर नहीं
इंदौर शहर में 70% कॉमर्शियल, रेसिडेंशियल और टाउनशिप में फायर सेफ्टी अफसर नियुक्त नहीं हैं। एनओसी के लिए बहुमंजिला इमारतों में फायर सिक्योरिटी सिस्टम तो लगा दिया जाता है, लेकिन फायर सेफ्टी अफसर नियुक्त नहीं किए गए।
कलेक्टर के पास एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत पावर
फायर सेफ्टी की एनओसी देने को लेकर नगरीय विकास व आवास विभाग ने 6 दिसंबर 2022 को मप्र भूमि विकास नियम का हवाला देकर एक आदेश जारी किया। जिसमें कहा गया कि एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत फायर संबंधी एनओसी जारी करने का अधिकार कलेक्टर का रहेगा।
नगर निगम के क्षेत्र में निगम आयुक्त और नगर पालिका व परिषद के एरिया में संभागीय संयुक्त संचालक को यह जिम्मेदारी सौंपी गई जबकि यह अधिकार फायर सेफ्टी एक्ट के तहत दिए जाने थे।
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विधानसभा से कानून बनने के बाद बनेंगे नियम
रिटायर्ड चीफ इंजीनियर और अग्निशमन प्रभारी रहे एल एस बघेल के मुताबिक फायर सेफ्टी एक्ट को लागू करने की कवायद साल 2019 से चल रही है। केंद्र सरकार मप्र को फायर सेफ्टी एक्ट लागू करने के निर्देश दे चुका है।
बघेल के मुताबिक फायर सेफ्टी एक्ट लागू होता है तो वर्तमान में जो फायर सर्विसेस का दायरा है वह बढ़ जाएगा। विधानसभा से जब ये कानून बन जाएगा तब इसके नियम बनाए जाएंगे। बघेल के मुताबिक गुजरात में जिस तरह से फायर सेफ्टी एक्ट लागू किया गया है उसी तर्ज पर मप्र में लागू करने की तैयारी है।
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