मध्यप्रदेश का इंटरनल नक्शा बदलने वाला है यानी मध्यप्रदेश के जिले और संभागों की सीमाएं एक बार फिर नए सिरे से तय की जाएंगी। इस बार 3 नए जिले और एक नया संभाग बनाने की तैयारी है। कुछ नई तहसील और कुछ तहसीलों को दूसरे जिले में शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
.
दरअसल, प्रदेश के संभाग, जिले और तहसीलों के नए सिरे से सीमांकन के लिए इसी साल सितंबर में सरकार ने प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग बनाया है। रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव और मुकेश कुमार शुक्ला इसके सदस्य हैं।
पुनर्गठन आयोग भोपाल, सागर और ग्वालियर संभाग के जिलों के कलेक्टर्स के साथ बैठक कर चुका है। इसी महीने बाकी संभागों की भी बैठकें होंगी। इसके बाद जिला स्तर पर प्रक्रिया पूरी कर आयोग सरकार को अपनी रिपोर्ट देगा। मंडे स्टोरी में पढ़िए, कौन से नए जिले और संभाग बनाने की तैयारी है…
अब जानिए कौन से नए जिले बन सकते हैं..
नर्मदापुरम से अलग होकर पिपरिया बन सकता है नया जिला पिपरिया नर्मदापुरम जिले में आता है। जिला मुख्यालय से पिपरिया की दूरी करीब 70 किमी है और पहाड़ी इलाका होने से आने-जाने में करीब 2 घंटे का समय लगता है। पिपरिया को जिला बनाने की मांग कई साल से की जा रही है। पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान पिपरिया को जिला बनाने की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी की गई थी। पिपरिया को नया जिला बनाने का प्रस्ताव है।

सिरोंज बन सकता है नया जिला, विदिशा में शामिल होगा सांची सिरोंज तहसील विदिशा जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर है। जिससे वहां के लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए विदिशा आने में समय और संसाधनों की बरबादी होती है। सिरोंज को नया जिला बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है।
नए जिले को अस्तित्व में लाने के लिए लटेरी तहसील और सबसे बड़ी ग्राम पंचायत आनंदपुर को इसमें शामिल किया जा सकता है। हालांकि आनंदपुर को गुना जिले में शामिल करने का भी सुझाव दिया जा रहा है, क्योंकि गुना की दूरी आनंदपुर से सिरोंज के बराबर है।
इसी तरह विश्व प्रसिद्ध सांची पर्यटन स्थल भी विदिशा में शामिल हो सकता है। वर्तमान में यह रायसेन जिले का हिस्सा है और रायसेन से इसकी दूरी 23 किमी है। सांची के लोगों को रायसेन जाने में आधा घंटा लगता है। जबकि, यह विदिशा से महज 10 किमी दूर है, इसलिए इसे विदिशा में शामिल करने की संभावना है।

बीना को जिला बनाने की मांग पर आयोग की लगेगी मुहर बीना को जिला बनाने की मांग पिछले 40 वर्षों से हो रही है। अब आयोग इसे अस्तित्व में लाने के लिए अपनी मुहर लगाएगा। कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने बीना को जिला बनाने की मांग को लेकर बीजेपी जॉइन की थी, लेकिन खुरई को भी जिला बनाने के लिए भीतरखाने राजनीतिक लामबंदी होने लगी थी।
दरअसल, बीना की जिला मुख्यालय सागर के बीच की दूरी 75 किमी है। बीना नया जिला बनता है तो खुरई, बीना, मालथोन, बांदरी, कुरवाई, पठारी और प्रस्तावित खिमलासा तहसील काे इसमें शामिल किया जा सकता है।

अब जानिए तहसीलों को लेकर क्या है प्रस्ताव
चित्रकूट नई तहसील बनेगी
चित्रकूट सतना जिले में आता है। 24 नवंबर को चित्रकूट सतना की नौवीं तहसील बनेगी। राजस्व विभाग ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है। चित्रकूट तहसील को मझगंवा को तोड़कर बनाया गया है। इसमें 111 गांव होंगे जो 34 पटवारी हल्कों के अंतर्गत आएंगे।
चित्रकूट तहसील की पूर्वी सीमा उत्तर प्रदेश और मझगवां से जुड़ेगी जबकि पश्चिमी सीमा उत्तर प्रदेश और एमपी के पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील से जुड़ेगी। तहसील के दक्षिण में मझगंवा तहसील और पन्ना तहसील पड़ेगी। चित्रकूट तहसील की उत्तरी सीमा उत्तर प्रदेश से जुड़ी रहेगी।
बुधनी से नजदीक नर्मदापुरम पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बुधनी का जिला मुख्यालय सीहोर है। बुधनी-सीहोर की दूरी 106 किलोमीटर है। जाहिर है कि बुधनी के लोगों को जिला मुख्यालय तक जाने में बहुत दिक्कत होती है। बुधनी की दूरी नर्मदापुरम से सिर्फ 8 किलोमीटर है। ऐसे में संभावना है कि बुधनी को नर्मदापुरम में शामिल कर लिया जाए।

मुलताई का पांढुर्णा से नजदीकी जुड़ाव
वर्तमान में मुलताई तहसील बैतूल जिले में आती है, लेकिन भौगोलिक दृष्टि से मुलताई की पांढुर्णा से निकटता और व्यापारिक संबंध इस क्षेत्रीय बदलाव की संभावनाओं को मजबूत कर रहे हैं। बैतूल जिले से मुलताई की दूरी 59 किलोमीटर है, जबकि ये पांढुर्णा से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर है।
यह दूरी कम होने से मुलताई के लोगों को पांढुर्णा पहुंचने में आसानी होती है। पांढुर्णा का व्यापार भी मुलताई से जुड़े रहने के कारण वहां के लोगों के लिए यह निर्णय लाभकारी हो सकता है।
बड़वानी से कुक्षी की दूरी 27 किमी, लेकिन धार से 102 किमी
धार जिले की कुक्षी तहसील को बड़वानी जिले में शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। दरअसल, धार से कुक्षी की दूरी 102 किमी है, जबकि बड़वानी से महज 27 किमी है। कुक्षी के लोगों को धार जाने के लिए 2 घंटे का सफर तय करना पड़ता है।
इसके अलावा बड़वानी जिले से 50 किमी के दायरे में मनावर, डही, गंधवानी, निसरपुर, कड़माल सहित अन्य गांव भी आते हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कुक्षी को नए बनाने वाले बड़वानी जिले में जोड़ा जा रहा था लेकिन राजनीतिक कारणों के चलते यह नहीं हो सका।

बदली जा सकती हैं संभागीय सीमाएं
नर्मदापुरम संभाग में सिर्फ तीन जिले नर्मदापुरम, हरदा व बैतूल हैं। इससे नरसिंहपुर जिले की सीमाएं लगी हुई हैं। वर्तमान में नरसिंहपुर का संभागीय मुख्यालय जबलपुर है। नर्मदापुरम संभाग में नरसिंहपुर जिला शामिल किया जा सकता है।
अभी जबलपुर संभाग में 9 (जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, सिवनी, डिंडोरी व पांढुर्णा) जिले हैं। इसी तरह शहडोल जिले में तीन जिले शहडोल, उमरिया व अनूपपुर हैं, डिंडोरी जिला शहडोल से सटा हुआ है। इसे जबलपुर संभाग से अलग कर शहडोल में मिलाया जा सकता है।
निमाड़ बन सकता है प्रदेश का 11वां संभाग
निमाड़ को संभागीय मुख्यालय बनाने की तैयारी है। 12 साल पहले (2012) में निमाड़ को संभाग बनाने की मांग उठी थी। इसके बाद राजस्व विभाग ने खरगोन जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा था। खरगोन के तत्कालीन कलेक्टर अशोक वर्मा ने सितंबर 2016 में प्रस्ताव बनाकर भेजा था, लेकिन कुछ संशोधन का हवाला देकर इसे लौटा दिया। इसके बाद फिर नया प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था।
अब आयोग इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहली समीक्षा बैठक 1 जनवरी 2024 को इंदौर संभाग के खरगोन में की थी। इस बैठक में निमाड़ को अलग संभाग बनाने की बात आई थी, क्योंकि इंदौर प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग है। इसमें 8 जिले आते हैं। ऐसे में इसके 4 जिले खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर और खंडवा को मिलाकर नया संभाग बनाने पर विचार किया गया।
जानकार कहते हैं कि निमाड़ को नया संभाग बनाने से खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा के राजस्व निगरानी व अपील संबंधी सुनवाई खरगोन में ही होगी। इससे सबसे ज्यादा फायदा दूरी घटने का होगा। चारों जिलों के अफसरों को अपील व संभागीय बैठकों के लिए इंदौर भी नहीं जाना होगा। साथ ही प्रशासनिक कसावट भी आएगी।

इंदौर में शामिल हो सकता है पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया
इंदौर से पीथमपुर की दूरी 26 किमी है, जबकि जिला मुख्यालय धार से दूरी 48 किमी है। अब नई कवायद में यदि पीथमपुर इंदौर जिले में शामिल होता है तो प्रशासनिक समस्याएं तो दूरी होंगी ही, साथ में प्रदेश में इंदौर की ग्रोथ के आंकड़ों में भी उछाल आएगा।
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र है। यदि कोई नया उद्योग यहां स्थापित होता है तो जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के लिए भी दो जिलों के प्रशासन से पत्राचार, अनुमतियां लेनी होती है। जमीन आवंटन की प्रक्रिया इंदौर स्थित एमपीआईडीसी कार्यालय से होती है। स्थानीय अनुमतियों, सुविधाओं के लिए धार जिले पर निर्भर रहना पड़ता है।
यहां कुछ गांव धार जिले में आते हैं तो कुछ इंदौर में। ऐसे में बिजली, पानी सहित सभी सुविधाओं के लिए दो जिलों के चक्कर काटने होते है। जानकार कहते हें कि स्वच्छता, स्मार्ट सिटी, मेडिकल-एजुकेशन हब के कारण इंदौर की जो ब्रान्डिंग है, वह धार की नहीं है। ऐसे में इंडस्ट्री को ब्रांड नेम का फायदा मिलेगा।

दिसंबर के बाद नहीं होगा कोई परिवर्तन
वर्ष 2025 में जनगणना होनी है। इसे लेकर जनगणना महानिदेशालय ने दिसंबर तक प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को फ्रीज करने के निर्देश दिए हैं यानी इसके बाद जब तक जनगणना का काम पूरा नहीं हो जाएगा कोई नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनेगी। यही कारण है कि प्रदेश में नया संभाग, जिला या तहसील जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अस्तित्व में आएंगी।
परिसीमन से पुनर्गठन आयोग का कोई संबंध नहीं
लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र के लिए होने वाले परिसीमन से मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का कोई संबंध नहीं है। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह अलग होती है और उसे संवैधानिक प्रक्रिया के तहत केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन द्वारा किया जाता है। मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग का गठन राज्य शासन ने केवल प्रशासनिक इकाईयों के पुनर्गठन के उद्देश्य से किया है।

#एमप #क #सभगजल #क #बदलग #नकश #नमड #क #नय #सभग #तन #नए #जल #बनन #क #तयर #इदर #म #शमल #हग #पथमपर #Madhya #Pradesh #News
#एमप #क #सभगजल #क #बदलग #नकश #नमड #क #नय #सभग #तन #नए #जल #बनन #क #तयर #इदर #म #शमल #हग #पथमपर #Madhya #Pradesh #News
Source link