मध्यप्रदेश के एनएच-46 (पूर्व में एनएच-69) पर फोरलेन सड़क निर्माण से लोगों को आवागमन में बड़ी राहत मिली है, लेकिन औबेदुल्लागंज से बैतूल तक 10 हजार 563 पेड़ काटे गए हैं। इसके बदले नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने 83 हजार से ज्यादा पौधे लगाने का दावा किया है, लेकि
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हमने अपनी पड़ताल दो हिस्सों में की। पहले हिस्से में औबेदुल्लागंज से इटारसी यानी 46.3 किलोमीटर और दूसरे हिस्से में इटारसी से बैतूल 73.95 किलोमीटर के हालात जाने।
हाईवे को डिवाइड करने वाली लेन में गड्ढे तो नजर आते हैं लेकिन पौधे नहीं दिखते।
सिलसिलेवार तरीके से दोनों फेज की रिपोर्ट पढ़िए…
फेज-1: औबेदुल्लागंज से इटारसी (46.3 किमी) इस हिस्से में 6 हजार 429 पेड़ काटे गए थे। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार इसके बदले 12 हजार 924 पौधे सड़क किनारे और 22 हजार 427 पौधे सड़कों के बीच वाले हिस्से में लगाए गए। कुल मिलाकर 35 हजार 351 पौधे लगाने का दावा है।
इन सड़कों से लगे इलाकों के लोग कुछ और ही कहते हैं। बरखेड़ा के रहने वाले कोमल यादव बताते हैं कि सड़क बनाते समय 25-30 साल पुराने पेड़ काटे गए। उनकी जगह लगाए गए कई पौधे सूख चुके हैं। इस सेक्शन के के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बताते हैं यहां पौधों का सर्वाइवल रेट 82 प्रतिशत है, जबकि हकीकत कुछ और ही है।
फेज-2: इटारसी से बैतूल (73.95 किमी)
यहां 4 हजार 134 पेड़ काटे गए थे। NHAI के अनुसार, 23 हजार 190 पौधे सड़क किनारे और 25 हजार 123 पौधे दोनों लेन के बीच वाले हिस्से में लगाए गए। यानि कुल मिलाकर NHAI ने 48 हजार 313 पौधे लगाने का दावा किया है।
इस हिस्से में भी जब भास्कर के रिपोर्टर पहुंचे तो यहां के रहवासियों ने हकीकत कुछ और ही बताई।
केसला के रहने वाले राम भरोस पवार, कहते हैं कि बारिश के मौसम में अफसर-कर्मचारी आते हैं। कुछ पौधे लगाकर चले जाते हैं, पर देखभाल के लिए कोई नहीं आता, जिससे पौधे उग नहीं पाते।
पौधों को काली प्लास्टिक के साथ ही रोप दिया। बाद में हटाया भी नहीं।
कई जगह प्लास्टिक के साथ ही पौधे रोपे
दाेनों फेज यानी 120.20 किमी में पौधों की हालत देेखने के दौरान हमने पाया कि पौधों को लगाने में भारी लापरवाही हुई है। कई जगह तो पौधों को उस काले रंग के प्लास्टिक के साथ ही रोप दिया गया, जिसमें वह नर्सरी से आते हैं। पौधों के आसपास की मिट्टी और उनके सूखेपन ने साफ बयां किया कि जबसे उन्हें रोपा गया है तब से खाद तो क्या उनमें पानी तक नहीं दिया गया।
कहीं-कहीं पौधे लगे हैं तो वहां भी मवेशियों ने हाईवे को चारागाह बना लिया है।
रिहायशी इलाकों से सटे क्षेत्र में पौधे जीवित हैं, पर बाकी के हाईवे पर जो पौधे लगाए गए थे वे ज्यादातर सूख चुके हैं। दोनों लेन के बीच वाले हिस्से में तो कई किलोमीटर तक खरपतवार उग रही है।
विकास के लिए हाईवे का काम भी जरूरी है, इसके लिए पेड़ों की कटाई भी होगी। तो आखिर वो क्या तरीका है जिससे आबोहवा को बिना नुकसान पहुंचाए विकास के काम भी जारी रहें, ये जानने के लिए हमने वन विभाग और वनस्पति शास्त्र के एक्सपर्ट्स से बात की।
पढ़िए एक्सपर्ट्स ने क्या कहा-
प्रोजेक्ट से पांच साल पहले शुरू होना चाहिए प्लांटेशन
वन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी डॉ. सुदेश वाघमारे कहते हैं कि प्लांटेशन का काम प्रोजेक्ट शुरू होने से 5 साल पहले करना चाहिए। बड़े पेड़ों की कटाई के बाद लगाए गए पौधों से तत्काल भरपाई संभव नहीं है। 40 साल पुराने पेड़ों की जगह छोटे पौधों से पर्यावरणीय संतुलन बहाल नहीं हो सकता।
वन विभाग से रिटायर्ड अधिकारी डॉ. सुदेश वाघमारे कहते हैं कि प्लांटेशन का काम प्रोजेक्ट शुरू होने से 5 साल पहले करना चाहिए। बड़े पेड़ों की कटाई के बाद लगाए गए पौधों से तत्काल भरपाई संभव नहीं है। 40 साल पुराने पेड़ों की जगह छोटे पौधों से पर्यावरणीय संतुलन बहाल नहीं हो सकता।
मिट्टी के स्वभाव और जलवायु को ध्यान में रखना जरूरी
नर्मदापुरम् के नर्मदा महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. महेश मानकर कहते हैं कि मिट्टी के स्वभाव और जलवायु को ध्यान में रखकर पौधों का चयन करना चाहिए। आम, पीपल, जामुन, और नीम जैसे पेड़ कम देखभाल में भी टिक सकते हैं। बड़े पेड़ों की जगह छोटे पौधे लगा कर पर्यावरणीय संतुलन बहाल करना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि शुरुआती 2-3 साल तक पौधों की नियमित देखभाल जरूरी है। पौधे लगाने भर से काम पूरा नहीं होता, उनकी नियमित देखभाल के साथ वातावरण के अनुकूल पौधों का चयन भी जरुरी होता है।
एक काटने पर 10 पौधे लगाना चाहिए
शासकीय गृहविज्ञान कॉलेज में वनस्पति शास्त्र की विभागाध्यक्षा डॉ. रागिनी सिकरवार कहती हैं कि एक पेड़ काटने पर 10 पौधे लगाने चाहिए। कई ऐसे पौधे होते हैं जो कम देखभाल में भी बढ़ जाते हैं।
नोटिस देकर भुगतान रोकते हैं
औबेदुल्लागंज-इटारसी सेक्शन में हुए पौधरोपण पर NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर देवांश नुयाल ने कहा कि इंडियन रोड कांग्रेस 21 की गाइडलाइन के अनुसार हाईवे पर पौधारोपण किया जाता है। जो पौधे नहीं बचते, उनकी जगह नए पौधे लगाए जाते हैं। कंसल्टेंट और हॉर्टिकल्चर विशेषज्ञ की देखरेख में काम होता है। लापरवाही पाए जाने पर कॉन्ट्रेक्टर को नोटिस भी देते हैं और भुगतान भी रोकते हैं।
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