एमपी में बन रही विदेशी कॉर्टून सीरीज: 32 लोगों की टीम ने डिजाइन किए निंजा हथौड़ी-लिटिल कृष्णा के कैरेक्टर; सालाना कमाई 1 करोड़ – Madhya Pradesh News

एमपी में बन रही विदेशी कॉर्टून सीरीज:  32 लोगों की टीम ने डिजाइन किए निंजा हथौड़ी-लिटिल कृष्णा के कैरेक्टर; सालाना कमाई 1 करोड़ – Madhya Pradesh News

25 बाय 30 का एक कमरा, जिसमें 32 लोग बैठे हैं। नजरें कंप्यूटर स्क्रीन पर, एक हाथ की-बोर्ड पर है दूसरे हाथ में माउस नहीं बल्कि पेन है। ये लोग जैसे-जैसे पैड पर पेन को घुमाते हैं, वैसी तस्वीर कंप्यूटर स्क्रीन पर बनती जाती है। ये सभी आर्टिस्ट हैं और सागर

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दरअसल, इस कंपनी के ओनर हैं सागर के ही नीलेश बरसैया । नीलेश ने अपनी टीम के साथ ट्रांसफॉर्मर, निंजा हथौड़ी और बाल गणेश जैसी सीरीज तैयार की है। इसके अलावा वे और भी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। सागर में हुए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में पार्टिसिपेट करने पहुंचे नीलेश से दैनिक भास्कर ने उनकी इस जर्नी के बारे में जाना। पढ़िए रिपोर्ट…

पढ़िए नीलेश बरसैया की ऐनिमेशन जर्नी

ग्रेजुएशन कर नागपुर गए, वहां से ऐनिमेशन का काम शुरू किया नीलेश ने बताया कि साल 2008 में सागर की डॉ. हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद ऐनिमेशन की तरफ रुझान हुआ। मैंने सागर में ही ऐनिमेशन का कोर्स जॉइन किया, मगर वहां कुछ पढ़ाया नहीं जाता था। 6 महीने बाद मैं 2010 में नागपुर चला गया।

नागपुर में सिन सॉफ्ट एकेडमी जॉइन की। यहां 6 महीने का कोर्स कम्प्लीट करने के बाद उसी एकेडमी में मुझे ऐनिमेशन सिखाने की नौकरी मिल गई। मेरी पोस्टिंग बैतूल में की गई। यहां मैंने 2011 से 2012 तक दो साल काम किया। बैतूल में मेरी मुलाकात बिजेंद्र मिश्रा से हुई।

वह बैतूल के ही रहने वाले हैं, लेकिन पुणे में काम करते थे। उन्होंने मेरा काम देखा और पुणे आने का ऑफर दिया। साल 2012-13 में मैंने पुणे में रिलायंस ऐनिमेशन में इंटर्नशिप की और वहीं ट्रेनिंग ली। उन दिनों रिलायंस ऐनिमेशन का नाम बिग ऐनिमेशन था।

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वहां मेरी मुलाकात बिग ऐनिमेशन के सीईओ आशीष कुलकर्णी से हुई। वे अभी नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (NCOE) एवीजीसी (ऐनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स ) इंडिया के चेयरमैन हैं।

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रिलायंस से ट्रेनिंग के बाद मैंने बिजेंद्र मिश्रा के साथ साइड इफेक्ट्स एंटरटेनमेंट स्टूडियो में अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू किया। कुछ दिनों बाद बिजेंद्र मिश्रा बोले- ‘अब हमें मध्य प्रदेश जाकर काम करना चाहिए। वहां से काम करेंगे और युवाओं को ट्रेनिंग भी देंगे।’ पुणे में मध्य प्रदेश के 15 लड़के इस फील्ड में काम कर रहे थे। बिजेंद्र मिश्रा ने उन्हें भोपाल आने के लिए तैयार किया।

करियर आगे बढ़ता उससे पहले गुरु की मौत हो गई नीलेश कहते हैं कि दिसंबर 2013 में 15 लोगों ने अपने-अपने जॉब से इस्तीफा दे दिया और भोपाल आ गए। एक हफ्ते में पूरा सेटअप जमाया। जैसे ही सेटअप तैयार हुआ उसके अगले दिन हमारे टीम लीडर और गुरु बिजेंद्र मिश्रा बैतूल के लिए निकले।

रास्ते में गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इससे हमें काफी सदमा लगा। जिस शख्स के भरोसे हमने अपना ऐनिमेशन स्टूडियो तैयार किया था वो मेन प्लेयर ही चला गया। मौत के सदमे से जैसे-तैसे उबरे तो कई बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट्स पेंडिंग पड़े थे। मुझे कहा गया कि मैं टीम को लीड करूं। हमने तय समय में सारे प्रोजेक्ट्स पूरे किए और एक तरह से अपने गुरु को ट्रिब्यूट दिया।

नीलेश की डी टू डी कंपनी में कई मूवीज और सीरीज के कैरेक्टर का ऐनिमेशन किया जाता है।

नीलेश की डी टू डी कंपनी में कई मूवीज और सीरीज के कैरेक्टर का ऐनिमेशन किया जाता है।

ऐनिमेटिड मूवी का अवॉर्ड जीतने वाली फिल्म बनाई प्रोजेक्ट पूरे करने के साथ ही हमने साल 2013-14 में सुकांकन रॉय की मूवी ‘साउंड ऑफ जॉय’ तैयार की। इस मूवी ने 2014-15 में इंडिया की बेस्ट ऐनिमेटिड मूवी का खिताब जीता। इस प्रोजेक्ट के बाद कई और प्रोजेक्ट मिले। जिसमें किंग विक्रम, माई नेम इज राज जैसी तीन चार बॉलीवुड फिल्में भी थीं।

कुछ दिनों बाद हमें नए प्रोजेक्ट्स मिलना कम हो गए। कुछ ऐनिमेशन कंपनियां बंद हो गई। फंड की समस्या आने लगी। एक समय ऐसा आया कि स्टूडियो का रेंट देने के बाद हमारे हाथ कुछ नहीं बचा। हमारी जो टीम थी वो टूट गई। सभी लोग दिल्ली-मुंबई जाकर जॉब करने लगे।

साउंड ऑफ जॉय मूवी को 2013-14 में बेस्ट ऐनिमेटिड मूवी का अवॉर्ड मिला। नीलेश की टीम ने इसके कैरेक्टर डिजाइन किए थे।

साउंड ऑफ जॉय मूवी को 2013-14 में बेस्ट ऐनिमेटिड मूवी का अवॉर्ड मिला। नीलेश की टीम ने इसके कैरेक्टर डिजाइन किए थे।

सागर आकर नई टीम बनाई, मुफ्त में ऐनिमेशन ट्रेनिंग दी नीलेश कहते हैं कि हमारी डिजिटल 2D कंपनी खत्म होने की कगार पर थी, उसे वापस खड़ा करने के लिए मुझे करीब डेढ़ से दो लाख रुपए हर महीने की जरूरत थी। भोपाल या किसी बड़े शहर में रहता तो खर्च उठाना मुश्किल हो जाता, इसलिए मैंने अपने शहर सागर आकर काम शुरू करने का फैसला किया।

यहां चैलेंज ये था कि मैं बिल्कुल अकेला था। मैंने सागर यूनिवर्सिटी जाकर ऐसे लोगों की तलाश की, जिनका फाइन आर्ट और ड्राइंग में इंटरेस्ट हो। उन्हें ऐनिमेशन के बारे में बताया और मोटिवेट किया। साथ ही कुछ ऐसे ही पहचान वाले लोगों को अपने साथ जोड़ा जो ड्राइंग बनाने में इंटरेस्ट रखते थे। करीब 10 से 12 लोग मेरे साथ जुड़े। मैंने इन्हें 6 महीने मुफ्त में ऐनिमेशन की ट्रेनिंग दी।

नीलेश कहते हैं कि ऐनिमेटिड मूवीज बनाने के लिए एक टीम की जरूरत होती है। सबके अलग-अलग रोल होते हैं। एक अकेला आदमी बैठकर मूवी नहीं बना सकता। शुरुआत में हमें लिटिल सिंघम मूवी का काम मिल गया। इसके बाद झोलमाल, गोलमाल, भागमभाग, लिटिल कृष्णा, टीटू, भैया जी बलवान, सिंबा, पांडेय जी, पहलवान बजरंगी जैसी मूवीज के प्रोजेक्ट पूरे किए। अब भी हम करीब 6 से 7 मूवीज पर काम कर रहे हैं।

11 मिनट की सीरीज बनाने में लगते हैं 15 दिन नीलेश के मुताबिक 11 मिनट की एक सीरीज बनाने में 15 दिन लगते हैं। इसके लिए क्लाइंट 4 लाख रु. ऑफर करता है। इसका 10 पर्सेंट बीजी यानी बैकग्राउंड आर्टिस्ट को देना होता है। 5% अमाउंट एसेट्स और कैरेक्टर रेडी करने वाली टीम को देते हैं। 20 से 25% पैसा पोस्ट प्रोडक्शन करने वाली टीम को देना होता है।

पचास पर्सेंट अमाउंट ऐनिमेशन के प्रोडक्शन में खर्च होता है। ये सब करने के बाद 20% अमाउंट बचता है जिससे स्टूडियो के खर्चे और मेरी टीम की पेमेंट निकलती है। कुल मिलाकर कहें तो एक महीने में 11-11 मिनट के दो प्रोजेक्ट चाहिए, तब जाकर टीम का खर्च निकल पाता है।

पिता भाई और पत्नी ने हमेशा किया सपोर्ट नीलेश कहते हैं कि मैं जो कुछ हूं परिवार के सपोर्ट से हूं। मेरे पिता जी गवर्नमेंट जॉब से रिटायर हो चुके हैं। उन्हें पेंशन मिलती है। बड़ा भाई प्रेस में काम करता है। मेरी पत्नी बैंक में गोल्ड लोन मैनेजर हैं। 8 साल का बच्चा है तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है। परिवार का सपोर्ट रहा, कभी उन्होंने बोझ नहीं डाला तो मैं ये कर पाया हूं।

एसीएस ने मुख्यमंत्री के सामने की नीलेश की तारीफ सागर रीजनल कॉन्क्लेव में आईटी विभाग के एसीएस संजय दुबे ने नीलेश के काम की सराहना मुख्यमंत्री के सामने की। उन्होंने कहा मप्र में 2 हजार से ज्यादा कंपनियां आईटी सेक्टर में काम कर रही हैं। इनका 10 हजार करोड़ से ज्यादा का सालाना टर्नओवर है। मंच से उन्होंने सीएम डॉ. मोहन यादव को बताया कि सागर में डी टू डी नाम की एक कंपनी है, जो विदेशी ऐनिमेशन सीरीज बनाती है। यही मप्र की ताकत है।

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रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में मिले 23 हजार करोड़ के प्रस्ताव

पीटीसी ग्राउंड में हुए कॉन्क्लेव में 3 हजार से ज्यादा डेलिगेट्स और इंडस्ट्रियलिस्ट शामिल हुए।

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सागर में 27 सितंबर को आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 23 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट के प्रस्ताव सरकार का मिले हैं। बंसल ग्रुप ने 4 सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, एक 5-स्टार होटल और सोलर प्लांट लगाने के लिए 1350 करोड़ रुपए निवेश करने की बात कही। मध्य भारत एग्रो कंपनी बंडा में 500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। पढ़ें पूरी खबर…

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