डबरा में 7 नवंबर को जसवंत सिंह गिल की घर के बाहर तीन गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी।
ग्वालियर के डबरा में 7 नवंबर की शाम को 45 वर्षीय जसवंत सिंह गिल उर्फ सोनी सरदार के मर्डर में खालिस्तानी कनेक्शन सामने आया है। मामले में पंजाब पुलिस ने खालिस्तानी संगठन से जुड़े दो शूटर- बरनाला के भदौड़ निवासी अनमोलप्रीत सिंह उर्फ विशाल और खरड़ के निज्
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शूटरों के लिए कनाडा से ही मोहाली में ऑनलाइन एप के जरिए गेस्ट हाउस बुक कराया गया था, जिसमें एक कनाडाई ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल हुआ था। इसी एप से मिले सुराग के आधार पर पुलिस शूटरों तक पहुंची।
कनाडा से कैसे जसवंत के मर्डर की साजिश रची गई? दोनों शूटर्स से कैसे संपर्क किया गया और कैसे उनकी गिरफ्तारी हुई, पढ़िए रिपोर्ट…
जसवंत की हत्या का मकसद- 8 साल पुराना बदला 7 नवंबर की शाम 7 बजे का वक्त था। डबरा में गोपालबाग सिटी निवासी जसवंत सिंह खाना खाकर बाहर टहल रहा था। तभी बाइक पर दो युवक पहुंचे। दोनों ने जसवंत पर ताबड़तोड़ गोली बरसाईं और फरार हो गए। 37 सेकेंड की ये वारदात और आरोपियों का चेहरा वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए।
इस वारदात के पीछे 8 साल पुरानी बदले की कहानी है। दरअसल, जसवंत ने 5 फरवरी 2016 को अपनी पत्नी के ममेरे भाई ग्वालियर के आदित्यपुरम निवासी सुखविंदर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसने सुखविंदर के पिता राजविंदर और मां बलविंदर कौर को भी गोली मारी थी लेकिन वे बच गए थे। 13 साल की हरमन कौर ने रेफ्रिजरेटर के पीछे छिपकर अपनी जान बचाई थी।
इस वारदात को जसवंत ने अवैध संबंध के संदेह के चलते अंजाम दिया था। इसी मामले में उसे 2018 में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। उसे साल में 15–15 दिन का पैरोल मिलता था। जसवंत 28 अक्टूबर को ही 15 दिन के पैरोल पर घर आया था। उसकी हत्या की साजिश उसकी पत्नी के दूसरे ममेरे भाई सतपाल ने रची थी, जो इस समय कनाडा में रह रहा है। उसने हत्या के लिए 2.50 लाख रुपए की सुपारी देकर पंजाब के दो शूटर हायर किए थे।
7 नवंबर को जसवंत की शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
टेकनपुर के होटल में रुके थे शूटर, कहा था-बीएसएफ भर्ती में आए ग्वालियर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच शुरू की। आरोपियों के हुलिए के आधार पर आसपास के होटलों में पड़ताल की गई। सीसीटीवी कैमरे ट्रैक करने पर पुलिस को टेकनपुर के श्रीकृष्ण होटल में शूटर्स के रुकने की जानकारी मिली। शूटर्स इस होटल में 7 नवंबर को शाम 4 बजे पहुंचे थे। इसके दो घंटे बाद शाम 6 बजे निकल गए थे। होटल में उन्होंने बताया था कि वे बीएसएफ की भर्ती में आए हैं।
दोनों शूटर्स के कपड़े और फर्जी आधार कार्ड भी पुलिस को होटल वाले कमरे से मिले। हत्या के बाद दोनों होटल से अपना सामान लिए बगैर ही फरार हो गए थे। शूटर्स के सामान, उनके हुलिए और जसवंत सिंह की पत्नी के बयान के आधार पर पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि आरोपी पंजाब के हो सकते हैं। एक टीम एसडीओपी डबरा की अगुवाई में पंजाब रवाना की गई।
ग्वालियर पुलिस से पहले पंजाब पुलिस ने पकड़ लिया ग्वालियर पुलिस से पहले 9 नवंबर को पंजाब के मोहाली की ऑपरेशन स्टेट स्पेशल ऑपरेशंस सेल (एसएसओसी), एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) और फरीदकोट जिला पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए स्वराज एनक्लेव में दबिश दी। टीम ने वहां से अनमोलप्रीत सिंह और नवजोत सिंह नीटू को दबोच लिया।
डील थी- एक लाख रुपए मर्डर से पहले, डेढ़ लाख बाद में जसवंत सिंह की हत्या की साजिश छह महीने पहले रची गई। तब कनाडा में रह रहे सुखविंदर का बड़ा भाई सतपाल रिश्तेदारी में आयोजित शादी समारोह में ग्वालियर आया हुआ था। डीडी नगर में वह रुका था। वहीं उसे पता चला कि जसवंत पैराेल पर 28 अक्टूबर को घर आने वाला है। सतपाल की ससुराल पंजाब में है। उसके चचेरे भाईयों का परिवार अब भी मस्तूरा में रह रहा है। उसने चचेरे भाई हरजीत उर्फ जीता को इस षड्यंत्र में शामिल किया।
दो महीने पहले उसने हरजीत के खाते में एक लाख रुपए ट्रांसफर किए। उसने हरजीत को बताया था कि दो शूटर पंजाब से आएंगे। तब उन्हें एक लाख रुपए देना। शेष डेढ़ लाख रुपए मर्डर के बाद देना। शूटरों के रुकने से लेकर उनकी फरारी और जसवंत सिंह की रेकी का काम जीता को साैंपा गया था। सतपाल ने 2.50 लाख रुपए दो बार में जीता के खाते में पिछले दो महीने में ट्रांसफर किए थे। मर्डर के बाद सतपाल ने अपने पूर्व के परिचित ड्राइवर को कॉल कर मोहाली के लिए गाड़ी बुक कराई थी। तब उसने बताया था कि दोनों को गमी में मोहाली में जाना है।
टेकनपुर में सीसीटीवी कैमरे में दोनों शूटर कैद हुए थे।
जिस गेस्ट हाउस में रूके वहां होती है कनाडा से भी बुकिंग
डबरा में दोनों शूटर 7 नवंबर को ट्रेन से आए थे। पर वापसी में वे गाड़ी से माेहाली के लिए रवाना हुए थे। उनके लिए सतपाल ने निज्जर रोड स्थित स्वराज एनक्लेव कॉलोनी में मकान नंबर 12 के गेस्ट हाउस में बुकिंग कराई थी। ये मकान अमित नंदा कॉलोनी के पूर्व प्रधान का है। वे प्राइवेट जॉब के साथ अपने घर के कुछ कमरों को बतौर गेस्ट हाउस किराए पर देते हैं। इसके लिए उन्होंने एयर बीएनबी नाम का ऑनलाइन ऐप पर रजिस्ट्रेशन कराया है। इस ऐप पर कनाडा सहित विदेशों से भी गेस्ट हाउस की बुकिंग होती है। दोनों शूटर्स के लिए इस बार कनाडा स्थित किचनर ओंटारियों से किसी सुखदीप सिंह सिद्धू के नाम से तीन दिन के लिए बुकिंग कराई गई थी।
इसी ड्राइविंग लाइसेंस के जरिए कनाडा से गेस्ट हाउस की बुकिंग कराई गई थी।
जिसकी आईडी इस्तेमाल की वो भी जांच के दायरे में
दोनों शूटर्स 7 नवंबर को मर्डर के बाद इस गेस्ट हाउस में अगले दिन शाम 7 बजे पहुंचे थे। दोनों के हाथ में तब एक काले रंग का बैग था। उन्होंने बुकिंग वाउचर दिखाया और एंट्री कर सीधे रूम में चले गए थे। शनिवार सुबह दोनों कॉलोनी में सैर करने के साथ बाजार में खरीदी करने भी निकले थे। शनिवार 9 नवंबर की दोपहर लगभग 12:25 बजे पंजाब पुलिस ने इसी ऐप के माध्यम से उनकी लोकेशन ट्रेस की और घेराबंदी के बाद दबोच लिया।
दोनों से पूछताछ में ये बात सामने आई कि एयर बीएनबी ऐप के माध्यम से उक्त गेस्ट हाउस रूम बुकिंग सुखदीप सिंह सिद्धू के इंटरनेशनल मोबाइल नंबर से किया गया था। इससे पहले अक्टूबर में भी ट्राइसिटी में दो जगह गेस्ट हाउस बुक करवाए गए थे। तब दोनों एयरपोर्ट रोड पर स्थित सैक्टर -66 के गेस्ट हाउस में करीब 10 दिन रूके थे। वे नयागांव के कांसल क्षेत्र में सुखना लेक के पास भी रूके थे। अब पुलिस ऐप पर बने सुखदीप सिद्धू के अकाउंट को खंगाल रही है कि इस प्रोफाइल पर अपलोड तस्वीर असली है या नकली। दोनों शूटर्स से ये तस्वीर मेल नहीं खाता।
खालिस्तानी आतंकी ने इन्हीं शूटरों से कराया था एक और मर्डर
फरीदकोट पुलिस बीते 9 अक्टूबर से दोनों की तलाश में जुटी थी। दोनों शूटरों ने फरीदकोट में सिख कार्यकर्ता गुरप्रीत सिंह हरि नाउ उर्फ भोडी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
ये हत्या कनाडा में गैंगेस्टर से खालिस्तानी आतंकवादी बने अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला के इशारे पर की गई थी। उस केस में अर्शदीप मास्टरमाइंड है।
पंजाब पुलिस ने उस केस में असम की डिब्रूगढ़ जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बंद चल रहे सांसद अमृतपाल सिंह को भी आरोपी बनाया है। गुरप्रीत सिंह ‘हरि नउ टॉक्स’ के नाम से एक यूट्यूब चैनल चलाते थे। अर्श डल्ला ने गुरप्रीत की हत्या की सुपारी नवजोत को दी थी, जिसने बाद में अनमोलप्रीत को भी शामिल किया था।
इसके लिए अर्श डल्ला ने ही दोनों के लिए पिस्टल, कारतूस और बाइक की व्यवस्था कराई थी। यहां तक कि गुरप्रीत की हत्या के बाद फरारी में भी अर्श डल्ला ने मदद की। वे इस हत्याकांड के बाद से अमृतसर, एसबीएस नगर, हिमाचल-पंजाब सीमा, चंडीगढ़, मोहाली और खरड़ सहित विभिन्न शहरों में अपने ठिकाने बदलते रहे। फरारी के दौरान ही दोनों शूटर्स ने ग्वालियर के डबरा में जसवंत सिंह के मर्डर को अंजाम दिया।
खालिस्तानी आतंकी डल्ला जिसने दोनों शूटरों से एक माह पहले हत्या कराई थी।
तीन दिन से हरजीत कर रहा था रेकी
जसवंत सिंह के मर्डर में आरोपी बनाए गए सतपाल सिंह का चचेरा भाई हरजीत उर्फ जीता वारदात से तीन दिन पहले से रेकी कर रहा था। वह शूटरों के साथ डबरा में जसवंत सिंह के घर तक गया था। उसी ने इशारे से जसवंत सिंह की पहचान भी कराई थी। पंजाब पुलिस द्वारा दोनों शूटर्स की गिरफ्तारी और फरीदकोट पुलिस द्वारा 6 दिन की रिमांड लिए जाने की सूचना पाकर ग्वालियर पुलिस भी वहां पहुंची है। वह भी दोनों शूटर्स से पूछताछ में जुटी है। फरीदकोट पुलिस की रिमांड समाप्त होने के बाद ग्वालियर पुलिस दोनों को प्रोडक्शन वारंट पर लाने के प्रयास में जुटी है।
एसपी ग्वालियर धर्मवीर सिंह के मुताबिक जसवंत हत्याकांड में कनाडा में रह रहे सतपाल सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है। 2016 में उसके भाई सुखविंद सिंह की हत्या की रंजिश में इस वारदात को अंजाम दिया गया है। हत्याकांड के सह आरोपी दोनों शूटर्स और चचेरा भाई जीता हैं। जीता की तलाश जारी है। सिर्फ शूटर्स को मोहाली तक इनोवा क्रिस्टा गाड़ी में छोड़ने वाले ड्राइवर को हिरासत में लिया गया है। उससे पूछताछ में कुछ खास नहीं मिला है। सतपाल कनाडा में है या भारत आया हुआ है, इसके लिए उसके पासपोर्ट की जानकारी निकाली जा रही है।
पंजाब पुलिस ने दोनों शूटरों के पास से बरामद पिस्टल, कैश और नकली दस्तावेजों की जानकारी दी।
दोनों शूटर्स को 4 और टारगेट किलिंग की मिली थी सुपारी
फरीदकोट एसएसपी प्रज्ञा जैन के मुताबिक दोनों शूटर 18 अक्टूबर को जिरकपुर में गोलीबारी और जबरन वसूली की घटना में भी शामिल थे। यहां उन्होंने एक व्यापारी को गोलीबारी के बाद धमकाया था और उसकी इमारत के मुख्य द्वार पर अर्श डल्ला के नाम का पोस्टर लगाया था।
दोनों शूटरों को 4 और टारगेट कीलिंग की सुपारी डल्ला की ओर से दी गई थी। अर्शदीप डल्ला के बारे में दावा किया जा रहा है कि कनाडा सरकार ने 28 अक्टूबर को मिल्टन में हुई गोलीबारी की घटना में गिरफ्तार कर लिया था। अभी वह जेल में है या जमानत मिल चुकी है, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
2 साल पहले 2022 में भारत ने गैंगस्टर और खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के ऑपरेटिव डल्ला को आतंकवादी घोषित किया था। पंजाब के मोगा से कनाडा में जाकर छिपे अर्श पर देश-विदेश में हत्या, जबरन वसूली और जघन्य अपराधों के अलावा आतंकी गतिविधियों में भी संलिप्त रहने का आरोप है। नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) ने उसे हत्या, आतंक के लिए धन उगाही, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक मुद्दों को बढ़ावा देने और पंजाब में लोगों के बीच आतंक पैदा करने के मामलों में दोषी पाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार अर्शदीप UAPA के तहत वांटेड आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का बेहद करीबी है। उसकी ओर से आतंकी मॉड्यूल ऑपरेट करता है।
आगे कनाडा से सतपाल की गिरफ्तारी होगी सबसे बड़ी चुनौती
भारत और कनाडा के बीच 1987 में प्रत्यपर्ण संधि हुई है। इस संधि के अनुसार कनाडा के न्याय विभाग और भारत के गृह मंत्रालय के बीच सीधे, राजनयिक माध्यमों से, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) के जरिए, या किसी और स्वीकार्य माध्यम से अनंतिम गिरफ्तारी का अनुरोध किया जा सकता है। पर 2002 से 2020 तक भारत द्वारा मांगे गए केवल छह भगोड़ों को ही कनाडा ने लौटाया है।
कनाडा में वर्तमान ट्रूडो सरकार के खालिस्तान समर्थक तेवर के चलते दोनों देशों के संबंध सबसे बुरे दौर में पहुंच चुके हैं। यहां तक कि दोनों देश एक-दूसरे के डिप्लोमैट्स तक निकाल चुके हैं। हालांकि सतपाल की गिरफ्तारी के लिए ग्वालियर एसपी धर्मवीर सिंह कहते हैं कि प्रत्यपर्ण संधि के नियमों के मुताबिक इंटरपोल की मदद ली जाएगी। इसके लिए सीबीआई से अनुरोध करेंगे। सतपाल के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं।
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