एम्स भोपाल और नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) के बीच समझौता हुआ है, जिससे फॉरेंसिक जांच के नए रास्ते खुलेंगे। दोनों संस्थान मिलकर खून के धब्बों से लेकर फिंगरप्रिंट तक, हर सुराग की बारीकी से जांच कर अपराधियों तक पहुंचने की प्रक्रिया को
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अपराध स्थल पर मिलने वाले छोटे-छोटे सुराग जैसे खून, बाल, मिट्टी के कण, दस्तावेज या उंगलियों के निशान सबकी बारीकी से जांच की जाएगी। सेरोलॉजी टेस्ट से खून या लार के जरिए अपराधी की पहचान होगी, तो टॉक्सिकोलॉजी जांच से पता चलेगा कि किसी की मौत जहरीले पदार्थ से तो नहीं हुई। इस करार के तहत एम्स भोपाल और एनएफएसयू मिलकर रिसर्च, ट्रेनिंग और फॉरेंसिक साइंस में एक्सपर्ट तैयार करेंगे।
छात्रों को केस स्टडीज, स्टडी टूर और रिसर्च प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने कहा, यह करार अपराध की जांच में क्रांति लाएगा। एनएफएसयू के कैंपस डायरेक्टर डॉ. सतीश कुमार ने कहा, हमारा फोकस है कि अपराध स्थल से मिले हर सुराग का सही विश्लेषण हो और दोषियों तक जल्द से जल्द पहुंचा जाए।
हर निशान बताएगा कहानी
सेरोलॉजी: खून, लार या पसीने से अपराधी की पहचान टॉक्सिकोलॉजी: जहरीले पदार्थों की जांच फिंगरप्रिंट एनालिसिस: उंगलियों के निशान से अपराधी तक सीधा कनेक्शन क्वेश्चन्ड डॉक्यूमेंट: नकली दस्तावेजों की पहचान फॉरेंसिक केमिस्ट्री: मिट्टी या कांच के टुकड़ों से अपराध स्थल की जानकारी
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