मां की ममता की कोई उम्र नहीं होती। इसे सच कर दिखाया रायसेन जिले की 52 वर्षीय मां ने, जिसने अपने 32 साल के बेटे की जिंदगी बचाने के लिए अपनी किडनी दान कर दी। एम्स भोपाल में हुए इस सफल ट्रांस प्लांट ने बताया कि बेटे का जीवन बचाने मां हर हदें पार करने क
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एम्स डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह के नेतृत्व में डॉक्टर्स की टीम ने इस जटिल सर्जरी को सफलततापूर्वक अंजाम दिया। 6 घंटे तक चली सर्जरी के बाद बेटे की हालत स्थिर है और नई किडनी पूरी तरह काम कर रही है।
बच्चों के लिए किडनी प्रत्यारोपण जल्द
एम्स भोपाल अब एंड-स्टेज किडनी डिजीज से जूझ रहे बच्चों के लिए भी किडनी प्रत्यारोपण शुरू करने की योजना बना रहा है। इससे बच्चों को भी जीवनरक्षक इलाज मिल सकेगा। यह पहल उन बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार लाएगी, जिन्हें किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता है और एम्स भोपाल को अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में पहचान दिलाएगी। वहीं अंगदान के महत्व को समझाते हुए एम्स भोपाल ने ‘किरण फाउंडेशन’ के साथ समझौता किया है।
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