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ओलिंपिक संघ को स्पॉन्सरशिप डील में करोड़ों का घाटा: CAG रिपोर्ट में दावा- रिलायंस से ₹59 करोड़ मिलने थे, ₹35 करोड़ ही लिए

नई दिल्ली2 घंटे पहले

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भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा 8 अक्टूबर को आरोपों का जवाब दे सकती हैं।

भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन (IOA) के ऊपर अपना ही घाटा करवाने का आरोप लगा है। आरोप CAG की रिपोर्ट से लगा है। IOA ने रिलायंस के साथ 2022 से 2030 तक होने वाले 10 मेगा इवेंट्स के लिए स्पॉन्सरशिप डील की थी।

इन मेगा इवेंट्स में 2 समर ओलिंपिक (2024 और 2028), दो एशियन गेम्स (2022 और 2026), दो कॉमनवेल्थ गेम्स (2022 और 2026) के साथ-साथ दो विंटर ओलिंपिक (2026 और 2030) और दो यूथ ओलिंपिक (2026 और 2030) शामिल हैं। CAG के मुताबिक पूरी डील के लिए IOA को 59 करोड़ रुपए मिलने चाहिए थे, लेकिन उसे 35 करोड़ रुपए ही मिले।

ओलिंपिक एसोसिएशन के सूत्रों के अनुसार अध्यक्ष पीटी उषा 8 अक्टूबर को इन आरोपों का जवाब दे सकती हैं।

IOA ने 2022 में RIL को स्पॉन्सरशिप के अधिकार बेचे थे।

IOA ने 2022 में RIL को स्पॉन्सरशिप के अधिकार बेचे थे।

CAG की नजर में घाटा कैसे हुआ रिपोर्ट कहती है…2022 में जब रिलायंस के साथ डील फाइनल हुई थी, तब इसमें दो विंटर ओलिंपिक और दो यूथ ओलिंपिक शामिल नहीं थे। तब IOA ने 6 मेगा इवेंट्स के लिए 35 करोड़ रुपए में डील फाइनल की थी। एक इवेंट के लिए करीब 6 करोड़ रुपए की रकम तय हुई थी।

2023 में चार और इवेंट्स के लिए डील एक्सटेंड हुई, लेकिन इसके लिए कोई अतिरिक्त रकम नहीं ली गई है। इनमें से हर एक के लिए 6-6 करोड़ रुपए और मिलने चाहिए थे। यानी 24 करोड़ रुपए और मिलने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। IOA ने 59 की जगह 35 करोड़ रुपए ही लिए। इस मामले पर कैग ने IOA अध्यक्ष पीटी उषा से जवाब मांगा है।

कैग ने IOA अध्यक्ष पीटी उषा से जवाब मांगा है।

कैग ने IOA अध्यक्ष पीटी उषा से जवाब मांगा है।

IOA ने कहा- रिलांयस को मुआवजे के तौर पर दिए गए 4 एक्स्ट्रा इवेंट्स IOA अधिकारी अजय कुमार नारंग ने इस मामले पर एसोसिएशन का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि टेंडर में एक गलती के कारण एग्रीमेंट को दोबारा नेगोशिएट करना पड़ा था। एग्रीमेंट में यह तो लिखा था कि मुख्य स्पॉन्सर ओलिंपिक के दौरान इंडिया हाउस बना सकेगा और उसका नाम अपने ऊपर रख सकेगा। यानी इंडिया हाउस का नाम रिलायंस इंडिया हाउस होता, लेकिन बाद में इंटरनेशल ओलिंपिक कमेटी (IOC) ने नियम बदल दिए। किसी देश के हाउस के नाम के साथ स्पॉन्सर का नाम इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई।

रिलायंस ने 6 इवेंट्स के लिए 35 करोड़ रुपए में इसलिए एग्रीमेंट किया था ताकि वह इंडिया हाउस के साथ अपना नाम इस्तेमाल कर सके। यह अधिकार जब छीन लिए गया तो रिलायंस ने मुआवजा मांगा। इसी मुआवजे के तहत उसे चार और इवेंट्स एक्स्ट्रा दिए गए। इनमें दो विंटर ओलिंपिक गेम्स और दो यूथ ओलिंपिक गेम्स शामिल हैं।

नारंग ने कहा- यह भी देखा जाना चाहिए कि विंटर ओलिंपिक और यूथ ओलिंपिक की भारत में लोकप्रियता ज्यादा नहीं है। इसलिए इन इवेंट्स की स्पॉन्सरशिप राशि समर ओलिंपिक या एशियन गेम्स जितनी नहीं हो सकती।

हर इवेंट के बदले 6 करोड़ की डील नहीं हुई नारंग ने यह भी बताया कि IOA और रिलायंस के लिए हर इवेंट के लिए 6 करोड़ रुपए की डील नहीं हुई थी। जिस इवेंट में जितना ज्यादा माद्दा है उसके लिए उतनी ज्यादा रकम ली गई है। समर ओलिंपिक गेम्स की भारत में अहमियत काफी ज्यादा है तो इसके लिए 8 करोड़ रुपए चार्ज किए गए। IOA ने किस इवेंट के लिए कितनी रकम ली है उसकी डिटेलिंग आप अगली तस्वीर में देख सकते हैं।

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