पिछले दस दिन में शहर में 652 लोग स्ट्रीट डॉग का शिकार हो चुके हैं। इससे घबराए 62 लोगों ने मंगलवार को निगम के कंट्रोल रूम पर अपने क्षेत्रों से स्ट्रीट डॉग पकड़ने की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन निगम की दो गाड़ियों ने जिस पर छह निगम कर्मी थे, वे दिनभर
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भास्कर रिपोर्टर ने जानी हकीकत, फोन लगाए, गाड़ी नहीं आई निगम ने सोमवार शाम को कन्ट्रोल रूम 2438358 का फोन नंबर जारी किया। इस नंबर पर मिलने वाले रिस्पांस की हकीकत जानने के लिए भास्कर की टीम ने अलग-अलग क्षेत्रों से फोन लगाए, लेकिन तत्काल कार्रवाई की बात तो दूर स्टाफ ने एक-दो दिन में स्ट्रीट डॉग पकड़वाने का आश्वासन दिया। साथ ही शर्त जोड़ दी कि डॉग को पकड़ते वक्त शिकायतकर्ता का रहना जरूरी है।
निगम की स्थिति: नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को 2 गाड़ियों से एक स्ट्रीट डॉग पकड़ा। एनजीओ ने 19 को पकड़ा और 21 स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी गई। 15 दिसंबर 2024 से 20 जनवरी 2025 तक के रिकार्ड में एबीसी संस्था ने 422 और निगम की गाड़ियों से 60 स्ट्रीट डॉग पकड़े।
खर्चा: स्ट्रीट डॉग्स की नसंबदी पर निगम रोज औसतन 5.50 लाख की राशि (834 रुपए प्रति डाग के हिसाब से) खर्च कर रही है। ये पैसा सिद्धांत सोसाइटी को जाता है। निगम की 3 विधानसभा में तीन वाहन चलते है। इनमें रोज 25 लीटर डीजल डलता है। साल में 8.10 लाख रुपए खर्च होते है।
नगर निगम में आपसी खींचतान… जिम्मेदार कौन यह तय नहीं?
मदाखलत नहीं, नोडल अधिकारी जिम्मेदार स्ट्रीट डॉग्स को पकड़वाने की जिम्मेदारी एनबीसी सेंटर के नोडल अधिकारी की है। उनके अंडर में ही निजी संस्था काम कर रही है। मदाखलत की स्ट्रीट डॉग्स की जिम्मेदारी नहीं है। जब मदद के लिए उनका फोन आता है, तो मदाखलत की गाड़ी भेज दी जाती है। –डॉ.अतिबल सिंह यादव, उपायुक्त ननि
सेंटर तक डॉग मदाखलत को भेजना होते हैं एबीसी सेंटर की गतिविधियों देखना मेरी जिम्मेदारी है। सेंटर में पकड़कर लाए डॉग्स की नसबंदी, ग्ग्वैक्सीनेशन किया जाता है। मदाखलत स्ट्रीट डॉग्स को पकड़कर एबीसी सेंटर पर पहुंचाता है। इसके लिए मदाखलत अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। –डॉ.अनुज शर्मा, नोडल अधिकारी एबीसी सेंटर निगम
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