4 मिनट पहलेलेखक: किरण जैन
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टेलीविजन इंडस्ट्री के जाने-माने एक्टर मोहित मलिक ने हाल ही में अपना बॉलीवुड डेब्यू फिल्म ‘आजाद’ से किया है। लगभग 20 सालों से इस इंडस्ट्री का हिस्सा रहे मोहित ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें आर्थिक तंगी के चलते अपना घर बेचना पड़ा। लेकिन मोहित का हौसला कभी नहीं टूटा।
हाल ही में दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान, मोहित ने अपने करियर के संघर्ष, आर्थिक तंगी के दौर और अपने मजबूत इरादों पर खुलकर बातचीत की। पढ़िए बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
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क्या कभी एक्टिंग करियर छोड़ने का ख्याल आया?
हां, कई बार। जब लंबे गैप हो जाते हैं, तो मन में सवाल उठता है कि क्या कुछ और करना चाहिए? बिजनेस शुरू करना चाहिए? लेकिन फिर दिल से आवाज आती है – नहीं, मैं इसी के लिए बना हूं। अदिति (पत्नी) और मैं शुरू से ही जानते थे कि मैं एक्टिंग फील्ड में ही रहूंगा। मुझे सिर्फ अच्छे किरदार करने हैं, भले ही इसके लिए इंतजार करना पड़े।
मुंबई में रहना आसान नहीं है। कभी चार महीने तो कभी छह महीने तक घर बैठकर अच्छे रोल का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे वक्त में खुद को मजबूत रखना पड़ता है। मुंबई में टिके रहना मुश्किल, लेकिन आगे बढ़ना उससे भी कठिन। इसीलिए हमने बैकअप प्लान तैयार किया।
अदिति ने एक्टिंग छोड़कर रेस्टोरेंट बिजनेस शुरू किया और आज पूरे इंडिया में हमारे आठ रेस्टोरेंट्स हैं। हमें यह भी सीखने को मिला कि हर कलाकार को मुंबई आने से पहले बैकअप प्लान जरूर बनाना चाहिए, क्योंकि सिर्फ सपने लेकर चलना काफी नहीं होता।
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क्या कभी ऐसा हुआ कि जेब में पैसे नहीं थे, लेकिन सपने बड़े थे?
हां, कई बार ऐसा हुआ। अभी कुछ महीने पहले भी ऐसी सिचुएशन आई थी जब पैसे खत्म हो गए थे। सोचा – अब क्या करें? लेकिन फिर हमेशा की तरह, कोई न कोई रास्ता निकल ही आया। पहले भी कई बार ऐसा हुआ था, इसलिए अब फर्क नहीं पड़ता। अब सोचता हूं – ठीक है, देख लेंगे। घर है, बेच देंगे, कुछ न कुछ कर लेंगे।
लेकिन असली सवाल यह नहीं है कि जेब में पैसे हैं या नहीं। असली सवाल यह है कि क्या मैं रात को चैन से सो पाता हूं? चाहे कितना भी पैसा कमा लूं, कितने भी घर खरीद लूं, अगर सुकून नहीं है तो सब बेकार है।
मेरे लिए असली सफलता यही है – दिमाग और दिल में शांति। और मैं बहुत ग्रेटफुल हूं कि मेरी लाइफ में अदिति है। वह मेरी ताकत है, मेरे हर उतार-चढ़ाव में मेरे साथ खड़ी रही। जब मैं अपनी फैमिली को देखता हूं – मेरी मां, मेरी वाइफ, मेरा बच्चा – तो सारी परेशानियां छोटी लगने लगती हैं। मुझे लगता है कि कुछ भी कर लूंगा। मेहनत करने का जज्बा है, तो किस बात का डर? कभी-कभी स्ट्रेस होता है, लेकिन यही तो जिंदगी है। अगर आपके साथ सही लोग हैं, आपको सपोर्ट करने वाले लोग हैं, तो फिर कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता। काम नहीं मिला, कोई बात नहीं, कुछ और कर लूंगा। दुनिया जीत लूंगा।
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वो दौर कैसा था जब आपने अपना घर बेचा था?
वो वक्त आसान नहीं था। पहली बार ऐसा हुआ था कि फंड्स कम पड़ गए थे। मैंने जरूरत से ज्यादा लोन ले लिया था, और हालात थोड़े मुश्किल हो गए थे। उस वक्त ऐसा लगा जैसे सब कुछ उलट-पुलट हो रहा है। लेकिन इसने मुझे बहुत कुछ सिखाया।
आज भी अगर ऐसी कोई सिचुएशन आती है, तो मैं उससे पीछे नहीं हटूंगा। मैंने वो घर अपने लिए ही बनाया था, इन्वेस्टमेंट भी अपने लिए ही किया था। अगर वो वक्त पर मेरे काम नहीं आया, तो फिर उस घर का क्या मतलब?
मैं आज भी तैयार हूं कि अगर किसी अच्छे प्रोजेक्ट के लिए जरूरत पड़े, तो मैं अपना घर बेचने से भी पीछे नहीं हटूंगा। क्योंकि मेरे लिए सबसे जरूरी चीज है – अच्छा काम। अगर मुझे एक अच्छा प्रोजेक्ट करना है, तो मैं उसके लिए कुछ भी कर सकता हूं।
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जब काम नहीं था, तो उस वक्त खुद को कैसे मोटिवेट करते थे?
हमारे प्रोफेशन में अनसर्टेनिटी बहुत ज्यादा होती है। कोई गारंटी नहीं कि आज काम है तो कल भी रहेगा। यह पूरा मानसिक खेल है। मैंने खुद को बिजी रखा—एक्टिंग वर्कशॉप्स कीं, गिटार-सिंगिंग सीखी।
इस दौरान अदिति का बहुत सपोर्ट रहा। जब मैं नेगेटिव सोचने लगता, तो वो मुझे पुश करती, एक्टिंग पर फोकस करने के लिए। मैं लकी हूं कि वो हमेशा मुझे मोटिवेट करती हैं।
करियर के उस मोड़ को कौन सा टर्निंग पॉइंट मानते हैं, जब आप लो फेस से बाहर निकल आए?
टर्निंग पॉइंट्स कई रहे, और आगे भी आते रहेंगे। टीवी शो ‘कुल्फी कुमार बाजेवाला’ ने मुझे एक सीरियस एक्टर बनाया। जब लगा कुछ नया नहीं होगा, तब चमत्कार हुआ। गिरकर संभलना ही असली जीत है।
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2025-02-13 02:00:00
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