ये बंदी जेल के भीतर गुनाहों का प्रायश्चित करने के साथ ही मन की शांति और सुकून के लिए ऐसा कर रहे हैं। बंदी अब खुश व तनाव मुक्त भी रहने लगे हैं। भक्ति का यह भाव बंदियों में तत्कालीन जेल अधीक्षक शैफाली तिवारी और समन्वयक आदर्श गौशाला केन्द्रीय सीताराम लेखन माला के प्रभारी सीबी नेमा ने जगाया है।
By Amit Jha
Publish Date: Thu, 31 Oct 2024 01:44:40 PM (IST)
Updated Date: Thu, 31 Oct 2024 01:44:40 PM (IST)
HighLights
- 2018 से सीताराम लेखन की शुरुआत साक्षरता अभियान के साथ हुई है।
- हुसैन पठान अपने रक्त से भगवान श्रीराम का चित्र बनाकर चर्चा में आए।
- आश्चर्य की बात है, कापी का आखिरी पन्ना पूरा हुआ, जमानत मिल गई।
नईदुनिया, नरसिंहपुर (Diwali 2024) । नरसिंहपुर स्थित केन्द्रीय कारागार में दी भाईयों के द्वारा लिखा जा रहा सीताराम लेखन 18 करोड़ से अधिक की संख्या में जा पहुंचा है। जेल में तमाम आपराधिक आरोपों में सजा काट रहे 5 सौ बंदियों के व्यवहार में सीताराम शब्द के लेखन से बदलाव आया है।
साक्षरता अभियान से हुई शुरुआत
नरसिंहपुर स्थित केन्द्रीय जेल में सन् 2018 से सीताराम लेखन की शुरुआत साक्षरता अभियान के साथ हुई है। सीबी नेमा ने बताया, कि कैदियों को साक्षर करने का कार्य चल रहा था, जो कैदी साक्षर हो गए उन्होंने सीताराम लेखन शुरू किया।
सीताराम लेखन आज 18 करोड़ तक जा पहुंचा
कैदियों के मन में इसे वृहद रूप में करने का विचार आया, जिसके बाद जेल में निरूद्व बंदी, जो सीताराम लेखन में रुचि रखते हैं, उन्होंने इसका लेखन शुरू किया, लगभग पांच सौ बंदियों के द्वारा लिखा गया सीताराम लेखन आज 18 करोड़ तक जा पहुंचा है।
मुस्लिम ने भी लिखा सीताराम लेखन
केन्द्रीय कारागार में निरुद्व बंदी हुसैन पठान के द्वारा भी सीताराम लेखन कार्य किया गया है। हुसैन कहते हैं, कि उन्हे अपने देश की संस्कृति से बहुत प्यार है और सभी धर्मो का आदर करते हैं।
रक्त से भगवान श्रीराम का चित्र बनाया था
अयोध्या स्थित राम मंदिर में प्रतिमा स्थापना के दौरान भी हुसैन ने अपने रक्त से भगवान श्रीराम का चित्र बनाया था, जियका समाचार देश भर में सुर्खियां बना। उन्हे जब जेल में सीताराम लेखन की जानकारी लगी।
कापी का आखिरी पन्ना पूरा हुआ, जमानत मिली
हुसैन ने भी जेल अधिकारियों से सीताराम लेखन करने की इच्छा जाहिर की, जिसके बाद वे कापी में लेखन करने लगे और आश्चर्य की बात है, कि जैसे ही उनकी कापी का आखिरी पन्ना पूरा हुआ, उन्हे जमानत मिल गई।
पचास बंदियों से हुई शुरुआत सैकड़ों तक पहुंची
सीबी वर्मा बताते है, कि 50 बंदियों ने यह काम शुरू किया गया थ, लेकिन कुछ ही दिनों में संख्या सौ से अधिक हो गई। वर्तमान में जेल की चहारदीवारी में कैद 174 बंदी सीताराम नाम का लेखन कर रहे हैं।
पचास हजार से अधिक बार इस शब्द का लेखन कर चुके हैं
पचास ऐसे हैं, जो पचास हजार से अधिक बार इस शब्द का लेखन कर चुके हैं। इस कार्य में लगे बंदियों के व्यवहार में बदलाव देखकर जेल के बाकी कैदी काफी प्रसन्न है।
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