इंदौर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम होने जा रहा है। 16 फरवरी को यहां आयोजित होने वाली राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में पहली बार दक्षिण भारत से इतनी बड़ी संख्या में हिंदी साहित्यकार शामिल होंगे।
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डॉ. आरसु के नेतृत्व में केरल से आ रहे 19 विद्वान ‘भारतीय ज्ञान परंपरा में अनुवाद: चुनौतियां और संभावनाएं’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। शोध मंत्री डॉ. पुष्पेंद्र दुबे के अनुसार, 1910 में स्थापित इस संस्था के इतिहास में यह पहला अवसर है जब दक्षिण भारत से इतनी बड़ी संख्या में साहित्यकार एक साथ आ रहे हैं।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री घनश्याम यादव ने बताया कि संगोष्ठी सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक चलेगी। कार्यक्रम का उद्घाटन समिति के सभापति सत्यनारायण सत्तन, डॉ. आरसु, डॉ. अनीश सीरियक और प्रज्ञा द्विवेदी करेंगे। विभिन्न सत्रों में डॉ. अजय कुमार, डॉ. कला जोशी और डॉ. अंतरा करवडे जैसे विद्वान अपने विचार रखेंगे।
समापन सत्र में न्यायमूर्ति वी.डी. ज्ञानी, सांसद शंकर लालवानी, वी.एस. कोकजे और पी. बाबूजी उपस्थित रहेंगे। प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने बताया कि कार्यक्रम में शोधार्थी अपने आलेख प्रस्तुत करेंगे। विशिष्ट अतिथियों में डॉ. शीना इप्पन और सपना पंकज सोलंकी भी अपने विचार साझा करेंगी। शहर की सभी प्रमुख साहित्यिक संस्थाएं और साहित्यकार इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
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