शिकायत करता किसान गणेश मालवीय।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों को ठगने के एक बहुचर्चित मामले में बुधवार को कोतवाली पुलिस ने इंदौर की ऊवैगों कंपनी के डायरेक्टर समेत दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। पुलिस इस मामले में उद्यानिकी विभाग की तत्कालीन उप संचालक की
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कोतवाली पुलिस ने आज किसान गणेश मालवीय पिता स्व.श्री मल्लूजी मालवी (72) निवासी बडोरा की शिकायत पर धोखाधड़ी का यह मामला दर्ज किया। कोतवाली टीआई देवकरण डेहरिया ने बताया कि किसान की शिकायत पर प्रथम दृष्टया मामला ठगी का पाए जाने पर धारा 406, 420 के तहत आवेदन में दिए गए कंपनी संचालक मयूर,और जायसवाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले में तत्कालीन उप संचालक की भूमिका की भी जांच की जाएगी।विभाग से पत्र व्यवहार कर जानकारी ली जाएगी।
2018 में उद्यानिकी विभाग ने किया था एग्रीमेंट
वर्ष 2017-2018 में उद्यानिकी विभाग बैतूल में पदस्थ उपसंचालक आशा उपवंशी द्वारा जिला पंचायत भवन के सभागार में किसानों की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें बैतूल के करीब 100 किसान एकत्रित हुए थे। बैठक में UWEGO Agri solution pvt. Ltd. INDORE के संचालक मयूर जोशी और जायस्वाल करके अधिकारी थे। मयूर जोशी और जायस्वाल ने बैठक में बताया था कि हम लोग किसानों को एक मुनगा का पौधा 20 रुपए में देंगे और उस पौधा का अगले 05 साल तक देखरेख करेंगे, 5 साल तक उस पौधे की पत्तियां भी किसानों से खरीदेंगे। जिससे किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष करीब एक से देढ़ लाख रुपए का फायदा होगा। जिसका कंपनी की ओर से विधिवत एग्रीमेंट भी किया जाएगा। कंपनी ने संचालक के साथ उद्यानिकी विभाग के साथ मिलकर दिनांक 1 सितंबर 2018 को 2 एकड़ भूमि में मुनगा के पौधे लगाने का एग्रीमेंट कर लिया।
मुनगा के पौधे, जो कुछ समय बाद सुख गए।
यह था पूरा मामला दरअसल उद्यानिकी विभाग के लगभग 500 किसानों को चिन्हित कर उन्हें मुनगा की खेती करने के लिए प्रेरित किया था। इसके लिए जिन किसानों से एग्रीमेंट करवाए थे, उस अनुबंध में स्पष्ट था कि किसी भी विवाद की स्थिति में उद्यानिकी विभाग कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करवाएगा, लेकिन कुछ दिन बाद ही जब किसानों को पौधे नहीं मिले और जिन किसानों ने पौधे लगाए वह मर गए, तब इन किसानों ने अपना पैसा वापस करने के लिए उद्यानिकी विभाग के सामने गुहार लगाई। उस वक्त इन किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया गया।
पीड़ित किसानों ने न्याय पाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्टर, एसपी, एसडीएम और पुलिस थानों में आवेदन किए थे, लेकिन इनके आवेदनों पर कोई विचार नहीं हुआ। कलेक्टर को जब किसानों ने शिकायत की तो इस मामले की जांच कृषि विभाग को दी गई है। कृषि विभाग में पदस्थ सहायक संचालक दीपक सरेआम को जांच अधिकारी बनाया है। कृषि विभाग को 97 किसानों की एक सूची दी गई है जिन किसानों से कंपनी का अनुबंध हुआ था।। हालांकि, यह मामला प्रदेश के तत्कालीन कृषि मंत्री कमल पटेल के पास भी पहुंचा तो उन्होंने एफआईआर का आश्वासन दिया था ।
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