खरगोन जिले के गोगावां निवासी जगदीश जोशीला को साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा है। इसकी घोषणा रविवार शाम हुई। निमाड़ी साहित्य के पुरोधा के रूप में विख्यात जोशीला ने हिंदी और निमाड़ी भाषा में कुल 5
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6वीं कक्षा से लेखन की शुरुआत की
3 जून 1949 को जन्मे जोशीला ने 6वीं कक्षा से ही लेखन की शुरुआत कर दी थी। उन्होंने निमाड़ के महान व्यक्तित्वों पर महत्वपूर्ण उपन्यास लिखे, जिनमें टंट्या भील, सिंगाजी (778 पृष्ठ), लोकमाता अहिल्याबाई (दो भागों में 800 पृष्ठ) और हाल ही में 2024 में प्रकाशित आदि गुरु शंकराचार्य पर उपन्यास शामिल हैं।
1990 में जनता दल से लड़ा चुनाव
जोशीला का राजनीतिक जीवन भी रहा है। उन्होंने 1980 में लोकदल, 1985 में जनता पार्टी और 1990 में जनता दल से खरगोन विधानसभा का चुनाव लड़ा। हालांकि, 1990 के बाद उन्होंने पूरी तरह से खुद को साहित्य को समर्पित कर दिया। 2010 में तत्कालीन खरगोन कलेक्टर ने उनके नाम की पद्मश्री के लिए अनुशंसा की थी, जो 15 साल बाद स्वीकृत हुई।
लोगों ने दी बधाई
समाजवादी विचारधारा से जुड़े जोशीला के बड़े भाई सदाशिव कौतुक भी साहित्य जगत का प्रसिद्ध नाम हैं। उनका एक बेटा नवीन जोशीला और दो बेटियां हैं। वे पहले से ही कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। पद्मश्री की घोषणा के बाद से उनके घर लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं।
जोशीला बोले- निमाड़ी को भाषा बनाना है
पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर जोशीला ने भारत सरकार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने इसे मां निमाड़ी और निमाड़ी जनता की उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी मां सरस्वती की कृपा से सनातन धर्म और मानवता की सेवा करता रहूंगा।
उन्होंने निमाड़वासियों से अपील करते हुए कहा कि मातृभाषा ही हमारे जीवन का आधार है। जितनी सहजता से हम अपनी मातृभाषा को समझते हैं, अन्य भाषा को नहीं समझ सकते। उन्होंने सभी निमाड़वासियों से निवेदन किया कि निमाड़ी को भाषा बनाने के लिए अपने घर में बच्चों से आम जीवन में निमाड़ी भाषा का उपयोग करें। साथ ही निमाड़ी को भारत की भाषा दिलवाने के अपना अमूल्य सहयोग करें।
जगदीश जोशीला के घर लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं।
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