राधौगढ़ के खाद वितरण केंद्र पर लगीं किसानों की कतारें।
जिले के दोनों कांग्रेस विधायक खाद की समस्या को लेकर मुखर हैं। राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने जहां मंत्री विश्वास सारंग के पर्याप्त खाद के दावों पर सवाल उठाया, तो वहीं बमोरी विधायक ने विधानसभा में खाद को लेकर अपनी बात रखी।
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बता दें कि दस दिन पहले तक किसानों को DAP की जरूरत थी। अब उन्हें यूरिया की जरूरत पड़ रही है। हर तीन चार दिन में यूरिया आ जरूर रहा है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। वितरण केंद्रों पर बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रहा है। स्थिति ये है कि कृषि विभाग को रोज यह बुलेटिन जारी करना पड़ रहा है कि किस वितरण केंद्र प कितना यूरिया उपलब्ध है। हालांकि, शनिवार शाम को स्थिति में जिले के सात डबल लॉक केंद्रों ने से केवल तीन पर ही यूरिया उपलब्ध है। बाकी चार पर यूरिया खत्म हो चुका है।
शनिवार को राघौगढ़ इलाके में वितरण केंद्र पर किसानों की लंबी लाइनें लगी रहीं। इसे लेकर राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने मंत्री विश्वास सारंग के पर्याप्त खाद के दावे पर सवाल उठाए जयवर्धन सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा- “माननीय मंत्री विश्वास सारंग जी, किसानों की समस्याओं को लेकर आपके दावे और जमीनी सच्चाई में भारी अंतर है। राघौगढ़ डबल लोक केंद्र पर किसान सुबह 5 बजे से खाद के लिए लाइन में खड़े हैं, लेकिन अभी तक केवल एक ही काउंटर चल रहा है। यह आपकी सरकार की विफलता को साफ दिखाता है।
आप विधानसभा में दावा करते हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है, फिर किसानों को घंटों लाइन में क्यों लगना पड़ रहा है? काउंटर की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जा रही? क्या आपकी सरकार को किसानों की दुर्दशा दिखाई नहीं दे रही, या यह जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है? किसानों से झूठे वादे करना बंद करें और उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान करें।”
जयवर्धन सिंह ने राघौगढ़ में किसानों की कतारें दिखाईं।
बमौरी विधायक ने विधानसभा में उठाया सवाल
वहीं, शनिवार को बमोरी विधायक ऋषि अग्रवाल का विधानसभा का एक वीडियो सामने आया। इसमें वह खाद की समस्या पर सवाल उठाते हुए दिखे। उन्होंने कहा कि सरकार डीएपी उपलब्ध कराने के मामले में पूरी तरह विफल रही है। भाजपा की ओर से 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का वायदा किया गया था, जबकि हालात इसके विपरीत हैं। हाल ही में किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी उपलब्ध नहीं हो सका। इस दौरान सरकार और कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को एनपीके उपयोग करने का दबाव बनाते रहे। जबकि किसान और विभाग दोनों ही अच्छी तरह जानते हैं कि डीएपी से बोवनी करने पर केवल 1100 रुपए प्रति एकड़ खर्च आता है। वहीं एनपीके सहित अन्य उर्वरक उपयोग करने पर लागत 2400 रुपए प्रति एकड़ तक खर्चा पहुंच जाता है।
सदन में अपनी बात रखते बमोरी विधायक ऋषि अग्रवाल।
उन्होंने कहा कि यह प्रमाण है कि सरकार ने किसान की आय को दोगुना करने की बजाए बोवनी की लागत को कई गुना पहुंचा दिया है। अग्रवाल ने बताया कि गुना जिले में ही 25 हजार मीट्रिक टन डीएपी की मांग की थी, जबकि वहां सिर्फ 15 हजार मीट्रिक टन खाद उपलब्ध कराया गया। खाद की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता नहीं हो पाने की वजह से किसानों को अपने परिवार के साथ दिन-रात लाइन में खड़ा रहना पड़ा, यह पीड़ादायक था।
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