मध्य प्रदेश में हर साल एक लाख से अधिक स्कूली खिलाड़ी शालेय खेलों में हिस्सा लेते हैं। इनमें से कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हैं। प्रदेश के ये खिलाड़ी हर साल 400 से अधिक गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर राज्य का नाम रोशन
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खेलों के आयोजन पर करीब 8 करोड़ रुपए खर्च करती है। लेकिन, जब इन मेडल और सर्टिफिकेट्स से प्रतियोगी परीक्षाओं या नौकरी की बात आती है, तो उनकी कीमत शून्य हो जाती है। छात्रों को खेल विभाग न कोई अवॉर्ड देता है न स्कॉलरशिप। दूसरी ओर उप्र, हरियाणा, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों में नौकरी में कैश प्राइज मनी व बोनस अंक मिलते हैं।
बाकी राज्यों में ऐसा नहीं : मप्र-गुजरात और महाराष्ट्र में सिर्फ प्राइज मनी
मप्र : गोल्ड मैडल पर 10 हजार, सिल्वर पर 7500 और ब्रॉन्ज पर 5000 रु. दिए जाते हैं। मेडल लाने पर सिर्फ कैश प्राइज मनी और सरकारी कॉलेज में प्रवेश के लिए बोनस अंक मिलते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं या सरकारी नौकरियों में महत्व नहीं दिया जाता। द्रोणाचार्य, एकलव्य, विक्रम अवार्ड में भी कोई अंक नहीं जोड़ा जाता।
राजस्थान : प्रत्येक संभाग में स्कूली बच्चों के लिए एक स्पोर्टस कॉम्पलेक्स बनाया जा रहा है। 150 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। 10 से 12 वीं तक के जो छात्र खेलों में हिस्सा लेते हैं, उन्हें एक साल की छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है। नौकरी और प्रवेश में बोनस अंक का प्रावधान।
उत्तरप्रदेश : स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले को एक लाख रुपए का नगद पुरस्कार मिलता है। सरकारी नौकरी में भी इन मेडल के आधार पर बोनस अंक दिए जा रहे हैं।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में अंडर-14, 17 और 19 कैटेगरी में जिला स्तर पर टॉप तीन स्कूलों को क्रमशः 1 लाख, 75 हजार, और 50 हजार रुपए दिए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर में पदक जीतने पर 7 लाख, 4-10वें स्थान पर आने पर 3 लाख और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर 2 लाख रुपए मिलते हैं।
गुजरात : स्पोर्टस पॉलिसी 2022–27 में स्कूल गेम्स को शामिल किया है। नेशनल गेम्स में गोल्ड मिलने पर 3 लाख, सिल्वर पर 2 लाख, ब्रांज मेडल जीतने वाले को 1 लाख रुपए की प्राइज मनी है।
बिहार : वर्ष 2010 में बनाई गई पॉलिसी में स्कूल स्तर के खिलाड़ी को भी शामिल किया गया। चयनित स्कूली खिलाड़ियों को 3 लाख रुपए प्रति छात्र दिए जाएंगे। प्रवेश में बोनस अंक पहले से मिल रहे हैं।
हरियाणा :स्कूली स्तर के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय खेलों में पदक जीतने वाले छात्रों को हरियाणा में सरकारी नौकरियों में बोनस अंक दिए जाते हैं।
तैयारी ऐसी भी… मप्र में बीते दो साल से स्पोर्टस डायरेक्टर ही स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट हैं। साथ ही शालेय खेलों को खेल विभाग के साथ जोड़कर आयोजन की तैयारी भी चल रही है। इस मामले में जब स्पोटर्स डायरेक्टर मप्र और एसजीएफआई के वाइस प्रेसीडेंट रवि कुमार गुप्ता से सवाल किए तो कोई जवाब नहीं आए।
शिक्षा मंत्री बोले- स्कूल में इसकी जरूरत नहीं बड़ी प्रतियोगिता में मैडल पर खेल विभाग सीधे नौकरी देता है। स्कूल स्तर पर अभी इसकी जरूरत नहीं है।-राव उदय प्रताप सिंह, मंत्री, स्कूल शिक्षा
खेल मंत्री बोले- इसकी तो अभी चर्चा भी नहीं हम एसजीएफआई के साथ मिलकर खेल आयोजन करेंगे। रही बात अवॉर्ड में वैटेज की दोनों खेल अलग हैं। इस बारे में फिलहाल चर्चा नहीं है।’ -विश्वास सारंग, मंत्री, खेल-युवक कल्याण
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