घरों में स्कूल चलाए जा रहे हैं।
जिले में कोचिंग के नाम पर स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। इनमें पढ़ने वाले बच्चों को बाकायदा ड्रेस भी दी गई है। हालांकि, इनके पास स्कूल चलाने की मान्यता तक नहीं है। यह प्राइवेट स्कूल गांव में हैं। इनमें से एक स्कूल ने मान्यता लेने के लिए आवेदन किया
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दरअसल, जिपं उपाध्यक्ष और शिक्षा समिति अध्यक्ष सारिका क्षितिज लुंबा सोमवार को स्कूलों का निरीक्षण करने पहुंचीं थी। वह तिल्लीखेड़ा गांव में पहुंची, यहां एक बिल्डिंग में कुछ बच्चे स्कूल ड्रेस में दिखे।
टीम जब मौके पर पहुंची, तो यहां दो कमरों में क्लास चल रही थीं। यह एक घर में संचालित था। घर के आधे हिस्से में बने तीन कमरों में दो में क्लास और एक में ऑफिस था। दूर हिस्से में एक तरफ मवेशी बंधे हुए थे। दूसरी तरफ परिजनों के रहने के कमरे थे।
इसी दौरान ऑफिस में से एक युवक निकलकर आया। उससे स्कूल का नाम पूछा तो उसने कोचिंग चलने की बात कही। उससे टीम ने पूछा कि फिर मान्यता के लिए आवेदन क्यों किया है, तो उसने बताया कि वो तो गुना शहर के स्कूल लिए किया है। बाहर स्कूल का नाम भी नहीं लिखा हुआ था।
गुना के स्कूल का रजिस्ट्रेशन नंबर मिला
उपाध्यक्ष ने ऑफिस में जाकर देखा तो वहां नाम का बैनर लगा हुआ था। इस पर “स्वामी विवेकानंद अकादमी तिल्लीखेड़ा” लिखा हुआ था। साथ ही एक रजिस्ट्रेशन नंबर और DISE कोड(शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता होने पर स्कूलों को मिलता है) लिखा हुआ था। उन्होंने जब युवक से पूछा कि जब स्कूल नहीं चल रहा तो रजिस्ट्रेशन नंबर और DISE कोड कैसे लिखा है। तो उस युवक ने बताया कि यह गुना के एक स्कूल के रजिस्ट्रेशन नंबर और DISE कोड हैं।
क्लास में केवल एक बल्ब लगाया गया है।
कमरे में एक बल्ब में हो रहे पढ़ाई
स्कूल में कमरों की हालत भी काफी खराब थी। इन कमरों में पर्याप्त रोशनी तक नहीं थी। उजाले के लिए केवल एक बल्ब लगा रखा था, जो काफी नहीं था। वहां तिरपाल पर बिठाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। वहीं BA पास शिक्षक कक्षा 1 से 10 तक के बच्चों को पढ़ा रहा था।
बच्चों को ड्रेस तक बनवाई गई हैं।
स्कूल के सामने परिसर में दो वाहन भी खड़े दिखे, इन्हीं से बच्चों को अलग-अलग गांव से स्कूल तक लाया जाता है। ये दोनों गाड़ियां खटारा स्थिति में थीं। दोनों की लाइट फूटी हुई थी। वहां सीटें भी खराब स्थिति में थीं। इसके अलावा बच्चों के लिए बाकायदा ड्रेस तक बनवाई गई है, जबकि संचालक का कहना था कि यहां स्कूल नहीं कोचिंग का संचालन होता है।
दूसरे स्कूल का रजिस्ट्रेशन नंबर और DISE कोड इस्तेमाल किया जा रहा था।
दो कमरों में चल रहा बिना नाम का स्कूल
इसके बाद उपाध्यक्ष आरोन रोड पर छीपोन गांव से पहले एक बिल्डिंग में पहुंचीं। यहां भी एक घर में स्कूल का संचालन हो रहा था। सबसे आगे एक दुकान में ऑफिस बना हुआ था। उसके पीछे दो कमरों में बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। एक कमरे में कक्षा एक से चार और दूसरे कमरे में कक्षा पांच से आठवीं तक के बच्चे बैठे हुए थे। इस स्कूल पर नाम का कोई बोर्ड नहीं था।
दुकान में स्कूल चलता हुआ मिला।
वहां मौजूद युवक से जब पूछा तो उसने बताया कि स्कूल संचालक गुना गए हैं, मान्यता के लिए आवेदन करना है। इस स्कूल में भी दो कमरों के अलावा बाकी हिस्से में परिवार के रहने की जगह है। युवक ने टीम को बताया कि BA किया है। वहीं दूसरे कमरे में पढ़ा रहीं शिक्षिका ने B.Sc तक पढ़ना बताया।
मामले में DEO चंद्रशेखर सिसोदिया ने बताया-
कक्षा एक से 8 तक के स्कूलों की मान्यता DPC कार्यालय से जारी होती है। वहीं हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री स्कूलों की मान्यता DEO कार्यालय से होती है। आपके जरिए ये मामला संज्ञान में आया है कि तिल्लीखेड़ा में ऐसा स्कूल चल रहा है। इस मामले को DPC से कहकर दिखवाते हैं। जो भी तथ्य निकलकर आएंगे, उनके अनुसार आगे की कार्रवाई करेंगे।
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