प्रदेश में ग्वालियर को सबसे प्रदूषित शहर बताने वाली इंदौर आईआईटी की रिपोर्ट पर आईआईटी कानपुर ने असहमति जताई है। इंदौर की सैटेलाइट आधारित स्टडी रिपोर्ट में ग्वालियर का पीएम-2.5 का सालाना औसतन 44.77 बताया गया। जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 5 माइक्रोग्राम प्र
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आईआईटी कानपुर के प्रो.मुकेश शर्मा के अनुसार, सैटेलाइट आधारित स्टडी का ग्राउंड लेवल के डेटा से सत्यापन करना बेहद जरूरी होता है। हमारी टीम ने ग्वालियर में पांच अलग-अलग स्थानों पर गर्मी और सर्दी के मौसम में अलग-अलग दिन अत्याधुनिक मशीनों के माध्यम से मॉनिटरिंग की। ग्वालियर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों पर उड़ने वाली धूल है। यहां ना तो वाहनों और ना ही उद्योगों से निकलना वाला धुआं चिंता का विषय है। इसी के आधार पर हमने प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय भी बताए हैं। जबकि सैटेलाइट रिपोर्ट में तथ्य समझ से परे हैं।
ऐसे समझें… पीएम-10 व 2.5 के बढ़ते स्तर का प्रमुख कारण
आईआईटी कानपुर ने ग्वालियर के वायु प्रदूषण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसमें ना केवल प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण, बल्कि प्रदूषक तत्वों की उत्पत्ति का भी उल्लेख किया है। इसमें पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) यानी कि धूल के कण को वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बताया गया है। पीएम-10 का आकार बड़ा, जबकि 2.5 का छोटा होता है। आकार छोटा होने के कारण पीएम-2.5 के कण लंबे समय तक वातावरण में तैरते रहते हैं।
1. पीएम-10 के बढ़ने का कारण: सड़कों की धूल (88%), वाहन (7%), ईंट के भट्टे (2%), शेष में अस्पताल, उद्योग, खुले में कचरा जलाना, डीजी सेट, होटल इत्यादि। 2. पीएम-2.5 बढ़ने का कारण: सड़कों की धूल (67%), वाहन (22%), ईंट के भट्टे (4%), घरेलू (3%), इंडस्ट्रियल डीजी सेट (2%), होटल (2%), शेष में सीएंडडी वेस्ट। 3. कॉर्बन मोनोआक्साइड (सीओ) बढ़ने का कारण: वाहन (63%), उद्योग (19%), घरेलू (12%), अस्पताल (4%), ईंट भट्टे और होटल (2-2%)। शेष में डीजी सेट इत्यादि।
भास्कर एक्सपर्ट – -एके सक्सेना, एसो. प्रोफेसर, एमआईटीएस
इंदौर की रिपोर्ट में खामियां, भौगोलिक सत्यापन ही नहीं आईआईटी इंदौर की स्टडी रिपोर्ट के आंकड़ों का ग्राउंड रिएलिटी से सत्यापन अतिआवश्यक है। इस कारण यह रिपोर्ट पहली नजर मेंे स्पष्ट्र नहीं है। ग्वालियर की भौगोलिक स्थिति और वायु प्रदूषण के घटते-बढ़ते ट्रेंड को देखते हुए सड़कों पर उड़ने वाली धूल को पीएम-2.5 व 10 बढ़ते स्तर का प्रमुख कारण माना जाता है। जबकि आईआईटी इंदौर ने दिल्ली से आने वाला प्रदूषण व कोयला, पीएम-2.5 बढ़ने का प्रमुख कारण बताया है। अत: आईआईटी इंदौर द्वारा बताए गए कारण तार्किक प्रतीत नहीं होते हैं।
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