0

चिंताजनक स्थिति: मप्र में जापानी बुखार के मामले 65% बढ़े, असम के बाद सबसे ज्यादा 52 केस मिले – Bhopal News

जापानी बुखार (जेई) यानी इन्सेफेलाइटिस के मामले मिलने में मप्र देश में दूसरे स्थान पर आ गया है। 2024 के आंकड़ों के आधार पर मध्य प्रदेश में जापानी बुखार के मामलों में 65 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। 1 जनवरी से 30 सितंबर तक प्रदेश में जापानी बुखार

.

हालांकि अन्य राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश में 25 और बिहार में 18 मामले ही दर्ज हुए हैं। वहीं बीते साल प्रदेश में सिर्फ 34 मामले ही दर्ज किए गए थे। हालांकि यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार ने नेशनल हेल्थ मिशन के जरिए छह जिले भोपाल, इंदौर, विदिशा, रायसेन, नर्मदापुरम और सागर में 10 लाख 51 हजार 312 बच्चों को इससे बचने के लिए वैक्सीन लगाने का दावा किया है।

स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को जारी किया अलर्ट

अच्छी बात यह है कि जापानी बुखार से एक भी मौत होना नहीं बताया गया है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को अलर्ट जारी किया गया है। पत्र जारी कर कहा गया है कि किसी मरीज में जापानी बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं या थोड़ी भी शंका हो तो उसकी जानकारी तुरंत विभाग को दी जाए। मरीज का सैंपल तुरंत जांच के लिए भेजने की बात भी कही है।

नियमित टीकाकरण में शामिल करने की तैयारी नियमित टीकाकरण में जेई के वैक्सीनेशन को शामिल करने की तैयारियां चल रही हैं। इसके तहत 9 माह से 12 साल तक के बच्चे को पहला और 14 से 16 साल के बच्चों को जेई वैक्सीन का दूसरा डोज लगाने की तैयारी है।

जून से अक्टूबर तक बढ़ते हैं केस, ठंड में कम हो जाते हैं

इस बीमारी के वाहक मच्छर होते हैं। यह रोग विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और कम प्रतिरक्षा क्षमता वाले व्यक्तियों में अधिक होता है। डब्‍ल्‍यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि इंसेफेलाइटिस के मामलों की शुरुआत जून माह में हो जाती है और इसके ज्‍यादातर केस जुलाई से अक्टूबर माह तक आते हैं। सर्दियां आते-आते जापानी बुखार खत्‍म होने लगता है। इसका प्रकोप ज्यादातर उन जगहों पर होता है जहां अधिक समय तक पानी भरा रहता है जैसे चावल के खेत। बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है।

6 सालों में जापानी बुखार के मध्य प्रदेश में मामले

50% संक्रमितों में दोबारा होने का रहता है खतरा जापानी इंसेफेलाइटिस संक्रमण के बाद विषाणु व्यक्ति के मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी सहित केंद्रीय नाड़ी तंत्र में प्रवेश कर जाता है। गंभीर मामलों में सिर दर्द व ब्रेन टिशूज की सूजन की समस्या हो सकती है । अन्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द , कपकपी, उल्टी, तेज बुखार है । उपचार नहीं करवाने पर मृत्यु भी हो सकती है। जिनकी जान बच जाती है। उनमें से भी 50% केसों में दोबारा बीमारी हाेने का खतरा रहता है।

#चतजनक #सथत #मपर #म #जपन #बखर #क #ममल #बढ #असम #क #बद #सबस #जयद #कस #मल #Bhopal #News
#चतजनक #सथत #मपर #म #जपन #बखर #क #ममल #बढ #असम #क #बद #सबस #जयद #कस #मल #Bhopal #News

Source link