भोपाल की चौक धर्मशाला में निरंतर धर्म की गंगा बह रही है, जहां आर्यिका संघ के मंगलमई चातुर्मास के उपरांत विभिन्न साधु-संतों का आगमन हो रहा है। वर्तमान में परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि श्री निर्णय सागर महाराज ने यहां अपना आशीर्
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मुनि श्री ने कहा, “जब तक हम पापों से मुक्त नहीं होंगे, तब तक धर्म और पुण्य की दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते।”
मुनिश्री के प्रवचनों का लाभ लेते श्रद्धालु।
मुनि श्री निर्णय सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा, “मनुष्य को यदि धर्म करना है तो उसे जीवन में पापों से बचना होगा। उसे पापों से मुक्त रहकर जीवन जीना होगा। साथ ही हिंसा और दान से बचना भी जरूरी है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “जो व्यक्ति हिंसा करने के उपकरण जैसे तलवार, चाकू आदि वस्तुओं का उपयोग करता है, उसे इन्हें दूसरों को देने से भी बचना चाहिए। हमें हिंसा के विचारों से भी दूर रहना चाहिए।”
इस अवसर पर कई श्रद्धालुजन धर्म सभा में उपस्थित थे, जिनमें मनोज आर एम, अरविंद जैन, रोडवेज, पवन सुपर, और अरविंद ज्ञानी प्रमुख थे।
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