केसली ब्लॉक के सहजपुर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 23 सितंबर को छात्र-छात्रा आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए। इसका वीडियो भी वायरल हुअा। इस मामले में डीईअो ने प्राचार्य हरि पचौरी का दूसरे स्कूल में ट्रांसफर कर दिया।
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वहीं प्राचार्य ने तीन अतिथि शिक्षकों को दो माह का वेतन दिए बिना ही कार्यमुक्त कर दिया, लेकिन अतिथि शिक्षकों का कहना है कि छात्र-छात्रा का वीडियो उन्होंने वायरल नहीं किया। जिन तीन अतिथि शिक्षकों पर कार्रवाई की है घटना के वक्त इनमें से दो अतिथि शिक्षक स्कूल में मौजूद ही नहीं थे। वहीं महिला शिक्षिका के नाम के सामने प्राचार्य हरि पचौरी ने पोर्टल पर बुरा चरित्र लिख दिया।
महिला शिक्षिका का कहना है कि बिना किसी जांच व सबूत के प्राचार्य ने चरित्र को लेकर गंभीर आरोप लगाकर उन्हें बदनाम किया है। तत्कालीन स्कूल प्राचार्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। अधिकारियों का भी मानना है कि प्राचार्य को ऐसा नहीं लिखना था।
घटना के वक्त जो अतिथि शिक्षक स्कूल में मौजूद ही नहीं, वे मामले में दोषी कैसे?
अतिथि शिक्षक का कहना– रजिस्टर में अनुपस्थित दर्ज फिर भी आरोपी बना दिया
- अतिथि शिक्षक देवेंद्र पटेल : आपत्तिजनक वीडियो वायरल की घटना 23 सितंबर की है। मैं 23 सितंबर को स्कूल में नहीं था। उपस्थिति रजिस्टर में अनुपस्थित दर्ज है। घटना के समय मैं सागर में था। इसके बाद भी एकतरफा झूठी कार्रवाई करते हुए आरोपी बनाकर कार्यमुक्त कर दिया।
- अतिथि शिक्षक धर्मेंद्र पटेल : जिस सरकारी स्कूल की यह घटना है मैं वहां पदस्थ ही नहीं हूं। मैं वहां से 7 किलोमीटर दूर संकुल केंद्र सहजपुर के अंतर्गत शासकीय माध्यमिक शाला अनघोरी में पदस्थ हूं। घटना के वक्त मैं अनघोरी के स्कूल में उपस्थित था। फिर भी 7 किलोमीटर दूर हुई घटना में मुझे आरोपी बनाकर कार्यमुक्त कर दिया।
- अतिथि महिला शिक्षिका : वायरल वीडियो की घटना नई बिल्डिंग की है। घटना के वक्त में स्कूल की पुरानी बिल्डिंग के कक्ष क्रमांक-1 में त्रैमासिक परीक्षा करा रही थी। घटना के बाद मैं वहां पहुंची तो पीड़ित छात्रा घबराई थी। प्राचार्य के कहने पर मैंने उसे अपने पास बैठाया। वही सीसीटीवी फुटेज जांच टीम को दिखाकर मामले में फंसा दिया।
डीईओ ने प्राचार्य को तो प्राचार्य ने अतिथि शिक्षकों को हटाया वायरल वीडियो मामले में डीईओ ने 27 सितंबर को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहजपुर के प्रभारी प्राचार्य हरि पचौरी को हटा दिया। इसकी भनक लगते ही प्राचार्य ने उसी दिन स्थापना शाखा के लिपिक सीताराम विश्वकर्मा से डीडीओ पासवर्ड लेकर तीनों अतिथि शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया और पोर्टल से नाम हटा दिया।
शिक्षक देवेंद्र पटेल और धर्मेंद्र पटेल के नाम के सामने अनाधिकृत व्यक्ति लिखा और महिला शिक्षक के नाम के सामने बुरा चरित्र लिख दिया। बिना किसी सबूत के प्राचार्य ने महिला के चरित्र पर गंभीर आरोप लगा दिए।
दो माह में 26 आवेदन दिए लेकिन सुनवाई नहीं हुई एकतरफा कार्रवाई से परेशान तीनों अतिथि शिक्षकों ने दो माह में 26 आवेदन दिए लेकिन किसी भी स्तर पर उनकी सुनवाई नहीं हुई। दो माह में जिला शिक्षा अधिकारी को चार, कलेक्टर को दो, जेडी को तीन, लोक शिक्षण संचालनालय में पांच, जिला पंचायत अध्यक्ष को एक, उपाध्यक्ष को दो, देवरी विधायक को तीन, सागर विधायक को दो, प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ल को दो, सीएम हाउस में एक और स्कूल शिक्षा मंत्री को एक बार आवेदन देकर न्याय की गुहार लगा चुके हैं।
तीनों अतिथि शिक्षकों की मांगें
- महिला शिक्षिका के नाम के सामने बुरा चरित्र किस आधार पर लिखा?
- बुरा चरित्र लिखने पर संबंधित पर एफआईआर हो।
- वीडियो वायरल मामले में निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो।
- तीनों अतिथि शिक्षकों को बहाल कर ज्वाइन कराया जाए।
- दो माह का वेतन नहीं दिया। रुके हुए वेतन का जल्द भुगतान हो।
तीनों की कोई भूमिका नहीं, आप डीईओ से बात करें
तीनों अतिथि शिक्षकों की वायरल वीडियो मामले में कोई भूमिका ही नहीं थी। हमने अपनी रिपोर्ट में यही कहा था, आगे आप डीईओ कार्यालय में बात कर लीजिए। – आरके गुप्ता, जांच अधिकारी
मेरी जांच में अतिथि शिक्षकों के खिलाफ सबूत नहीं
जब तक मैं जांच कर रहा था तब तक ऐसा कोई भी तथ्य सामने नहीं आया, जिसके आधार पर कह सकें कि वीडियो वायरल मामले में तीनों अतिथि शिक्षकों की किसी तरह की कोई भूमिका है। फिर मेरा ट्रांसफर हो गया। – अनिल बैगा, तत्कालीन थाना प्रभारी, केसली
पोर्टल से बुरा चरित्र शब्द हटवाने का प्रयास कर रहे
पोर्टल से महिला शिक्षिका के नाम के सामने से बुरा चरित्र शब्द हटवा रहे हैं। प्राचार्य को ऐसा नहीं लिखना चाहिए। मामले में जांच की गई थी। इसके बाद ही कार्रवाई हुई है। – अरविंद जैन, जिला शिक्षा अधिकारी
मामले में प्राचार्य को नोटिस दिया है, जवाब का इंतजार
बुरा चरित्र लिखने पर प्राचार्य हरि पचौरी को नोटिस दिया गया है। डीईओ से कहा है कि वे यह शब्द पोर्टल से हटवाएं। एक बार फीडिंग होने के बाद भोपाल से ही संशोधन होता है।- मनीष वर्मा, जेडी, स्कूल शिक्षा
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