परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के चार ठिकानों पर शुक्रवार को ईडी ने छापे मारे। इसमें उसके नजदीकी शरद जायसवाल का मकान भी है। ईडी को यहां से नकदी और प्रॉपर्टी में निवेश के दस्तावेज मिले हैं।
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ईडी जब ये कार्रवाई कर रही थी उसी दौरान एक डाकिया सौरभ के दोनों बेटों के पासपोर्ट लेकर पहुंचा। इन पासपोर्ट को उन्हें विदेश ले जाने से जोड़कर देखा जा रहा है। ये भी पता चला कि सौरभ छापे से चार दिन पहले यानी 15 दिसंबर को पत्नी दिव्या के साथ दुबई गया था। उसे 21 दिसंबर को वापस लौटना था।
दोनों बेटे दादी के पास रह रहे थे। सौरभ के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया है। जिला अदालत ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी है। पढ़िए लोकायुक्त के आठ दिन बाद मारे गए छापों में ईडी को क्या-क्या मिला…
सौरभ के किस ठिकाने से क्या मिला…
1. ई- 7/98, अरेरा कॉलोनी: इस मकान में सौरभ परिवार के साथ 2 साल से रह रहा है। सूत्रों का कहना है कि ये मकान रोहित तिवारी ने खरीदा था। सौरभ को उसने 50 हजार रुपए महीने किराए पर ये मकान दिया है। लोकायुक्त की टीम ने इस घर पर छापा मारा था। क्या मिला- यहां से प्रॉपर्टी में निवेश के दस्तावेज और नकदी मिली है।
2. ई- 7/78, अरेरा कॉलोनी: सौरभ ने ये बंगला 2 महीने पहले ही खरीदा है। बताया जा रहा है कि ये बंगला बहुत दिनों से खाली था। यहां लोकायुक्त की टीम ने छापा नहीं मारा, लेकिन दो दिन पहले यहां पुलिस देखी गई है। ये भी पता चला कि इस घर की निगरानी के लिए पुलिस ने एक दूसरे मकान पर सीसीटीवी लगाया था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि किसी ने नहीं की। क्या मिला- ये मकान खाली था। यहां पर सर्चिंग के दौरान कुछ खास नहीं मिल पाया है।
3. ई- 7/ 657, अरेरा कॉलोनी: इस बंगले में सौरभ ने जयपुरिया स्कूल का ऑफिस बनाया हुआ था। इसमें ही उसका दोस्त चेतन सिंह गौर रहता था। लोकायुक्त को इसी मकान से 2 क्विंटल से ज्यादा चांदी की सिल्लियां मिली हैं। क्या मिला- जयपुरिया स्कूल में निवेश के कुछ दस्तावेज मिले हैं। खाली बैग मिले, जिन्हें नकदी के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
4. ई- 8/ 98, रेलवे कॉलोनी: इस मकान में शरद जायसवाल रहता है। शरद कंस्ट्रक्शन कंपनी अविरल में डायरेक्टर भी हैं। बताया जा रहा है कि शरद ने सौरभ के निवेश से जुड़ी अहम जानकारी ईडी को दी है। क्या मिला- प्रॉपर्टी में निवेश के दस्तावेज
इसके अलावा ग्वालियर में सौरभ शर्मा के सिटी सेंटर स्थित घर और जबलपुर में उसकी ससुराल के मकान में भी ईडी ने दिन भर सर्चिंग की। यहां से भी कुछ अहम दस्तावेज और बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी मिली है।
सौरभ के ठिकानों पर कार्रवाई करती ईडी की टीम।
छापे के दौरान बेटों का पासपोर्ट लेकर आया डाकिया ईडी जब इन ठिकानों पर कार्रवाई कर रही थी उसी वक्त दोपहर करीब 2 बजे ई–7/ 98 मकान पर एक डाकिया पहुंचा। डाकिया सौरभ के बेटों का पासपोर्ट लेकर आया था। दरअसल, सौरभ के दो बेटे हैं। एक की उम्र 11 साल और दूसरा 9 साल का है। दोनों भोपाल में ही पढ़ते हैं।
कहा जा रहा है कि सौरभ और उसकी पत्नी दिव्या छापे से 4 दिन पहले दुबई गए थे। 21 दिसंबर को उन्हें लौटना था, लेकिन लोकायुक्त का छापा पड़ने के बाद वह भोपाल नहीं लौटे। अब डाकिया पासपोर्ट लेकर आया तो माना जा रहा है कि सौरभ अपने बेटों को भी विदेश ले जाने की तैयारी में है।
सौरभ के ई- 7 स्थित 3 मकानों पर ईडी की कार्रवाई दिन भर चलती रही। इस दौरान ईडी अधिकारी सौरभ के दफ्तर में काम करने वालों को लेकर भी यहां पहुंचे। उनसे एक-एक दस्तावेजों की जानकारी ली। ताला तोड़ने वाले को बुलवाकर 3 ताले तुड़वाए गए।
ईडी के छापों के बीच सौरभ के बेटों के पासपोर्ट लेकर आया डाकिया।
लोकायुक्त छापे के 8 दिन बाद ईडी की कार्रवाई की कितनी अहमियत? इस बारे में भास्कर ने ईडी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह से बात की। उन्होंने कहा कि ईडी के काम करने का तौर-तरीका अलग होता है। ईडी का फोकस होता है मनी ट्रेल को समझना। यानी पैसा कहां से आया और कहां-कहां निवेश हुआ? उसमें कौन–कौन लोग शामिल हैं?
ईडी ने सर्चिंग की है तो उसकी वजह है। सर्विलांस से भी कुछ इनपुट मिलते हैं। उसी आधार पर एक्शन होता है। दूसरी वजह ये भी होती है कि एक एजेंसी की रेड के बाद कई बार आरोपी रिलैक्स हो जाते हैं। ऐसे में अहम दस्तावेज फिर उसी ठिकाने पर मिलते हैं।
उनसे पूछा कि एक अपराध में 4 जांच एजेंसियां शामिल हैं तो खींचतान की कितनी गुंजाइश है। इसके जवाब में सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि ऐसा पहली बार नहीं है। ईडी उन्हीं मामलों में एक्शन लेती है, जहां मनी लॉन्ड्रिंग की पूरी आशंका हो।
सौरभ के केस में चार एजेंसियां जांच कर रहीं सौरभ शर्मा के केस की जांच चार अलग-अलग एजेंसियां कर रही हैं। इसमें लोकायुक्त, इनकम टैक्स, डीआरआई और ईडी है। ये चारों अलग-अलग बिंदुओं पर जांच कर रही हैं।
डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई): जिस गाड़ी से 54 किलो सोना मिला है, वह सौरभ के दोस्त चेतन गौर के नाम से रजिस्टर्ड है। डीआरआई इस बात की जांच करेगी कि सोने में फॉरेन मार्क हैं या नहीं। ये भी देखा जाएगा कि ये लीगल तरीके से लिया गया है या नहीं। ऐसा नहीं हुआ तो वो इस बात की जांच करेगा कि ये कहां तैयार हुआ?
इनकम टैक्स: ये जांचेगा कि 54 किलो सोने का भुगतान कैसे हुआ? 2 लाख से ज्यादा का पेमेंट कैश में नहीं हो सकता। इससे ज्यादा नकद भुगतान होता है तो ये ब्लैकमनी माना जाता है। आज की तारीख में 10 ग्राम सोने की कीमत 78 हजार रुपए से ज्यादा है। ऐसे में एक किलो सोने की कीमत 78 लाख से ज्यादा और 54 किलो सोने की कीमत 42 करोड़ से ज्यादा है।
ईडी: इस बात की जांच करेगी कि अपराध से कमाए गए पैसे का ट्रेल क्या है? कौन-कौन लोग उसमें शामिल हैं? किस–किस के नाम बेनामी संपत्ति है?
लोकायुक्त: आय से ज्यादा संपत्ति के केस की जांच करेगा। ये देखेगा कि 7 साल की नौकरी के दौरान सौरभ की कितनी तनख्वाह थी और इस दौरान उसने कितनी प्रॉपर्टी बनाई।
सौरभ-चेतन के मोबाइल से मिले राजेश को 7 करोड़ देने के सबूत लोकायुक्त छापे में जब्त सामान से सौरभ शर्मा और चेतन सिंह गौर के बीच करोड़ों के ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ है। यह रकम अर्निवल बिल्डिंग बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड, रजौधा (देवास) के जरिए खपाई गई। देवास के राजेश पांडे को नकद राशि दी गई। कंपनी का पता तिरुमाला पैलेस के पास का है। फरवरी से नवंबर 2023 तक कुल 6 ट्रांजेक्शन में करीब 7.25 करोड़ रुपए भेजे गए । मोबाइल डेटा से पता चला कि पांडे को रकम देवास और इंदौर में भेजी गई। जांच एजेंसी बाकी सामानों की जांच कर रही है। इसमें और जानकारी सामने आ सकती है।
कॉलोनी निर्माण में खपाई जा रही थी नकदी जिन मोबाइल नंबरों की वाट्सएप चेटिंग डिटेल है, उसमें सौरभ शर्मा के नाम पर 78030***05 है, जबकि चेतन के नाम पर 94254** मोबाइल नंबर बताया गया है। इन नंबरों के संपर्कों को खंगाला जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि उपरोक्त कंस्ट्रक्शन कंपनी के माध्यम से यह नगदी कॉलोनी निर्माण में खपाई जा रही थी।
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