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जयशंकर बोले- हम फिलिस्तीन देश बनाने के फैसले पर कायम: बंधकों का मुद्दा कम नहीं आंक सकते, इजराइल हमारी मुसीबत में साथ खड़ा रहा

नई दिल्ली17 मिनट पहले

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विदेश मंत्री ने इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर कहा फैसला लेते वक्त हम बड़ी तस्वीर ध्यान में रखेंगे, लेकिन अपना राष्ट्रीय हित भी देखेंगे। - Dainik Bhaskar

विदेश मंत्री ने इजराइल-फिलिस्तीन मुद्दे पर कहा फैसला लेते वक्त हम बड़ी तस्वीर ध्यान में रखेंगे, लेकिन अपना राष्ट्रीय हित भी देखेंगे।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज संसद में एक संप्रभु और आजाद फिलिस्तीनी देश बनाने पर भारत की तरफ से समर्थन जताया है। उन्होंने कहा कि इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष खत्म करने के लिए भारत अपने टू स्टेट सॉल्यूशन यानी अलग फिलिस्तीन देश बनाए जाने के फैसले पर कायम है।

हालांकि विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इजराइली बंधकों के मुद्दों को भी कम नहीं आंका जा सकता या इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इजराइल के साथ डिफेंस पार्टनरशिप का बचाव करते हुए जयशंकर ने कहा- ​​इजराइल ऐसा देश है जिसके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा में सहयोग का हमारा मजबूत रिकॉर्ड है। इजराइल उस वक्त भी हमारे साथ खड़ा रहा है जब हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में थी।

जयशंकर ने कहा, “हम जब कोई फैसला लेंगे तो बड़े मुद्दों को ध्यान में रखेंगे, लेकिन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हित भी देखेंगे।”

फिलिस्तीन से जुड़े 10 प्रस्ताव को भारत का समर्थन संसद में प्रश्न काल के दौरान गाजा पर संयुक्त राष्ट्र के सभी प्रस्तावों से भारत के दूरी बनाए जाने को लेकर सवाल उठाया गया। जिसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा-

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इजराइल-हमास संघर्ष की शुरुआत के बाद से, फिलिस्तीन से जुड़े 13 प्रस्ताव यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में लाए गए, जिनमें से भारत ने 10 प्रस्तावों के सपोर्ट में वोट किया और तीन प्रस्तावों पर वोटिंग से परहेज किया।

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जयशंकर से इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पूर्व रक्षा प्रमुख योव गैलेंट और हमास नेता मोहम्मद दाइफ के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) के गिरफ्तारी वारंट के बारे में भी पूछा गया, जिस पर उन्होंने कहा कि भारत ICC का सदस्य नहीं है।

भारत-इजराइल के सुरक्षा सहयोग पर नजर भारत और इजराइल के बीच काफी पुराने रक्षा संबंध रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्धों में इजराइल ने भारत की मदद की थी। ये वह दौर था जब भारत को हथियारों की सख्त जरूरत थी। मीडिया हाउस हारेट्ज की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली हथियारों को खरीदने वाले देशों में भारत टॉप पर है। 2019-2023 के बीच इजराइल के कुल डिफेंस एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 37% थी।

जंग के दौरान भारत ने भी हथियार मुहैया कराने में इजराइल की मदद की है। ‘द वायर’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस और इजराइल के एल्बिट सिस्टम्स के बीच एक डील हुई है।

इसके तहत 20 से अधिक हर्मीस 900 यूएवी/ड्रोन को भारत में तैयार कर इजराइल भेजा गया है। इसके अलावा जंगी विमानों के कई पुर्जे भी इजराइल को दिए गए हैं। सरकार के स्वामित्व वाली म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने जनवरी 2024 में इजराइल को जंगी सामान निर्यात किया है

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13 नवंबर 1974 का दिन था। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यासिर अराफात को भाषण के लिए बुलाया गया। वो इजराइल के खिलाफ लड़ रही फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी PLO के प्रमुख थे। उस दिन यासिर ने अपने भाषण के आखिर में कहा, ‘मैं यहां जैतून की शाख और स्वतंत्रता सेनानी की बंदूक लिए आया हूं। मेरे हाथ से जैतून की इस शाख को गिरने मत दीजिए।’ यहां पढ़ें पूरी खबर…

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