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जहां एएसआई की हत्या हुई वहां मवेशी चरा रहे पुलिसवाले: मऊगंज का गांव छोड़ गए लोग; आईजी बोले- घर लौट आओ, पुलिस कुछ नहीं करेगी – Rewa News

आईजी ने कहा- कोई असामाजिक व्यक्ति जाकर फिर कोई ऐसी हरकत न कर दे इसलिए फोर्स तैनात है।  

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रीवा आईजी साकेत पांडेय ने यह अपील उन ग्रामीणों से की है जो अपना घर छोड़कर चले गए हैं। दरअसल, 15 मार्च को मऊगंज जिले के शाहपुरा के गड़रा गांव में आदिवासी परिवार ने एक युवक को बंधक बना लिया था। उसे छुड़ाने पहुंचे टीआई संदीप भारती और पुलिस टीम पर कुछ आरोपियों ने हमला कर दिया था। तहसीलदार के हाथ-पैर तोड़ दिए थे।

इस हिंसा में टीआई समेत 13 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। हमलावरों ने एएसआई और बंधक बनाए गए युवक की हत्या कर दी थी।

हिंसा के 10 दिन बाद भास्कर टीम ने पड़रा गांव के हालात को जाना, पढ़िए रिपोर्ट…

दरवाजों पर लटके मिले ताले गांव में करीब आबादी 475 है, जिसमें से लगभग 400 लोग तो इतने डर गए हैं कि वे गांव छोड़कर चले गए हैं। उनके घरों पर ताला लटका हुआ है। 10 दिन पहले तक चहल-पहल वाली गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव में इक्का-दुक्का ग्रामीण नजर आए, लेकिन वे इतने डरे हुए हैं कि बात करना तो दूर देखते ही भीतर भाग कर दरवाजा बंद कर लिया। कुछ से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने दरवाजा ही बंद कर लिया।

गलियां सूनी दिखाई दीं। घरों में ताले लटके थे।

गलियां सूनी दिखाई दीं। घरों में ताले लटके थे।

मवेशियों को पानी पिला रहे पुलिसकर्मी हिंसा के बाद से पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील है। ग्रामीणों के घरों से चले जाने से पिछले 10 दिनों से पुलिस वाले ही मवेशियों के चारे और पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। कुछ पुलिसकर्मियों ने कैमरे पर तो बात नहीं की, लेकिन बताया कि इतने दिनों से न केवल हम गांव की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि मवेशियों की देखभाल भी कर रहे हैं, अब तो जैसे यह भी हमारी दिनचर्या का हिस्सा हो गया है।

पुलिसकर्मी गांव में गश्त के साथ-साथ मवेशियों को चारा-पानी देते दिखाई दिए।

पुलिसकर्मी गांव में गश्त के साथ-साथ मवेशियों को चारा-पानी देते दिखाई दिए।

आईजी बोले- लोग वापस आकर अपने घरों में रहें आईजी साकेत पांडेय ने कहा कि घटना के बाद से एक समाज के लोग अपने घरों को छोड़कर भाग गए थे। ऐसा लगता है कि उन्हें लग रहा होगा कि पुलिस पूछताछ करेगी। अब धीरे-धीरे लोग आ रहे हैं। पूरी तरह से शांति व्यवस्था बनी हुई है। विवाद दो समाज में नहीं, दो परिवारों में हुआ था। परिवार के विवाद को परिवार तक ही सीमित रहने दिया जाए।

लोग उसी दिन घरों से भाग गए थे, हम लोगों ने देखा कि जानवर वहीं हैं। वे भूखे-प्यासे न रहें, इसलिए हमने भूसा और पानी आदि की व्यवस्था करवा दी है। वो इधर-उधर भटक रहे थे, आखिर उनका क्या दोष है?

मेरा यह कहना है कि सभी गांव में जल्दी आ जाएं। जितने लोग आए हैं, वे अपने मित्रों को खबर करें। गांव में आ जाएं, बिल्कुल स्थिति सामान्य है। उनको लग रहा है कि वहां जो हमने फोर्स लगाया है वो उनको पकड़ने के लिए है, जबकि वो फोर्स वहां उनकी सुरक्षा के लिए लगा हुआ है, ताकि कोई असामाजिक व्यक्ति जाकर फिर कोई ऐसी हरकत न कर दे।

आप वापस आइए, अपने घरों में रहिए, सामान्य जिंदगी जिएं। पुलिस-प्रशासन की मदद करिए। आपके पास कोई जानकारी है तो हमें बताइए, पुलिस आपकी मदद के लिए है। धीरे-धीरे स्थिति परिवर्तित हो रही है, जिन्होंने ये हरकत की है, जिनके कारण ये सब हुआ है, जिन्होंने अपराध किया है, हम सिर्फ उन्हीं को पकड़ेंगे। ऐसा नहीं है कि हम आम जनता को पकड़ रहे हैं।

आईजी पांडेय ने कहा कि पकड़ा तो सिर्फ अपराधियों को जाएगा, निर्दोषों को डरने की जरूरत नहीं।

आईजी पांडेय ने कहा कि पकड़ा तो सिर्फ अपराधियों को जाएगा, निर्दोषों को डरने की जरूरत नहीं।

ग्रामीण बोले- डर है कहीं गिरफ्तार न हो जाएं जिला पंचायत सदस्य अनीता सुभन ने कहा कि ग्रामीण पुलिस की वजह से दहशत में हैं, पता नहीं घर छोड़कर कहां चले गए। पूरा गांव पलायन कर चुका है। वहीं, स्थानीय निवासी रामकरण साकेत ने बताया, जब से घटना हुई, धीरे-धीरे लोगों की संख्या कम होने लगी। देखते ही देखते पूरा गांव ही खाली हो गया। अधिकांश लोग गांव से नदारद हैं।

इसी तरह मोहन साकेत ने बताया कि मौके पर पुलिस के जवान तैनात हैं, जिससे सुरक्षा की भावना निर्मित हो रही है, लेकिन अब लोगों की तादाद काफी कम हो गई है। गांववाले यहां से कहीं और चले गए हैं।

हिंसा के विरोध में रीवा और मऊगंज बंद रहा था। ब्राह्मण और राजपूत संगठनों ने कठोर कार्रवाई की मांग की।

हिंसा के विरोध में रीवा और मऊगंज बंद रहा था। ब्राह्मण और राजपूत संगठनों ने कठोर कार्रवाई की मांग की।

घटनाक्रम की शुरुआत से अब तक क्या-क्या हुआ? पढ़िए…

युवक को बंधक बनाने पर हुआ था विवाद होली के एक दिन बाद गड़रा गांव में यह दर्दनाक घटना घटी। कुछ ग्रामीणों ने राहिल उर्फ सनी द्विवेदी नामक युवक को शक के आधार पर बंधक बना लिया और उसे इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी मौत हो गई।

जैसे ही इस घटना की जानकारी सनी के पिता, भाई और बहन को मिली, वे अपने परिजन को छुड़ाने के लिए गांव पहुंचे। लेकिन पहले से ही आक्रोशित ग्रामीणों ने उन्हें भी पकड़ लिया और बुरी तरह पीटा।

इस पूरे घटनाक्रम की सूचना बंधक युवक के परिजनों ने पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने पुलिस पर भी हमला कर दिया। आक्रोशित ग्रामीणों ने एसडीओपी सहित दो अन्य पुलिसकर्मियों को बंधक बनाया।

एसडीओपी को जिंदा जलाने की धमकी एसडीओपी अंकिता शूल्या अपने दल के साथ शाम छह बजे घटनास्थल पर पहुंचीं। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर वैन में बिठाया। इसी बीच एसडीओपी ने घर का दरवाजा खुलवाया और अंदर जाकर देखा कि सनी की लाश पड़ी हुई थी।

जब एसडीओपी और एएसआई आरती वर्मा कमरे के अंदर थीं, तभी आदिवासियों ने उन पर हमला बोल दिया। खुद को बचाने के लिए दोनों अधिकारियों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। इसी दौरान हमलावरों ने धमकी दी कि यदि हिरासत में लिए गए लोगों को नहीं छोड़ा गया तो पूरे घर में आग लगा दी जाएगी।

एसडीओपी शूल्या ने बताया कि ग्रामीण जिस युवक को छुड़ाने के एवज में कलेक्टर-एसपी को बुलाने की मांग कर रहे थे, वह पहले ही मर चुका था। अनुमान है कि उसकी मौत दो से तीन घंटे पहले हो चुकी थी।

युवक को बचाने गए टीआई समेत पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था।

युवक को बचाने गए टीआई समेत पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था।

अंधेरे में पुलिस पर फिर हुआ हमला एसडीओपी को बंधक बनाए जाने की जानकारी मिलते ही पुलिस बल गांव के बाहर से फायरिंग करते हुए घर तक पहुंचा और एसडीओपी को छुड़ाया। पुलिस जब मृतक युवक की लाश लेकर जाने लगी, तो हमलावरों ने गांव की लाइट काट दी और पुलिस पर हमला कर दिया। इस हमले में तहसीलदार समेत 13 पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई।

पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला भी हुआ हमले में थाना प्रभारी संदीप भारती, तहसीलदार कुंवारे लाल पनिका सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी घायल हो गए। जब इस घटना की जानकारी रीवा पुलिस को मिली, तो अतिरिक्त पुलिस बल भेजा गया। उन्होंने घायलों को अस्पताल पहुंचाया और बंधक बनाए गए पुलिस अधिकारियों को मुक्त कराया।

इस हिंसक घटना में पुलिस अधिकारी सहित युवक की मौत के बाद मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने शांति व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए।

हमले में थाना प्रभारी संदीप भारती के सिर में गंभीर चोट आईं।

हमले में थाना प्रभारी संदीप भारती के सिर में गंभीर चोट आईं।

एसपी-कलेक्टर को किया गया लाइन अटैच घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने संवेदनाएं व्यक्त कीं और मऊगंज जिले के कलेक्टर अजय श्रीवास्तव एवं एसपी रसना ठाकुर को मुख्यालय से अटैच कर दिया। इसके बाद नए कलेक्टर संजय कुमार जैन और एसपी दिलीप कुमार सोनी ने पदभार संभालते ही घटनास्थल का दौरा किया। इस क्षेत्र में धारा 143 लागू कर दी गई है और पुलिस लगातार स्थिति पर नजर रख रही है।

सनी के परिजन रोहन ने बताया कि उनकी भांजी ने डायल 100 पर कॉल कर घटना की सूचना दी थी। तीन बजे पुलिस के कुछ जवान मौके पर पहुंचे, लेकिन आदिवासियों ने उन्हें डरा-धमका कर वापस भेज दिया और कलेक्टर-एसपी को बुलाने की मांग की। शाम करीब छह बजे एसडीओपी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचीं, लेकिन स्थिति संभालने में कठिनाई हुई।

फिलहाल गांव में पुलिस बल तैनात है। अधिकांश ग्रामीण घर छोड़कर कहीं चले गए हैं। आईजी ने उनसे लौट आने की अपील की है।

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टीआई बोले- पुलिसकर्मी तड़पते रहे, वे बेरहमी से पीटते रहे

मऊगंज हिंसा में टीआई संदीप भारती को चेस्ट, कमर में गंभीर चोट आई थीं। उन्होंने बताया कि हम सब बहुत उत्साहित थे। सुबह थाने में सभी ने एक साथ रंग-गुलाल उड़ाया था। साल में एक ही दिन ऐसा आता है, जब हम ड्यूटी के साथ थोड़ा खुलकर त्योहार मना पाते हैं। हमें क्या पता था कि जिस दिन हम त्योहार मना रहे थे, उसी दिन हमारे साथ ये सब होने वाला था। पूरी खबर पढ़िए…

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