दिलचस्प यह है कि भारतीय स्पेस एजेंसी इसराे (ISRO) ने चांद पर पहुंचने में 40 दिन लगाए थे। तब कहा गया था कि हम अमेरिका और रूस जैसे देशों से स्लो हैं और चांद पर मिशन लैंड कराने में ज्यादा वक्त लगा रहे हैं। लेकिन जापानी मिशन तो 4 महीनों से भी ज्यादा वक्त लेने के बाद चंद्रमा पर लैंड होने की कोशिश करेगा।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि चांद तक पहुंचने के लिए जापान ने जिस SLIM स्पेसक्राफ्ट को भेजा है, वह लंबा रास्ता तय करेगा। इससे कम ईंधन की खपत होगी। अपनी कुल यात्रा में जापानी स्पेसक्राफ्ट करीब एक महीने तक चंद्रमा का चक्कर लगाते हुए उसे टटोलेगा।
सितंबर महीने में जाक्सा (JAXA) ने स्लिम स्पेसक्राफ्ट (SLIM) को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के मकसद से रवाना किया था। स्पेसक्राफ्ट को H-2A नाम के रॉकेट पर सवार होकर भेजा गया था। भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करके इतिहास रचा था। वहीं, जापान का मिशन चांद पर शियोली क्रेटर (Shioli Crater) में लैंडिंग की कोशिश करेगा।
भारत के विक्रम लैंडर से हल्का है जापान का ‘स्लिम’
SLIM लैंडर की तुलना भारत के विक्रम लैंडर से की जाए, तो यह वजन में बहुत कम है। SLIM लैंडर लगभग 200 किलो का है, जबकि विक्रम लैंडर का वजन 1750 किलो था।
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो की लेटेस्ट खबरें hindi.gadgets 360 पर और हमारे CES 2025 पेज पर देखें
Source link
#जपन #क #मन #मशन #अगल #महन #करग #चद #पर #लडग #कय #मलग #चदरयन3 #जस #सफलत
2023-12-07 07:00:45
[source_url_encoded