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जाम के हालात‎: पूरे शहर के बाजारों में सड़क किनारे से हटाया अतिक्रमण, पर 15 दिन में फिर हो गया कब्जा – Bhopal News

शहर में वर्षों पुराने अतिक्रमण के खिलाफ नगर निगम कार्रवाई करता है, लेकिन अगले कुछ दिन में ही स्थिति वापस जस की तस हो जाती है। बता दें कि 6 दिन पहले नवबहार सब्जी मंडी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी।

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अतिक्रमण हटने के बाद सड़क चार गुना चौड़ी हो गई थी। लेकिन, अगले ही दिन से मंडी में वापस अतिक्रमण कर लिया गया। इसके अलावा नगर निगम ने बाजारों से लगभग 20 दिन पहले अतिक्रमण हटाने का विशेष अभियान चलाया था। इसमें 6 विधानसभा क्षेत्रों में अतिक्रमण अमले ने मिलकर कार्रवाई की थी।

इस दौरान भोपाल टॉकीज से डीआईजी बंगला, जिंसी चौराहा, शब्बन चौराहा, न्यू मार्केट और एमपी नगर-जोन-2 से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी। इन सभी 6 विधानसभा क्षेत्र के बाजारों से अतिक्रमण हटे अभी 15 दिन ही हुए हैं और अतिक्रमण के हालात वापस पहले जैसे हो गए हैं।

भोपाल टॉकीज से डीआईजी बंगला : 100 कब्जे हटाए थे भोपाल टॉकीज से डीआईजी बंगला तक नगर निगम के अतिक्रमण अमले ने सड़क किनारे से कब्जे हटाते हुए 11 ट्रक सामान जब्त किया था। यहां दोबारा से 100 से ज्यादा हाथ ठेलों ने सड़क किनारे कब्जा जमा लिया है। साथ ही 100 से ज्यादा दुकानें सड़क किनारे टेबल और जमीन पर सामान रखकर बेचने की चलने लगी हैं।

न्यू मार्केट : यहां लगातार नगर निगम अमला अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। इसके बावजूद कार्रवाई के अगले दिन अतिक्रमण ने जगह ले ली है। इसमें टॉप एंड टाउन के सामने और अंडरग्राउंड दुकानों के लिए बनी सीढ़ी पर भी दोबारा अतिक्रमण हो गया है। टीटी नगर पोस्ट ऑफिस के सामने ठेले खड़े होने लगे हैं।

नवबहार सब्जी मंडी : यहां पिछले रविवार को नगर निगम अमले ने अतिक्रमण हटाया था । इस दौरान 70 से ज्यादा स्थायी और अस्थायी कब्जे हटाए गए थे। नगर निगम की सख्त कार्रवाई के बाद भी यहां दुकानदारों ने अगले ही दिन अतिक्रमण कर लिया। स्थायी दुकानों के साथ यहां फल सब्जी के हाथ ठेले व दुकानें लगने लगी हैं।

समाधान – जयपुर की तर्ज पर निगम की खुद की पुलिस हो तो लगातार हो सकेगी कार्रवाई राजधानी के हिसाब से नगर निगम के पास संसाधनों की कमी है। अमला भी नहीं है। ऐसे में समय-समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। किसी भी इलाके में एक या दो साल बाद ही बड़ी कार्रवाई होती है। इसके चलते अतिक्रमणकारियों में कार्रवाई का डर खत्म हो जाता है।

उनको पता होता है कि सख्त कार्रवाई अब एक या दो साल बाद ही होगी। इसलिए वे दोबारा अतिक्रमण कर लेते हैं। वहीं जयपुर नगर निगम के पास उनकी खुद की पुलिस है। इसलिए उनको स्थानीय पुलिस के ऊपर कार्रवाई के लिए निर्भर नहीं होना पड़ता है। जयपुर की तर्ज पर यदि भोपाल नगर निगम के पास भी उनकी खुद की पुलिस उपलब्ध कराई जाए, तो लगातार कार्रवाई हो सकती है। साथ ही फिर लोगों और दुकानदारों में नगर निगम को लेकर डर बना रहेगा और शहर में दोबारा से होने वाले अतिक्रमण में कमी लाई जा सकेगी। अरुण गुर्टू, संस्थापक, भोपाल सिटिजन्स फोरम

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