जिसे मरा समझ लिया था, वह डेढ़ साल बाद वापस आ गई।
9 सितंबर 2023: झाबुआ जिले के थांदला में महिला का क्षत-विक्षत शव मिला। उसकी पहचान ललिता बाछड़ा (28) पिता रमेश बाछड़ा निवासी नावली गांव के रूप में हुई। परिजन ने अंतिम संस्कार भी कर दिया। पुलिस ने हत्या के आरोप में भानपुरा गांव के रहने वाले इमरान, शाहरुख,
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11 मार्च 2025: एक महिला अपने परिवार के साथ मंदसौर जिले के गांधीनगर थाने पहुंची। वह घबराई हुई थी। यहां टीआई तरुणा भारद्वाज को बताया- मुझे मरा हुआ समझ लिया गया, लेकिन मैं जिंदा हूं। मेरा नाम ललिता बाछड़ा है। वह अपना आधार, वोटर आईडी और अन्य दस्तावेज दिखाती है।
ये कोई फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। मामला मंदसौर जिले के गांधीनगर थाना क्षेत्र का है। दरअसल, यहां जिस महिला को मृत मानकर अंतिम क्रिया कर दी गई थी, ठीक डेढ़ साल बाद वही महिला आकर खुद को जीवित बताने लगी। उसने परिवारवालों के साथ थाने पहुंचकर बयान दिया।
मामला सामने आने के बाद दैनिक भास्कर की टीम गरोठ से 70 किलोमीटर दूर भानपुरा तहसील के नावली गांव पहुंची। यहां महिला से बात की, तो उसने चौंकाने वाला खुलासा किया। वहीं, उसकी हत्या के आरोप में जेल में बंद आरोपियों के परिवारवालों ने भी दर्द साझा किया। थांदला कोर्ट में आरोपियों के वकील से भी बात की।
ललिता की हत्या के आरोप में चारों थांदला उपजेल में बंद हैं।
ललिता बोली- पांच लाख रुपए में बेच दिया था अगस्त 2023 में घर पर बिना बताए चली गई थी। भानपुरा के रहने वाले शाहरुख के साथ रहने लगी। उसने कहा था कि वह मुझसे प्यार करता है और शादी करेगा। वहां दो दिन रहने के बाद उसने 5 लाख रुपए में मुझे बेच दिया।जिसने मुझे खरीदा, उसका नाम भी शाहरुख था। वह मुझे कोटा ले गया। यहां अपने घर में रखा। वहां डेढ़ साल तक कैद रही। एक दिन मुझे शाहरुख ने ही मुझे खरीदकर लेकर आने की बात कही थी।
इसके बाद कई बार भागने की कोशिश, लेकिन सफल नहीं हो सकी। एक दिन मौका मिला, मैं वहां से भाग निकली। डेढ़ साल के दौरान कभी मेरे परिवार वालों से बात नहीं करने दी। यहां हम पति-पत्नी की तरह रहे। हालांकि मारपीट तो नहीं की। चूंकि मेरा ऑपरेशन हो चुका है, तो बच्चे पैदा नहीं हुए। मुझे पहले से एक लड़का और एक लड़की है। दोनों अब मुझे जिंदा देखकर बहुत खुश हैं।

पिता बोले- काले धागे के आधार पर की थी पहचान ललिता के पिता रमेश बाछड़ा ने बताया, बेटी की मौत की जानकारी इंटरनेट के जरिए मिली थी। शव के हाथ पर संतोष लिखा था। उसका सिर पूरी तरह कुचला हुआ था। कद-काठी ललिता की तरह ही थी। वह भी काला धागा बांधती थी। इसी के चलते लगा कि यह शव ललिता का ही है। शव को थांदला से लेकर आए। अंतिम संस्कार और तेरहवीं भी की। अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया। क्रिया कर्म में तीन लाख रुपए खर्च हुए। अब उसकी हत्या में जेल में बंद आरोपियों को पुलिस को बाहर निकालना चाहिए।
वहीं, बेटी अर्चना बताती है कि पहले मम्मी नहीं थी, तो बहुत दुखी थे। परेशानी भी होती थी। हमें नाना संभालते थे। अब मम्मी आ गई है, तो अच्छा लग रहा है। बेटे अमन का कहना है कि मम्मी अपने हाथ से खाना खिलाती हैं। पैसे भी देती हैं। किताब-कॉपी और पेन के पैसे देती हैं। मम्मी नहीं थी, तो रोना आता था। अब बहुत खुश हूं।
अब बात उन आरोपियों के परिवारों की, जो जेल में बंद हैं
सोनू की बहन बोली – मेरा भाई निर्दोष जेल में बंद आरोपी सोनू की बहन श्रेष्ठा तन्नीवाल बताती हैं, मेरा भाई घटनास्थल पर नहीं था। वह गाड़ी चलाने के लिए गया था। टोल का सीसीटीवी फुटेज और भाई की मोबाइल लोकेशन निकालकर दे सकती हूं। मेरा भाई निर्दोष है, लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। उसे गिरफ्तार कर लिया। अब पता चला है कि जिस लड़की की हत्या के आरोप में भाई बंद है, वह जिंदा है। यह सब युवती के परिवार वालों ने मिलकर साजिश रची है। हमें न्याय चाहिए।
सोनू पत्नी चेतना तन्नीवाल का कहना कि रात को गाड़ी चला कर आए थे। सुबह 5 बजे पुलिस घर आकर उठा ले गई। जिस औरत की हत्या के जुर्म में उसे गिरफ्तार किया गया, वह तो कोटा में रह रही थी। बेगुनाह अंदर हैं और गुनहगार बाहर हैं। युवती तो आराम से बाहर घूम रही है। हम परेशान हो रहे हैं। हमें न्याय चाहिए। मेरी तीन साल की बेटी है। अब मजदूरी करके घर चला रही हूं।

शाहरुख की बड़ी अम्मी बोलीं – भरपाई कौन करेगा जेल में बंद शाहरुख की बड़ी अम्मी कनीज बी बताती हैं, चंबल थाने फिर झाबुआ से पुलिस आई थी। मेरा बच्चा बेकसूर है। वह एक मच्छर नहीं मार सकता, लेकिन उसे हत्या के आरोप में मारपीट कर कबूल करवाया। जेल जाने के बाद खाने-पीने के लाले पड़े हैं। घर गिरवी रखना पड़ा है। मेरा बच्चा बेगुनाह है। इस केस में पांच लख रुपए खर्च कर दिए हैं। हमारी बात पुलिस ने नहीं सुनी।
आरोपी शाहरुख की बहन मुस्कान बताती हैं, भाई 18 महीने से जेल में बंद है। अब पता चला है कि जिस युवती की हत्या के आरोप में भाई जेल में है, वह जिंदा है। भाई हम्माली कर परिवार चलाता था। अब उसके नहीं होने से हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस को बताया कि मेरा भाई निर्दोष है, लेकिन एक नहीं सुनी। अब चाहते हैं कि उसे जल्द रिहा किया जाए।

इमरान का भाई बोला- रात 3 बजे उठा ले गई थी पुलिस कादर ने बताया, इमरान हम्माली करता था। उसके बच्चे छोटे हैं। उसकी पत्नी और बच्चे मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं। घटना वाले दिन वह रात में मजदूरी करके आया था। रात 3 बजे पुलिस सोते से उसे उठाकर ले गई। हत्या के आरोप में जबरदस्ती गिरफ्तार कर लिया। पांच बच्चे हैं। अब हमारे साथ न्याय कौन करेगा, अब उसकी भरपाई कैसे होगी?

हाईकोर्ट में क्षतिपूर्ति का केस लगाएंगे जेल में बंद शाहरुख के वकील यूनुस खान का कहना है कि कोर्ट में थांदला पुलिस के बयान हुए हैं। मेरे पक्षकार शाहरुख को फंसाया गया है। तत्कालीन थाना प्रभारी व जांच अधिकारी के कथन लिए जाएंगे। इसके लिए अगली सुनवाई 1 अप्रैल तय की गई है। हत्या जैसी गंभीर वारदात में पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही है।
मृतक की पुष्टि के लिए जरूरी आधार और डीएनए से मिलान कर डेड बॉडी सौंपना थी। पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया। पीड़ित पक्ष को क्षतिपूर्ति के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाकर जो समय जेल में गुजारा है, परिवार को पीड़ा भुगतना पड़ी है, इसके लिए दावा किया जाएगा। इसमें पुलिस पार्टी बनेगी। कोर्ट में हर व्यक्ति को हर्जाने के तौर पर 20 से 50 लाख रुपए का दावा किया जाएगा। दूसरी ओर पुलिस के जांच अधिकारी और जिम्मेदारों पर भी जांच की मांग की जाएगी।

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