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जीआईएस के पहले दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेगी मोहन यादव की सरकार, अब तक चार लाख करोड़ रुपये से अधिक

वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आर्थिक गतिविधियों और विकास परियोजनाओं को गति देने के लिए कर्ज लिया जा रहा है। यह राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम में निर्धारित सीमा के भीतर है। सरकार राज्य सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में तीन प्रतिशत तक कर्ज ले सकती है। आधा प्रतिशत और कर्ज बिजली सहित अन्य क्षेत्रों में अधोसंरचना सुधार के काम करने पर लिया जा सकता है।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Sat, 15 Feb 2025 07:36:59 PM (IST)

Updated Date: Sat, 15 Feb 2025 07:46:57 PM (IST)

एक बार फिर से कर्ज लेने की तैयारी में है मोहन यादव की सरकार।

HighLights

  1. अब चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका।
  2. पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सरकार पर लगाया आरोप।
  3. कहा-राजकोषीय संकट की ओर बढ़ रहा है मध्‍य प्रदेश।

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। 23-24 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआइएस) से पहले प्रदेश सरकार दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेगी। 12 वर्ष की अवधि के लिए यह कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से 18 फरवरी को लिया जाएगा। प्रदेश के ऊपर चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो चुका है। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की कर्ज लेने की इस नीति से प्रदेश बड़े राजकोषीय संकट की ओर बढ़ रहा है।

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MP सरकार ने 5 हजार करोड़ का और लिया कर्ज, प्रदेश का हर नागरिक 50 हजार रुपये का कर्जदार

  • उप मुख्यमंत्री (वित्त) जगदीश देवड़ा कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि कर्ज विकास की गति को बढ़ाने के लिए निर्धारित मापदंड के अनुसार ही लिया जा रहा है।
  • कांग्रेस के जमाने में कर्ज लेकर वेतन बांटा जाता था। हमारी वित्तीय स्थिति बेहतर है।
  • जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि यह दुख की बात है कि कई मामलों में सरकार ने सार्वजनिक संपत्ति बेचकर या लीज पर देकर धन अर्जित करने का प्रयास किया है।

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  • सरकार अपने खर्च पूरे करने के लिए पूरी तरह कर्ज पर निर्भर होती जा रही है।
  • अगर प्रदेश की आर्थिक गतिविधि सही दिशा में संचालित की जाए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी।
  • इससे प्रदेश सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। अगर बेरोजगारों को रोजगार मिले।
  • उद्योग तथा व्यापार को सकारात्मक माहौल में काम करने दिया जाए।
  • निश्चित तौर पर आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी।
  • प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।

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