खरगोन जिले के सनावद में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर आदिनाथ जिनालय में मुनि पूज्य सागर महाराज की पावन उपस्थिति में भव्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
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महोत्सव की शुरुआत श्रीजी के अभिषेक से हुई, जिसके बाद शांतिधारा और नित्य नियम पूजन का आयोजन किया गया। भक्तामर मंडल विधान के लिए विशेष पात्रों का चयन बोली के माध्यम से किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
सामूहिक वात्सल्य भोज और भजन संध्या का आयोजन
दोपहर में सकल जैन समाज के सामूहिक वात्सल्य भोज का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। शाम 7:30 बजे भक्तामर पाठ का आयोजन हुआ, इसके साथ ही समाज की साहित्यिक पत्रिका का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर भजन संध्या का आयोजन हुआ, जहां भक्तों ने धार्मिक भजनों के माध्यम से भगवान आदिनाथ की स्तुति की। समाजजनों ने बालक आदिनाथ को पालना झुलाकर अपने श्रद्धाभाव प्रकट किए।
मुनि पूज्य सागर महाराज के प्रवचन में क्षमा भाव पर बल
मुनि पूज्य सागर महाराज ने अपने प्रवचन में क्षमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संसार में आसक्ति का होना स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि मन में उत्पन्न होने वाले राग भावों को क्षमा के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
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