आगर मालवा के जैन संत नेमीमुनि महाराज का मंगलवार को 12 दिन के कठोर संथारे के बाद बुधवार को देवलोक गमन हो गया। नेमीमुनि महाराज का जन्म आगर मालवा में हुआ था। हाल ही में स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति की वजह से उन्होंने संथारा ग्रहण किया था।
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संथारा ग्रहण करने के बाद उन्होंने भगवती दीक्षा ली थी। इस दौरान उन्होंने 12 दिनों तक बिना किसी अन्न या जल के कठोर तपस्या की। उनके जीवन में जैन धर्म के प्रति अटूट निष्ठा और समर्पण की भावना रही। उन्होंने न केवल धर्म का पालन किया बल्कि अपने परिवार को भी जैन धर्म के सिद्धांतों पर चलने के लिए प्रेरित किया।
अंतिम यात्रा में श्रद्धालु शामिल हुए
बुधवार को स्थानीय आराधना भवन घाटी से निकली उनकी अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इसमें जैन समाज के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी शामिल थे। सभी ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। कानड़ मार्ग स्थित उनकी पैतृक भूमि पर पूरे विधि-विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार संपन्न किया गया।
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