अल्पसंख्यकों में बुद्ध, जैन, सिख शामिल हैं और इन सभी के वैवाहिक विवाद हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत होते रहे हैं। एडवोकेट खंडेलवाल ने हिंदू विवाह विधि मान्य अधिनियम 1949 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें दी गई हिंदू की परिभाषा में जैन पहले से शामिल हैं। कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
By Kuldeep Bhawsar
Publish Date: Tue, 18 Mar 2025 06:47:26 PM (IST)
Updated Date: Tue, 18 Mar 2025 06:53:44 PM (IST)
HighLights
- याचिकाकर्ता बोले हिंदू विवाह विधि मान्य अधिनियम में हिंदू की परिभाषा में जैन भी शामिल हैं।
- गौरतलब है कि देश भर के लिए वर्ष 2014 में जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था।
- इसके बाद से अब तक जैन दंपती के विवाद हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत होते रहे हैं।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। जैन समाज के वैवाहिक विवादों का निराकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत किया जा सकता है या नहीं, मंगलवार को इस मुद्दे पर हाई कोर्ट में बहस पूरी हो गई। पक्षकारों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके जारी होने के बाद ही इस सवाल का जवाब मिलेगा कि जैन समाज के लोग वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत याचिका दायर कर सकते हैं या नहीं। मंगलवार को बहस करीब आधा घंटा चली।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि हिंदू विवाह विधि मान्य अधिनियम 1949 में दी गई हिंदू की परिभाषा में जैन भी शामिल हैं। संविधान में भी जैन धर्मावलंबियों को हिंदुओं के साथ ही रखा गया है। वर्ष 2014 में जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था। इसके बाद से अब तक जैन दंपती के विवाद हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निराकृत होते रहे हैं। कई मामले सुप्रीम कोर्ट भी निराकृत कर चुका है।
- इंदौर कुटुंब न्यायालय ने पिछले दिनों जैन समाज के पक्षकारों की विवाह-विच्छेद की याचिकाएं यह कहते हुए निरस्त कर दी थीं कि केंद्र सरकार द्वारा जैन समाज को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित किया गया है।
- 27 जनवरी 2014 को इस बारे में राजपत्र भी जारी हो चुका है। ऐसी स्थिति में जैन समाज के अनुयायियों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अनुतोष प्राप्त करने का अधिकार नहीं है।
- वे हिंदू धर्म की मूलभूत वैदिक मान्यताओं को अस्वीकार करने वाले हैं और स्वयं को बहुसंख्यक हिंदू समुदाय से अलग कर चुके हैं।
- उनसे जुड़े वैवाहिक मामलों का निराकरण हिंदू विवाह अधिनियम के तहत नहीं किया जा सकता। कुटुंब न्यायालय के इस फैसले को चुनौती देते हुए पक्षकारों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।
- मंगलवार को पक्षकार की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट पंकज खंडेलवाल ने कोर्ट में तर्क रखा कि संविधान में हिंदू की परिभाषा में जैन भी शामिल हैं।
- हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम में भी हिंदू की परिषाभा में जैन धर्मावलंबियों को शामिल किया गया है।
नहीं आई न्यायमित्र की रिपोर्ट
कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर वरिष्ठ अधिवक्ता एके सेठी को इस मामले में न्यायमित्र बनाते हुए उनसे कहा था कि वे मामले का अध्ययन कर अपनी राय दें। मंगलवार को उन्हें राय कोर्ट के सामने रखना थी, लेकिन वे उपस्थित नहीं हो सके।
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