टीकमगढ़ शहर के करीब 500 साल पुराने श्री काल भैरव मंदिर में भैरव अष्टमी समारोह शुरू हो गया है। शुक्रवार को पीठ पूजन के साथ पांच दिवसीय समारोह की शुरुआत हुई। शनिवार को भैरव अष्टमी पर्व पर प्रतिमा का रुद्राभिषेक होगा। विशेष आकर्षक श्रृंगार के साथ महाआरत
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दरअसल, टीकमगढ़ में भगवान श्री काल भैरव की इकलौती ऐसी प्रतिमा है, जो करीब 7 फीट ऊंची है। वरिष्ठ इतिहासकार हरि विष्णु अवस्थी ने बताया कि
जब प्रतिमा का निर्माण हुआ तो स्थापना कराने के लिए प्रतिमा उठ नहीं रही थी। इसके बाद तत्कालीन महाराज प्रताप सिंह ने महाराष्ट्र से पालेकर ब्राह्मणों को बुलाया था। उन्होंने तांत्रिक मंत्रो से प्रतिमा खड़ी की थी। काल भैरव की आदमकद प्रतिमा एकासन पर है। ताल दरवाजा स्थित भैरव बाबा मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है। प्रतिमा भी अपने आप में अनुपम है।
मंदिर के पुजारी मोहनराव पालेकर ने बताया कि काल भैरव महाराज की प्रतिमा लगभग 500 साल पुरानी है। प्रतिमा जब बनकर तैयार हो गई थी तो प्राण-प्रतिष्ठा के लिए इसे उठाने का प्रयास हुआ, लेकिन प्रतिमा हिली भी नहीं। इसके बाद महाराष्ट्र से उनके पूर्वज रघुनाथ राव को बुलाया गया था। उन्होंने अपने मंत्रों से इस प्रतिमा को स्थापित कराया था।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्रतिमा की प्रतिष्ठा के बाद छत डालने की तैयारी हुई, लेकिन छत का निर्माण नहीं हो सका।
मंदिर में नहीं हो सका छत का निर्माण
मंदिर के पुजारी मोहनराव पालेकर ने बताया कि
प्रतिमा की प्रतिष्ठा के बाद चारों ओर दीवार खड़ी की गई। इसके बाद छत डालने की तैयारी हुई, लेकिन छत का निर्माण नहीं हो सका। काल भैरव ने तत्कालीन पुजारी को स्वप्न देकर कहा कि वह किसी प्रकार का बंधन नहीं चाहते है। करीब 80 साल पहले शहर के एक भक्त ने छत डालने का प्रयास किया था, लेकिन आंधी सारा सामान उड़ाकर ले गई थी। तब से किसी ने प्रयास नहीं किया। महाराज बताते है कि यहां पर होने वाले तमाम आयोजनों के समय साज-सज्जा की जाती है, लेकिन भैरव बाबा के ऊपर कभी कोई टेंट नहीं लगाया जाता है।
9वीं पीढ़ी के तौर पर कर रहे पूजा
मोहन राव पालेकर महाराज ने बताया कि वह 9 वीं पीढ़ी के तौर पर काल भैरव की पूजा अर्चना कर रहे हैं। करीब 500 साल पहले उनके पूर्वज रघुनाथ राव महाराष्ट्र से भैरव जी की पूजा करने आए थे। इसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी उनका परिवार पूजा करता चला रहा है। उन्होंने बताया कि दादा परदादा के बाद करीब 35 सालों से वह इस मंदिर की पूजा कर रहे हैं।
26 नवंबर तक होंगे धार्मिक अनुष्ठान
भैरव अष्टमी के उपलक्ष्य में 22 से 26 नवंबर तक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होंगे। 23 नवंबर को श्री काल भैरव प्रतिमा का महाभिषेक, पूजा, महाआरती के साथ छप्पन भोग का प्रसाद लगेगा। 24 नवंबर को सुबह से अभिषेक और शाम को विशेष श्रृंगार के साथ आरती उतारी जाएगी। साथ ही अभिषेक और हवन पूजन के साथ ही पूर्णाहुति का आयोजन होगा। 25 नवंबर को संगीतमय सुंदरकांड पाठ होगा और 26 नवंबर को सत्यनारायण कथा के साथ कन्या भोज और भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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