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टूटे मकान में रह रही केंद्रीय मंत्री की मौसी की वेदना, नहीं मिल रहा शासन की योजना का लाभ

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री वीरेंद्र खटीक ने दमोह के तेजगढ़ गांव में अपने ननिहाल का दौरा किया। उन्होंने अपनी मौसी तुलसा बाई से मुलाकात की, जो अपने टूटी घर में अकेली रहती हैं और शासन की योजनाओं से वंचित हैं। खटीक ने उन्हें समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया।

By Neeraj Pandey

Publish Date: Mon, 28 Oct 2024 09:12:43 PM (IST)

Updated Date: Mon, 28 Oct 2024 09:12:43 PM (IST)

तेजगढ़ अपने ननिहाल के परिवार जनों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे वीरेंद्र खटीक।

HighLights

  1. दमोह के तेजगढ़ गांव स्थित ननिहाल पहुंचे वीरेंद्र खटीक
  2. टूटे मकान में अकेले रह रही खटीक की मौसी की वेदना
  3. मौसी ने कहा- शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा

नईदुनिया प्रतिनिधि, दमोह: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री और टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र खटीक सोमवार को दमोह जिले के तेजगढ़ गांव में स्थित अपने ननिहाल पहुंचे। उनका बचपन यहीं बीता है। यहां पहुंचकर उन्होंने अपनी मौसी तुलसा बाई खटीक के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। वर्षों बाद भतीजे से मिलकर खुश हुईं बुजुर्ग मौसी ने अपने हाथों से वीरेंद्र खटीक के लिए नाश्ता तैयार किया।

केंद्रीय मंत्री की मौसी का टूटा हुआ घर

तुलसा बाई अपने पुराने टूटे मकान में अकेली रहती हैं। उन्होंने अपने भतीजे को बताया कि उन्हें शासन की किसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि आवास व शौचालय के लिए कई बार आवेदन दिया लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। अपनी मौसी को आश्वस्त करते हुए वीरेंद्र खटीक ने कहा कि उनकी सभी समस्याएं प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी निपटा देंगे।

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मौसी की नहीं है कोई संतान

तेजगढ़ यात्रा के दौरान वीरेंद्र बचपन के मित्रों से भी मिले। प्रदेश सरकार के संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी उनके साथ रहे।

मौसी ने पठोंनी में कुछ सामग्री रखकर अपने भतीजे को विदा किया। वीरेंद्र खटीक तुलसा बाई की सगी बड़ी बहन के पुत्र हैं। तुलसा बाई की संतान नहीं है। पति की पूर्व में मौत हो चुकी है और वह सब्जी बेचकर करके अपना गुजारा करती हैं।

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मौसी के गांव में खटिक के बचपन की यादें

मंत्री ने मौसी से अपने बचपन के साथियों के बारे में पूछा और कहा कि अब गांव काफी विकसित हो गया है। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष पूर्व यहां की सड़कें छोटी थीं। बचपन की यादें ताजा करते हुए उन्होंने कहा कि वह गर्मियों के दो माह तेजगढ़ में ही रहते थे और गुरैया नदी में घंटों नहाने के बाद भीगे कपड़े पहनकर पके आम तोड़कर खाते थे।

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