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टेलीकॉम इंजीनियर के डिजिटल अरेस्ट मामले में पहली गिरफ्तारी, साइबर ठग को एक हजार रुपये में सिम बेचता आरोपी

भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने उत्तर प्रदेश के महोबा से सिम बेचने वाले एजेंट धीरेंद्र विश्वकर्मा को गिरफ्तार किया। आरोपी ने डिजिटल अरेस्ट के लिए सिम बेचने का काम किया था। वह मुख्य आरोपी दुर्गेश सिंह को सिम उपलब्ध कराता था, जो साइबर ठगी करता था।

By Anurag Mishra

Publish Date: Thu, 28 Nov 2024 10:08:54 PM (IST)

Updated Date: Thu, 28 Nov 2024 10:09:38 PM (IST)

मध्य प्रदेश में डिजिटल एरेस्ट मामले में गिरफ्तारी। (फाइल फोटो)

HighLights

  1. महोबा से सिम बेचने वाले एजेंट की गिरफ्तारी।
  2. आरोपी दुर्गेश पुलिस पहुंचने से पहले फरार हुआ।
  3. डिजिटल अरेस्ट कर 3 लाख ठगी का मामला।

नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। राजधानी के बजरिया इलाके में टेलीकॉम इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर साढ़े तीन लाख रुपये की साइबर ठगी का प्रयास करने के मामले में भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने एक आरोपी को उत्तर प्रदेश के महोबा से गिरफ्तार किया है।

डिजिटल अरेस्ट मामले में गिरफ्तारी का यह प्रदेश का पहला मामला बताया जा रहा है। आरोपी एयरटेल कंपनी के एजेंट के तौर पर सिम बेचने का काम करता था। वह डिजिटल अरेस्ट करने वाले मुख्य आरोपी को भी सिम उपलब्ध करवाता था। वह पिछले करीब आठ महीने से मुख्य आरोपी के संपर्क में था। अब तक उसे 150 से अधिक सिमें प्रति सिम एक हजार रुपये के हिसाब से बेच चुका था।

इन्हीं सिमों का उपयोग कर मुख्य आरोपी लोगों को फोन कर गंभीर मामलों में फंसाने का डर दिखाकर ठगी करता था। हालांकि पुलिस की कार्रवाई के बाद कानपुर के देहली घाटमपुर निवासी मुख्य आरोपी फरार हो गया। गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ कर उसे जेल भेज दिया है।

एडिशनल डीसीपी (क्राइम) शैलेंद्र चौहान ने बताया कि टेलीकॉम इंजीनियर प्रमोद कुमार को डिजिटल अरेस्ट करने के लिए महोबा के भाटीपुर के नंबर का उपयोग हुआ था। यह विकास साहू के दस्तावेजों पर जारी हुआ था। पुलिस ने विकास से पूछताछ की तो सामने आया कि कुछ दिनों पहले एयरटेल कंपनी के एजेंट धीरेंद्र विश्वकर्मा (29) ने उसे सिम बेची थी।

मुख्य आरोपी पुलिस के पहुंचने से पहले फरार

इस दौरान धीरेंद्र ने दो बार विकास का फिंगरप्रिंट लिया था। सख्ती से पूछताछ में धीरेंद्र ने ग्राहक विकास के नाम पर दूसरी सिम जारी कर साइबर ठग दुर्गेश सिंह (21) निवासी देहली घाटमपुर (कानपुर) को बेचना स्वीकार कर लिया। पुलिस मुख्य आरोपी दुर्गेश के पते पर पहुंची तो लेकिन वह फरार हो चुका था।

बसों से भेजता था सिम का आर्डर

जांच में सामने आया कि आरोपी धीरेंद्र कुमार विश्वकर्मा करीब दो साल से एयरेटल कंपनी के एजेंट के रूप में सिम बेच रहा था। वह महोबा के गांवों में शिविर लगाकर सिमें बेचता था। करीब आठ महीने पहले उसकी पहचान दुर्गेश से हुई थी।

दुर्गेश ने बताया था कि वह ऑनलाइन गेम खेलता है, जिसके लिए उसे ज्यादा सिमों की आवश्यकता होती है। शुरुआत में धीरेंद्र उसे 500 रुपये में एक सिम बेचता था, लेकिन बाद में उसने एक सिम का दाम एक हजार रुपये तय किया। वह 15-20 दिनों में कई सिमों का पार्सल महोबा से देहली घाटमपुर रोडवेज बसों से भेजता था, जिसके बाद यूपीआइ से पेमेंट लेता था।

दो सिमें करता था जारी आरोपी

धीरेंद्र 100 रुपये की सिमों को लोगों को फ्री में देने का लालच देता था। ग्राहकों का आधार कार्ड स्कैन करता था और लाइव फोटो खींचकर नाम से सिम जारी करता था, लेकिन उन्हें आधार लिंक नहीं होने का झूठ बोल देता था।

कुछ देर बाद वह ग्राहकों के फिंगरप्रिंट स्कैन कर उसके नाम से एक सिम और जारी कर देता था। इस दौरान वह जारी तो दो सिम करता था, लेकिन एक सिम अपने पास ही रख लेता था, जिसे बाद में साइबर ठगों को बेच देता था।

उत्तर प्रदेश के महोबा से आरोपी गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के महोबा से सिम बेचने वाले एजेंट को गिरफ्तार किया है। वह डिजिटल अरेस्ट करने वाले मुख्य आरोपी को सिम बेचने का काम करता था। हरिनारायणाचारी मिश्र, पुलिस आयुक्त, भोपाल

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