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डॉ. गौर की नतबहू बोलीं: मैं अपने नाना ससुर पर किताब लिखना चाहती हूं, विवि को मेल किए, जवाब नहीं मिला, 1969 में सागर आए थे – Sagar News

मैं एक लेखिका हूं मुझे बहुत अच्छा लगेगा यदि मैं डॉ. हरीसिंह गौर पर एक किताब लिखूं उनका पूरा इतिहास शुरुआत से अंत तक। यदि विश्वविद्यालय हमें कभी बुलाता तो हमें बहुत प्रसन्नता होती। मैं वहां लोगों से मिल सकती थी, विश्वविद्यालय में क्या हो रहा है इसकी त

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पर विश्वविद्यालय से हमारा कोई संपर्क नहीं है। उन्हाेंने कभी हमसे संपर्क भी नहीं किया। यह बात डॉ. हरीसिंह गौर की तीसरी बेटी स्वरूप कुमारी ब्रूम की पुत्र वधु यानी डॉ. गौर की नत बहू लीला गौर ब्रूम ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कही। वे मशहूर लेखक हैं। पुणे शहर के नजदीक ही गौर ब्रूम फैमिली जंबे इनवायरमेंट फार्म चलाती है। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश…

Q. डॉ. गौर और उनके द्वारा स्थापित विवि के बारे में आप जानती हैं? डॉ. गौर मेरे पति के नानाजी हैं। मैं और मेरे पति शादी के कई साल बाद सागर विश्वविद्यालय आए थे। हमें लाइब्रेरी देखनी थी। मैं डॉ. गौर पर एक किताब लिखना चाहती थी क्योंकि उनका जो बौद्धिक इतिहास रहा है, वह बहुत ही जबरदस्त है। उनका इतिहास बहुत ही विशाल है। डॉ. गौर ने ऑक्सफोर्ड-कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है। उसके बाद इंग्लैंड जाकर कानून का अध्ययन किया फिर वापस भारत आए। उनकी 5 संतानें थीं।

Q. क्या आपको विश्वविद्यालय प्रशासन ने बुलाया था या आप स्वयं आईं थीं? नहीं हमें किसी ने नहीं बुलाया था। मैं और मेरे पति हम दोनों अपनी रुचि के आधार पर विश्वविद्यालय देखने आए थे। मेरे पति को अपने नानाजी पर बहुत गर्व था और मैं भी विश्वविद्यालय के बारे में और जानने के लिए इच्छुक थी। इस वजह से हमने तय किया कि हम कुछ दिन सागर में बिताएंगे। दिसंबर 1969 में यदि आप गैस्ट बुक में देखेंगे तो पाएंगे कि हमने उसमें कुछ लिखा है। वहां के लोगों के पास उस समय के हमारे फोटोग्राफ भी मिल सकते हैं।

Q. क्या कभी आपने अपनी तरफ से विवि प्रशासन से संपर्क करने की काेशिश की? चूंकि मैं एक लेखक हूं और मुझे मेरे नाना ससुर डॉ. गौर और उनके द्वारा स्थापित किए गए विश्वविद्यालय पर पुस्तक लिखनी थी। बहुत पहले की बात है जब मैंने पूर्व में एक ईमेल भी कुलपति काे भेजा था, परंतु उनका कोई उत्तर नहीं मिला। मुझे नहीं पता उन्हें मेरा ई-मेल मिला या नहीं। मुझे नहीं पता क्या हुआ था पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो फिर मैंने भी कोई प्रयास नहीं किया संपर्क बनाने का। विश्वविद्यालय वालों ने भी हमसे कभी संपर्क नहीं किया।

Q. आप गौर नाम से जुड़े हैं, यदि विवि या सागर के लोग बुलाएंगे तो आपका परिवार यहां आएगा? मेरे पति का निधन 2022 में हो चुका है। उनकी तीन बहने थीं, जिनमें से एक की मृत्यु हो चुकी है। एक अमेरिका में है और दूसरी ज्यादा उम्र के कारण अब यात्रा करना पसंद नहीं करतीं। मैं और मेरे बच्चे हैं। यदि हमें बुलाया जाता है तो प्रसन्नता होगी। मेरे ससुर ब्रिटिश थे। वे हाईकोर्ट में जज रहे। वे बहुत ही निष्पक्ष, ईमानदार थे। हमने तय किया था कि हम गौर को भी उपनाम रखेंगे, क्योंकि यह हमारे लिए गर्व की बात है। इसीलिए हम गौर ब्रूम बन गए।

Q. क्या आपकाे पता है 26 नवंबर काे गाैर की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है? अरे, यह तो बहुत ही जबरदस्त है मुझे कुछ भी नहीं मालूम इसके बारे में। मुझे कुछ भी नहीं पता। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है मेरे लिए कि मुझे यह सब कुछ नहीं पता। मुझे बस यह मालूम है कि सागर में बाजार में उनकी एक प्रतिमा है, आप ही बताइए, और क्या बदलाव हुआ है? विश्वविद्यालय का क्या एक्सटेंशन हुआ? अब कौन-कौन से विषय पढ़ाए जाते हैं। आपसे विश्वविद्यालय के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई है।

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