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तस्कर बाबू सिंधी-इसके 2 साथियों को 15-15 साल की सजा: नीमच में गेहूं में मिलाकर अफीम-डोडाचूरा बेचता था, रोज 40 लाख कमाता था – Neemuch News

नीमच न्यायालय ने शनिवार को मध्यप्रदेश और राजस्थान के कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी केस में फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट जितेंद्रकुमार बाजोलिया ने बाबू सिंधी और उसके दो साथियों को दोषी करार दिया है।

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कोर्ट ने जयकुमार उर्फ बाबू सिंधी, राजेंद्र शर्मा और अनुराग ऐरन को 15-15 साल की सजा सुनाई। साथ ही प्रत्येक पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माना न चुकाने पर एक साल की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। इस मामले में पांच अन्य आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया।

2021 में की गई थी छापेमारी

केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने 27 अगस्त 2021 को नीमच के औद्योगिक क्षेत्र में छापेमारी की थी। इस दौरान बाबू सिंधी के गोदाम से 25 हजार किलो अफीम और डोडाचूरा जब्त किया गया था। मौके पर ही तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

बाबू गल्ला व्यापारी थी। वह गेहूं में मिलाकर अफीम-डोडाचूरा बेचता था।

आरोपी रोज 30 से 40 लाख की कमाई कर रहा था

सीबीएन नारकोटिक्स ने एक साल तक जांच की और 1650 पेज का चालान कोर्ट में पेश किया। जांच में पाया गया कि बाबू सिंधी पोस्तादाना की आड़ में बड़े पैमाने पर तस्करी कर रहा था। वह प्रतिदिन 30 से 40 लाख रुपए की अवैध कमाई कर रहा था। इस राशि को प्रॉपर्टी में निवेश किया जाता था। बाबू सिंधी और उसकी पत्नी की करोड़ों की संपत्ति पर सफेमा के तहत कार्रवाई भी की गई थी।

चार साल से चल रहे इस मामले में न्यायालय ने सभी साक्ष्यों की सूक्ष्म जांच की। सबूतों के आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी पाया गया।

केस का मुख्य आरोपी बाबू सिंधी।

बर्खास्त आरक्षक सहित 5 हुए दोषमुक्त

सीबीएन ने इस केस में 10 आरोपी बनाए थे। इस प्रकरण में साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त अशोक डांगी, सौरभ कोचटटा, प्रकाश उर्फ गोलू मोटवारी, पंकज कुमावत, कैलाश गादिया को दोषमुक्त कर दिया है।

पंकज कुमावत पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर पदस्थ था, जिसे पुलिस विभाग ने तस्कर के साथ संलिप्तता पाए जाने और सहअभियुक्त बनने के बाद बर्खास्त कर दिया था। इस मामले में दो आरोपी विनोद गुर्जर और शिवचरण गुर्जर निवासी झालरी थाना नीमच सिटी अभी तक फरार हैं। इनके बारे में कोई निराकरण नहीं हुआ।

साढ़े तीन वर्ष से कुख्यात तस्कर जेल में

तस्कर बाबू सिंधी साढे तीन वर्ष से जेल में है। पिछले साल जनवरी माह में वह उसके बेटे का फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र तैयार कर हाईकोर्ट खंडपीठ इंदौर से पैरोल ली थी, पैरोल के दौरान नीमच शहर के समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर पर शार्प शूटरों के साथ मिलकर फायरिंग की घटना को अंजाम दिया था। अब दूसरी बार पैराले मिलने की संभावनाएं भी खत्म हो गई है। पूरी सजा तक कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी को जेल में ही रहने का अनुमान है।

कोर्ट ने माना, बाबू सिंधी ही मुख्य सरगना

प्रकरण में अहम बात यह सामने आई कि कोर्ट ने कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी को ही मुख्य सरगना माना। बाबू सिंधी की तरफ से बचाव पक्ष में दिया गया था कि गोदाम कैलाश गादिया का है, उसने उसे किराए पर दे रखा था, लेकिन सीबीएन ने किराएदारी का एग्रीमेंट फर्जी साबित कर दिया। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने कैलाश गादिया को दोषमुक्त किया।

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