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दिल और फेफड़ों के बीच था ढाई किलो का ट्यूमर, सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाई युवती की जान

इंदौर के सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में 22 वर्षीय युवती के फेफड़े और दिल के पास से 2.50 किलो का ट्यूमर निकाला गया है। युवती फाइब्रोमैटोसिस नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी। आठ माह से वह परेशान थी। इस सर्जरी का खर्च आयुष्मान योजना के अंतर्गत निश्शुल्क हुआ।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sun, 02 Feb 2025 08:28:58 AM (IST)

Updated Date: Sun, 02 Feb 2025 09:23:53 AM (IST)

युवती के साथ डॉक्टर और उनकी टीम जिन्होंने सफल ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई।

HighLights

  1. दुर्लभ बीमारी से पीड़ित युवती के फेफड़े और दिल के पास से निकाला ट्यूमर।
  2. अहमदाबाद से कृत्रिम इम्प्लांट बुलवाकर किया गया छाती का पुनर्निर्माण।
  3. आयुष्मान योजना में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में फ्री हुई यह जटिल सर्जरी।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर शहर के शासकीय अस्पतालों में अब जटिल सर्जरी होने लगी है, इससे लोगों को लाभ मिलने लगा है। सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में फाइब्रोमैटोसिस बीमारी से पीड़ित 22 वर्षीय युवती के फेफड़े और दिल के पास से डॉक्टरों ने 2.50 किलो का ट्यूमर निकाला।

अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला ने दावा किया कि प्रदेश के किसी भी सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय में यह इस तरह की पहली सर्जरी है। विशेषज्ञों ने बताया कि छाती के दुर्लभ ट्यूमर की जटिल सर्जरी की गई है। यह सर्जरी आजाद नगर निवासी युवती की हुई।

फेफड़ों और दिल के करीब था ट्यूमर

युवती फाइब्रोमैटोसिस नामक अत्यंत दुर्लभ बीमारी से ग्रसित थी। आठ माह से वह परेशान हो रही थी। इस तरह के ट्यूमर की सर्जरी करने में काफी समस्या आती है, क्योंकि यह बीमारी फेफड़ों और दिल के काफी नजदीक थी, इसलिए इन अंगों को बचाकर इसे सुरक्षित तरीके से निकालना चुनौतीपूर्ण था। साथ ही निकाले गए हिस्से का पुनर्निर्माण ऐसा किया जाना था कि भविष्य में भी वे अंग सुरक्षित रहें।

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अहमदाबाद से कृत्रिम इम्प्लांट बुलवाकर किया छाती का पुनर्निर्माण

डॉ. भावेश बंग ने बताया कि यह ट्यूमर छाती के सामने के हिस्से में होने से इसे निकालकर छाती का पुनर्निर्माण जटिल था। सही तरीके से छाती का पुनर्निर्माण नहीं होने की स्थिति में स्तन के छाती के अंदर धंसने की आशंका थी।

मरीज की पसलियों को बीमारी ने जकड़ रखा था, जिनके निकलने के बाद फेफड़ों के बाहर आने की आशंका थी। छाती का ढांचा स्थिर नहीं होकर सांस लेने की वजह से लगातार चलता रहता है। इसलिए यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक था कि सर्जरी के बाद मरीज को सांस लेने में समस्या नहीं हो।

आयुष्मान योजना के तहत फ्री में हुई सर्जरी

छाती के पुनर्निर्माण में उपयोग आने वाले कृत्रिम इम्प्लांट शहर में उपलब्ध नहीं थे, जिसे अहमदाबाद से विशेषतौर पर बनवाकर बुलवाया गया। 25 जनवरी को युवती की सर्जरी हुई थी। इस तरह की सर्जरी का खर्च पांच से छह लाख रुपये आता है, लेकिन आयुष्मान योजना के अंतर्गत यह निश्शुल्क हुई।

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इस टीम ने दिया सर्जरी को अंजाम

यह सर्जरी अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला के नेतृत्व में सीटीवीएस सर्जन डॉ. अंकुर गोयल, कैंसर सर्जन डॉ. भावेश बंग, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. मुनीर अहमद खान की टीम ने किया। इसमें बृजपाल वास्कले, मोना कुरील, आकाश मेहरा, नर्स ऐश्वर्या अतरवेल, सोनम बनसे, प्रतिभा डण्डारे, हनी बघेल, रजनी सिसोदिया आदि का सहयोग रहा।

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