रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों ने बीते 50 वर्षों में हजारों की संख्या में सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजा है। जाे सैटेलाइट अपना जीवन पूरा कर चुके हैं, वो कबाड़ या मलबे के रूप में अब वहां तैर रहे हैं। इससे दूसरे सैटेलाइट्स को खतरा हो रहा है। यही नहीं, खत्म हो चुके सैटेलाइट अगर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो उनके हमारे ग्रह को नुकसान पहुंचाने की संभावना बनी रहती है। लकड़ी के सैटेलाइट इन मुश्किलों को सुलझा सकते हैं।
स्पेसडॉटकॉम के अनुसार, अंतरिक्ष में लकड़ी ना तो जल सकती है, ना ही सड़ सकती है। अच्छी बात है कि लकड़ी के सैटेलाइट अगर वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करते हैं, तो वह जलकर राख हो जाएंगे। यानी भविष्य में इनका इस्तेमाल होता है अंतरिक्ष में कचरा बढ़ने की संभावना खत्म हो जाएगी।
कितना बड़ा सैटेलाइट है LignoSat?
जानकारी के अनुसार, लिग्नोसैट का आकार एक कॉफी मग के बराबर है। इसे 2024 की गर्मियों तक लॉन्च किया जा सकता है। इसे बनाने में मैगनोलिया लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है।
ऐसे किया गया लकड़ी का चुनाव
स्पेस एजेंसियों ने जिस मैगनोलिया लकड़ी से सैटेलाइट को बनाया है, उस लकड़ी को पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में टेस्ट किया गया था। वैज्ञानिकों ने तीन तरह की लकड़ी टेस्ट की। सभी अंतरिक्ष में कामयाब रहीं यानी उनमें कोई टूट-फूट नहीं हुई। हालांकि वैज्ञानिकों ने मैगनोलिया लकड़ी को इस्तेमाल करने का फैसला किया क्योंकि सैटेलाइट बनाते समय इसके टूटने की संभावना बहुत कम है।
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2023-11-17 05:04:01
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