दुबई10 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
भारत और अफगानिस्तान ने बिजनेस, ट्रेस और स्पोर्ट्स के साथ मुद्दों पर चर्चा की।
दुबई में बुधवार को अफगान तालिबान और भारतीय अधिकारियों के बीच एक हाई लेवल मीटिंग हुई। इस मीटिंग में भारत की ओर से विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अफगानिस्तान की तरफ से तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान ने हिस्सा लिया।
इस बैठक का एजेंडा मानवीय और डेवलपमेंट सहायता, बिजनेस, ट्रेड, स्पोर्ट्स, कल्चरल रिलेशन, रीजनल सिक्योरिटी पर आधारित है। इस मीटिंग में ईरान के चाबहार बंदरगाह समेत अलग-अलग इलाकों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई।
अफगान मंत्री ने संकट के समय मदद करने के लिए भारत का आभार जताया। वहीं भारत की तरफ से कहा गया कि नई दिल्ली आने वाले वक्त में भी अफगान लोगों की डेवलपमेंट जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा-
विकास गतिविधियों की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए यह फैसला किया गया है कि भारत आने वाले वक्त में अफगानिस्तान की विकास परियोजनाओं में शामिल होने पर विचार करेगा।
दोनों देशों में स्पोर्ट्स रिलेशन मजबूत करने पर भी जोर भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अफगानिस्तान के साथ अपने ऐतिहासिक और कल्चरल संबंधों को बहुत ज्यादा महत्व देता है। दोनों देशों ने अपने स्पोर्ट्स रिलेशन को भी मजबूत करने पर सहमति जताई। खासकर क्रिकेट, जिसे दोनों देशों में काफी ज्यादा पसंद किया जाता है।
भारत का कहना है कि वो आने वाले वक्त में अफगानिस्तान के विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है।
भारत ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान एयरस्ट्राइक की आलोचना की
इस बैठक से दो दिन पहले ही भारत ने अफगानिस्तान में की गई पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक की निंदा की है। 24 दिसंबर को की गई इस एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के कई महिलाओं और बच्चों समेत 46 लोग मारे गए थे।
भारत ने पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा कि अपनी घरेलू नाकामियों का दोष दूसरों पर मढ़ना इस्लामाबाद की पुरानी आदत है। हम निर्दोष नागरिकों पर किसी भी हमले की साफ तौर से निंदा करते हैं। अफगान सरकार ने इस हमले को लेकर पाकिस्तान को वार्निंग भी दी थी।
जबकि पाकिस्तान का कहना था कि उसने यह एयरस्ट्राइक सीमा पार चल रहे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की है।
अभी तक तालिबान को किसी देश की डिप्लोमेटिक मान्यता नहीं
अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत को 3 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है, लेकिन अभी तक उन्हें किसी भी देश से डिप्लोमेटिक मान्यता नहीं मिली है। 2021 के बाद से भारत सरकार भी लगातार तालिबान से संपर्क बनाए हुए है, लेकिन अभी तक उसे डिप्लोमेटिक मान्यता नहीं दी है।
डिप्लोमेटिक मान्यता एक तरह से यह कूटनीतिक रिश्ते बनाने का पहला पड़ाव है। एक संप्रभु और स्वतंत्र देश जब किसी दूसरे संप्रभु या आजाद देश को मान्यता देता है तो उन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की शुरुआत होती है। मान्यता देना या न देना, राजनीतिक फैसला है। कूटनीतिक रिश्ते बनते हैं तो दोनों देश इंटरनेशनल कानून को मानने और उसका सम्मान करने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
——————————————–
यह खबर भी पढ़ें…
तालिबान का आदेश- महिलाओं को काम देना बंद करें NGO:आम लोगों से कहा- जहां से महिलाएं दिखें वहां खिड़कियां न बनाएं, मौजूदा को बंद करें
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार आने के बाद से महिलाओं पर लगातार कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। तालिबान ने रविवार को अफगानिस्तान में काम करने वाले सभी NGO को आदेश दिया की महिलाओं को रोजगार देना बंद करे, नहीं तो उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। यहां पढ़ें पूरी खबर…