डॉ. आंबेडकर नगर (महू).
सीमा पर सुरक्षा के साथ विकसित भारत की नींव रखने का बोझ
बाबा साहब का जन्म स्थान पुण्यभूमि से कम नहीं
रक्षामंत्री ने महू को पुण्यभूमि बताया, उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए करीब साढ़े पांच साल हो गए है। इस दौरान कई स्थानों पर गया, लेकिन सेना के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण महू में आना नहीं हुआ। यहां कैंटोंमेंट को स्थापित हुए 200 साल से ज्यादा हो चुके है। तब से यह आम्र्ड फोर्सेस का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है। साथ ही बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का जन्मस्थान होने के कारण महू किसी पुण्य भूमि से कम नहीं है। प्रवास के दूसरे दिन सोमवार को रक्षामंत्री सैन्य संस्थानों के निर्धारित कार्यक्रमों का हिस्सा बनेंगे।
अनुशासन और सफाई को मिली सराहना
सैन्य क्षेत्रों की सफाई व्यवस्थाओं और सैनिकों के अनुशासन की रक्षामंत्री ने खुले दिल से प्रशंसा की। उन्होंने कहा, जब भी सैन्य संस्थानों में जाता हूं तो वहां की सफाई खूब प्रभावित करती है। उपलब्ध संसाधनों में बेहतर काम कैसे करना चाहिए, यह इन लोगों से सीखना चाहिए। रक्षामंत्री ने गीता का जिक्र करते हुए कहा कि जिस प्रकार सैनिक हर चीज से ऊपर उठकर राष्ट्रसेवा को अपना कर्म-धर्म मानकर निरंत लगे हुए है, इसे ही गीता में निष्काम कर्मयोग कहा गया है। सैनिकों का अनुशासन किसी साधना से कम नहीं है। उनकी दिनचर्या ही एक युद्ध के समान होती है।
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