गुमशुदगी की रिपोर्ट से खुला मामला।
धार में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने पति-पत्नी को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोनों ने मिलकर एक व्यक्ति की हत्या कर शव को जलाकर पहचान छुपाने का प्रयास किया था। आरोपी मुन्ना (दगडू) पिता सुखराम गोलकर और उसकी पत्नी संगीता बाई को सजा
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उप संचालक अभियोजन टीसी बिल्लौ रे ने बताया कि मामला 2021 का है। मृतक मृत्युंजय उर्फ सोनू (38) के परिजनों ने पीथमपुर के सागौर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। जांच के दौरान तात्कालीन सब इंस्पेक्टर ने संदेश के आधार पर मुन्ना (दगडू) से पूछताछ की, जिसके बाद उसने पत्नी के साथ मिलकर सोनू की हत्या करने का अपराध स्वीकारा।
संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का लगाया आरोप आरोपी मुन्ना ने बताया कि मृत्युंजय उसकी पत्नी संगीता पर बुरी नजर रखता था और उसकी गैरमौजूदगी में उसे संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। इससे परेशान होकर, दगडू और संगीता ने मिलकर हत्या की योजना बनाई।
पहचान छिपाने के लिए चेहरा जलाया एसआई भदौरिया ने बताया कि 31 अक्टूबर 2021 को दोनों ने सोनू को शिवा बाबा मंदिर के दर्शन के बहाने हरदा के जंगल में बुलाया। वहां शराब पिलाकर, दगडू ने सोनू का गला दबाया और संगीता ने उसके पैर दबाए, जिससे उसकी मौत हो गई। हत्यारों ने पहचान छिपाने के लिए सोनू के कपड़े, जूते और मोबाइल निकालकर, पेट्रोल छिड़क कर उसके चेहरे को जला दिया।
21 साक्षियों के बयान दर्ज पुलिस ने दगडू के बयान के आधार पर, हरदा के जंगल से मृतक की जली हुई लाश और सेलटीया स्थित नदी के पास से उसके कपड़े व अन्य सामान बरामद किया। मामले में 21 साक्षियों के बयान दर्ज किए गए और वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। इसके बाद न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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