भोपाल में स्क्रैप सेंटर का कर्मचारी बिना गाड़ी लिए सर्टिफिकेट देने तैयार हो गया।
यदि आप अपनी पुरानी गाड़ी को स्क्रैप (कबाड़) में बेचते हैं तो सरकार की पॉलिसी के तहत नई गाड़ी खरीदने पर आपको रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट मिलती है। इसके लिए स्क्रैप सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी होता है। एमपी में इसका फायदा आम लोग नहीं बल्कि स्क्रैप
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दरअसल, एमपी में बिना गाड़ी स्क्रैप कराए स्क्रैप सर्टिफिकेट को बेचने का खेल खेला जा रहा है। इसमें कार शोरूम संचालक भी शामिल हैं। हाल ही में सीहोर के रहने वाले एक कारोबारी के साथ इसी तरह की गड़बड़ी की गई। कारोबारी ने इसकी आरटीओ को शिकायत की। इसके बाद आरटीओ ने कार शोरूम संचालक को नोटिस जारी किया है।
दैनिक भास्कर ने स्क्रैप सर्टिफिकेट की हो रही खरीदी-बिक्री की पड़ताल की। भास्कर रिपोर्टर ने राजधानी के एक स्क्रैप सेंटर में पुरानी गाड़ी को स्क्रैप कराए बिना स्क्रैप सर्टिफिकेट लेने की डील की। सेंटर का कर्मचारी 20 हजार रुपए में स्क्रैप सर्टिफिकेट देने को तैयार हो गया…पढ़िए रिपोर्ट
मेघालय की गाड़ी का स्क्रैप सर्टिफिकेट लगा दिया सीहोर जिले के भैरुंदा निवासी धर्मेंद्र खंडेलवाल ने अपनी बेटी की शादी में कार गिफ्ट करने का मन बनाया। धर्मेंद्र ने भोपाल के सुरजीत हुंडई शोरूम से 21 लाख में हुंडई क्रेटा कार खरीदी। 25 नवंबर को बेटी की शादी हो गई। बेटी ससुराल चली गई। इसके तीन महीने बाद भी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। कई दिन परेशान होने के बाद धर्मेंद्र ने आरटीओ दफ्तर से जानकारी निकलवाई। इसे देखकर वे चौंक गए।
धर्मेंद्र ने कार खरीदते वक्त रोड टैक्स के रूप में कार डीलर को 2 लाख 76 हजार रुपए दिए थे, लेकिन डीलर ने आरटीओ में रोड टैक्स के केवल 2 लाख 7 हजार रुपए ही जमा किए। धर्मेंद्र ने अधिकारियों से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि उनकी कार के रजिस्ट्रेशन के दस्तावेजों के साथ पुरानी कार का स्क्रैप सर्टिफिकेट लगा हुआ है। जिसकी वजह से रोड टैक्स में छूट का फायदा मिला है।
दस्तावेजों के मुताबिक, जिस कार का स्क्रैप सर्टिफिकेट लगाया गया था, उसका नंबर- एमएल05 एच9474 था। ये गाड़ी मेघालय में रजिस्टर्ड थी।

शोरूम का दावा- हमें तो ग्राहक ने सर्टिफिकेट दिया भास्कर ने इस मामले में सुरजीत हुंडई का पक्ष जानने के लिए जनरल मैनेजर मोहम्मद साजिद से बात की। उन्होंने कहा- हमें तो स्क्रैप सर्टिफिकेट कस्टमर ने ही लाकर दिया था। जब उनसे पूछा कि ग्राहक ने तो रोड टैक्स की पूरी राशि का ऑनलाइन भुगतान किया है, यदि वह सर्टिफिकेट देता तो पूरी राशि क्यों देता?
इस पर जीएम मोहम्मद साजिद बोले- मैं मीटिंग में व्यस्त हूं। इस मामले को हमारे स्टाफ के लोगों ने देखा है। मैं उनसे आपसे बात करने के लिए कहता हूं। भास्कर रिपोर्टर के पास सुरजीत हुंडई के स्टाफ की तरफ से कोई कॉल नहीं आया।

आरटीओ ने दिया शोरूम को नोटिस धर्मेंद्र खंडेलवाल ने इस गड़बड़ी की शिकायत भोपाल आरटीओ जीतेंद्र शर्मा को की थी। शर्मा के मुताबिक, शिकायत मिलने के बाद जब ग्राहक के दस्तावेज और शोरूम की तरफ से दिए गए दस्तावेजों की जांच की तो गड़बड़ी होना पाया गया है।
दस्तावेजों से पता चला कि डीलर ने स्क्रैप सर्टिफिकेट लगाकर टैक्स में छूट का फायदा लिया, जबकि ग्राहक ने टैक्स की पूरी राशि डीलर को दी थी। ग्राहक को स्क्रैप सर्टिफिकेट लगाने की जानकारी भी नहीं थी।

भास्कर की पड़ताल, कैसे बिक रहे हैं स्क्रैप सर्टिफिकेट पुरानी कार को स्क्रैप करने पर जारी होने वाले सर्टिफिकेट कार डीलर्स के पास कैसे पहुंच रहे हैं? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने आरवीएसएफ (रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैप फेसिलिटी) सेंटर पर जाकर इसकी पड़ताल की। राजधानी भोपाल में 3 स्क्रैप सेंटर हैं। भास्कर रिपोर्टर ने एक पुरानी कार को स्क्रैप कराने की तीनों सेंटर संचालकों से डील की।
उनसे पूछा कि बिना गाड़ी स्क्रैप कराए क्या स्क्रैप सर्टिफिकेट मिल सकता है? तीन में से दो स्क्रैप सेंटर के संचालकों ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब गाड़ी स्क्रैप के लिए आएगी, तब उसकी पूरी जांच के बाद ही स्क्रैप सर्टिफिकेट दिया जाएगा। मगर, अयोध्या बायपास पर स्थित काकड़ा आरवीएसएफ सेंटर का संचालक बिना गाड़ी को स्क्रैप कराए सर्टिफिकेट देने को तैयार हो गया। पढ़िए, पूरी बातचीत…
रिपोर्टर: इस नंबर पर बात हुई थी, आपसे ही बात हुई थी?
गार्ड: क्या काम है?
रिपोर्टर: एक कार स्क्रैप करानी है।
गार्ड: यह तो सेठजी का नंबर है। एक दूसरे कर्मचारी को अंदर ले जाने का इशारा करते हुए बोला- इन्हें रिजवान से मिलवा दो।
कर्मचारी के साथ अंदर पहुंचने पर एक व्यक्ति मिला। जिसने कहा कि आज रिजवान नहीं आए हैं।

स्क्रैप सेंटर में अंदर जाते हुए भास्कर रिपोर्टर।
सेंटर कर्मचारी: आपको कौन सी कार स्क्रैप करवानी है?
रिपोर्टर: फोर्ड फिगो है, 2010 का मॉडल ।
सेंटर कर्मचारी: कैसी कंडीशन है, क्या टायर मूव कर रहे हैं?
रिपोर्टर: पुरानी है, टायर पिचके हुए हैं, आपको उठाकर लानी है।
सेंटर कर्मचारी: पहले टायर फ्री करना पड़ेंगे, उसके बाद लाएंगे।
रिपोर्टर: हां, गाड़ी तो पुरानी है। ऐसी कंडीशन में स्क्रैप में कितने में बिकेगी?
सेंटर कर्मचारी: 20 हजार में। आपको अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक डिटेल देनी पड़ेगी।
रिपोर्टर: कार दूसरे के नाम पर है। भैया ने कार खरीदी थी, लेकिन ट्रांसफर नहीं कराई।
सेंटर कर्मचारी: उन्हीं के अकाउंट में पैसे जाएंगे। उनका अकाउंट नंबर, पैन कार्ड, आधार कार्ड चाहिए होगा।
रिपोर्टर: सर्टिफिकेट किसके नाम से बनेगा?
सेंटर कर्मचारी: सर्टिफिकेट भी उनके नाम से बनेगा, आप इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। दूसरा ऑप्शन ये है कि उनके नाम इश्यू होगा तो आप खरीद सकते हैं। आपको नई गाड़ी खरीदना है क्या?
रिपोर्टर: हां, खरीदना तो है।
सेंटर कर्मचारी: कौन सी लेनी है?
रिपोर्टर: 15 लाख तक की रेंज है।

रिपोर्टर ने मोबाइल पर पुरानी गाड़ी का फोटो दिखाया था। कर्मचारी फोटो देखते हुए।
सेंटर कर्मचारी:: गाड़ी तो आप कटवा लो, सर्टिफिकेट मैं आपको दिलवा दूंगा।
रिपोर्टर: गाड़ी तो रहने दो, सर्टिफिकेट आप बता दो कितने का मिल जाएगा?
सेंटर कर्मचारी: मुझे पूछना पड़ेगा। यह काम जो देखता है, वह है नहीं अभी। वह कल आ जाएगा, सब कर देगा।
रिपोर्टर: सर्टिफिकेट कितने में मिलेगा?
सेंटर कर्मचारी: 20 हजार में मिल जाएगा।
रिपोर्टर: कैसे दिलवाएंगे आप?
सेंटर कर्मचारी: हमारे पास कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें सर्टिफिकेट नहीं चाहिए होता। उनका सर्टिफिकेट आपको दिलवा देंगे। हमारे पास बहुत आते हैं खरीदने के लिए। कौन है, जिसे नहीं चाहिए।


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