देश को क्रिकेट, हॉकी, टेबल टेनिस जैसे खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देने वाले इंदौर शहर में इंटरनेशनल स्तर के खेलों के आयोजन के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। होलकर स्टेडियम में दर्शक कैपेसिटी क्षमता कम होने से आईपीएल व इंटरनेशनल जैसे मैच
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होलकर स्टेडियम की मौजूदा क्षमता 25 हजार दर्शकों की है, जबकि आईपीएल व इंटरनेशनल मैचों के लिए 50 से 75 हजार दर्शकों की क्षमता वाला स्टेडियम होना चाहिए। वहीं हॉकी, फुटबॉल जैसे खेलों के लिए स्टेडियम तो दूर, खेलने के लिए राष्ट्रीय स्तर के मैदान ही नहीं हैं।
10 साल से शहर में नए अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाने के लिए कवायद चल रही है, लेकिन यह कागजों तक ही सीमित रह जाती है, जिसका खामियाजा शहर के खिलाड़ियों व शहरवासियों को उठाना पड़ रहा है।हॉकी टर्फ के लिए काम शुरू हुए तीन साल हो गए, लेकिन अब तक सिर्फ बाउंड्रीवॉल ही बन सकी है। आ
ईडीए ने हॉकी-फुटबॉल मैदान की तैयारी की तो पर्याप्त जमीन नहीं होने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। नेहरू स्टेडियम का प्रोजेक्ट बनाने के लिए निगम व सरकार के पास पैसा नहीं है, पीपीपी मॉडल पर कोई निवेशक नहीं मिल रहा है।
- 25-28 हजार दर्शक कैपेसिटी है होलकर स्टेडियम की
- 50-75 हजार दर्शक क्षमता का स्टेडियम चाहिए आईपीएल व इंटरनेशनल मैच के लिए
- जमीन की कीमत व लैंड यूज में अटका है नया स्टेडियम, अब सरकार बनाएगी
- 10 साल से नए स्टेडियम के लिए जमीन तलाश रहा बीसीसीआई
- 500 करोड़ से नेहरू स्टेडियम को नया रूप देने का प्लान तैयार, लेकिन राशि का इंतजार
नेहरू स्टेडियम बदहाल, पैवेलियन टूट रहा, खेलों को छोड़ चुनाव, अन्य आयोजन हो रहे 1963-64 में बना नेहरू स्टेडियम सबसे पुराना स्टेडियम है। नगर निगम इसका संचालन कर रहा है। यहां क्रिकेट व 15 से ज्यादा खेल संगठनों का मुख्यालय भी है। प्रतिनिधि बताते हैं, 2001 के बाद से इसकी उपेक्षा की जा रही है। बिल्डिंग का भी रखरखाव नहीं हो रहा है।
5-6 साल से स्टेडियम व जिमखाना को मिलाकर नया स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना तैयार कर रहे हंै। इंदौर गौरव दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री भी यहां स्टेडियम बनाने की घोषणा कर चुके हैं। पहले 300 व अब 500 करोड़ की योजना बनाई।
पैसों के अभाव में न तो नया स्टेडियम बन रहा है, बल्कि जो है वह और जर्जर होता जा रहा। प्रशासन यहां पर चुनाव कार्य करवाता है। खेल के अलावा यहां सभी तरह के बड़े आयोजन हो रहे हैं। मैदान खुद गया है। पैवेलियन भवन भी जगह-जगह से जर्जर हो रहा है। इनडोर गेम की सुविधाएं भी खराब हो गई हैं। अंतरराष्ट्रीय मैच तो दूर अब लोकल मैच के लायक भी स्टेडियम नहीं बचा है।
रीडेवलपमेंट का सिर्फ प्लान बनकर ही रह गया नेहरू स्टेडियम रीडेवलपमेंट के लिए स्मार्ट सिटी के तहत योजना तैयार की थी। यहां पर खेल कॉम्प्लेक्स के साथ कमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी प्रस्तावित किया गया, जिससे लागत निकल जाए। मामला 2 साल के बाद भी ठंडे बस्ते में हैं।
बिजलपुर में 3 साल में हॉकी टर्फ व कॉम्प्लेक्स की सिर्फ बाउंड्रीवॉल बनी
2020 में खेल विभाग ने बिजलपुर में खेल कॉम्प्लेक्स व हॉकी टर्फ बनाने का काम शुरू किया। तीन साल में सिर्फ वाउंड्रीवॉल व अधूरा रनिंग ट्रैक बन सका है। हॉकी टर्फ का काम तो अभी शुरू ही नहीं हुआ है, जबकि इसके बनने से हॉकी के लिए अच्छी सुविधा मिल सकेगी।
पीपल्याहाना में आईडीए का कॉम्प्लेक्स भी अटका पीपल्याहाना रिंग रोड पर आईडीए के पास खेल कॉम्प्लेक्स की जमीन है। इसमें स्वीमिंग पूल बना दिया गया। पास ही फुटबॉल व हॉकी के अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैदान बनाने की योजना थी। स्वीमिंग पूल निर्माण के समय जगह का ध्यान नहीं रखा। अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मैदान के लिए जगह नहीं बची तो प्रैक्टिस ग्राउंड तैयार हो रहे हैं।
प्रदेश संगठन व बीसीसीआई 10 साल से तलाश रहा जमीन, लेकिन मामला कागजों में ही अटका हुआ है 2003 में होलकर स्टेडियम बनाया। 2006 में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच हुआ। लगातार मैच हुए तो दर्शकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नए स्टेडियम की संभावना देखना शुरू किया। एमपीसीए ने बीसीसीआई के साथ सरकार से जमीन मांगी, लेकिन विचार नहीं हुआ है।
सुपर कॉरिडोर पर आईडीए ने स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स उपयोग की जमीन तय की है। एमपीसीए ने इसे रियायती दरों पर उपलब्ध करवाने के लिए प्रयास किया, आईडीए ने इसकी कीमत 200 करोड़ तय करके मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। शहर के आसपास 20 से 30 एकड़ जमीन खेल उपयोग की उपलब्ध ही नहीं है। मामला कागजों में अटका हुआ है।
समाधान- ओम सोनी, खेल विशेषज्ञ
शहर की आबादी को ध्यान में रख स्टेडियम की योजना बनाएं खेलों के मामले में सरकार को इंदौर पर ध्यान देने की जरूरत हैं। वर्तमान में 20-25 साल पुरानी सुविधाएं हैं। वह भी पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए इन्हें नए सिरे से बनाएं। आबादी तेजी से बढ़ रही है। 2 लाख आबादी पर एक स्टेडियम, कॉम्प्लेक्स जरूरी होता है। इंदौर में यह 8 से 10 लाख पर है।
इस कमी को दूर करने के लिए व्यावहारिक योजनाएं बनाएं। नेहरू स्टेडियम को स्टेडियम ही रहने दें। महंगा खेल कॉम्प्लेक्स नहीं। क्रिकेट के साथ हॉकी, फुटबॉल के भी मैदान जरूरी हैं। खेल अकादमियों को विकसित करने पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।
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