मध्य प्रदेश पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना बतौर डीजीपी सोमवार को मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने साइबर अपराधों पर अंकुश लगाना, डिसिप्लिन तथा रुल ऑफ लॉ का अधिक कड़ाई से पालन कराने को अपनी पहली प्राथमिकता बताया।
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इसी के साथ पीपुल्स फ्रेंडली पुलिसिंग भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगी। नशे के सौदागरों के खिलाफ अभियान चलाकर पहले से अधिक सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
डीजीपी ने बताया कि 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियां बड़ी चुनौती होगी। मैदानी पुलिस को अधिक मजबूती देने के लिए आर्टी फिशियल इंटेलीजेंस तैयार की जाएगी। प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों का नेटवर्क का विस्तार करने पर उनका फोकस है।
लोग अपराधों से कम एक्सीडेंट से ज्यादा जान गवा रहे हैं, यह बड़ी चिंता का विषय है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। ब्लैक और डार्क स्पॉट चिन्हित कर इंजीनियरिंग की खामियों को तलाशेंगे। नए सिरे से ऐसे स्पॉट्स पर काम करेंगे।
1988 बैच के आईपीएस हैं मकवाना
1988 बैच के आईपीएस ऑफिसर कैलाश मकवाना इससे पहले मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन रहे हैं। अब वे एमपी के 32 वे डीजीपी बने हैं। मकवाना दिसंबर 2025 में रिटायर होंगे। बता दें कि पूर्व डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर 2024 को रिटायर हुए थे। डीजीपी का साढ़े तीन साल के अंदर 7 बार तबादला हुआ था। कमलनाथ सरकार के दौरान ही वे तीन बार इधर से उधर किए गए थे।
मकवाना की गिनती तेज तर्रार अफसरों में
शिवराज सरकार के कार्यकाल में मकवाना लोकायुक्त के डीजी थे। हालांकि वे छह महीने ही इस पद पर रहे। दरअसल, मकवाना ने लोकायुक्त में डीजी बनते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी ला दी थी। उन्होंने ठंडे बस्ते में पड़ी कई लंबित फाइल खोली और जांच शुरू की।
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