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नजर नहीं दिल मिले, शादी के बीच अनामिका-नीलेश का एक साथ पीएससी में भी चयन | A unique marriage: Blind bride and groom got married, both got selected in MPPSC

इंदौर के पास बड़वाह के महेश्वर रोड स्थित शादी हाल में हुआ एक विवाह इन्हीं सब असाधारण ‘क्या-क्यों-कैसे’ की वजह से चर्चा में है। अनामिका वर्मा की आंखों की ज्योति किसी बीमारी की वजह से चली गई, जबकि नीलेश राजपूत जन्म से अंतरमन से ही दुनिया को देखते रहे। अनामिका संगीत की शिक्षिका हैं। नीलेश भी संगीत से जुड़े हैं। संगीत ने दोनों को मिलाया। फिर सुर मिले। साथ चलने का इरादा बना। परिजन की सहमति और सहयोग से इन दोनों ने समारोहपूर्वक एक-दूसरे का हाथ थाम लिया।

धूमधाम से निभाई गई सभी रस्में

प्री-वैडिंग से लेकर विवाह तक की वे तमाम रस्में पूरी धूमधाम से की गईं जो सामान्य दृष्टि के लोग करते हैं। इन्हीं रस्मों के दौरान यह खुशखबर मिली कि दोनों का एमपी-पीएससी के लिए चयन हो चुका है। दिव्यांगता के बावजूद हासिल की गई यह उपलब्धि दोनों की ‘नजरों ‘ में ‘सामान्य’ है क्योंकि वे किसी भी रूप में खुद को सामान्य से अलग नहीं महसूस करते। यह नजरिया ही अन्य लोगों के लिए उनका संदेश है।

सुंदर अनामिका के लिए सामान्य दृष्टि के युवाओं के भी रिश्ते आए थे। फिर यह निर्णय क्यों?

पत्रिका-न्यूज टुडे के सवाल पर अनामिका कहती हैं- ‘वे सिर्फ मेरी बाहरी सुंदरता देखकर मुझे पसंद कर रहे थे, लेकिन दृष्टि खोकर मैंने जाना कि असल सुंदरता अंदर की होती है।’

तो नीलेश की सुंदरता को कैसे जाना?

‘सुरों से। मैंने उन्हें और उन्होंने मुझे। वे मेरे संगीत के सखा हैं और बेशक कभी-कभी गुरू भी।’

उनमें ऐसा क्या पाया?

‘वही…सधे हुए सुरों सी सच्चाई, वैसी ही शांति, वैसा ही सुकून।’

भविष्य को लेकर कोई भय तो कभी मन में नहीं जागता?

मखमली आवाज में अनामिका-नीलेश एक दूसरे की तरफ इशारा करते हुए गुनगुनाते हैं- ‘तू है तो दिल धड़कता है, तू है तो सांस आती है…तू ना तो घर घर नहीं लगता, तू है तो डर नहीं लगता…। ‘ बेशक ऐसे सुरों से दुनिया को देखने की एक नई दृष्टि मिलती है।

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