राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में स्थित श्री रघुनाथजी के मंदिर में शनिवार को गोवर्धन पड़वा पर अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया। शुक्रवार को संध्या आरती के बाद मंदिर में अन्नकूट के दर्शन खोले गए। जिसके बाद रात 11 बजे तक श्रद्धालुओं ने अन्नकूट दर्शन किए।
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मंदिर के मुखिया पंडित विनोद कुमार मेहता ने बताया कि इस मंदिर में लगातार 300 वर्षों से भी अन्नकूट का आयोजन हो रहा है। यहां रियासत काल से ही गोवर्धन पड़वा पर नगर का पहला अन्नकूट रघुनाथ जी मंदिर में ही होता आया है। इसके बाद अन्य सभी मंदिरों में अन्नकूट उत्सव प्रारंभ हो जाता है।
ऐसा बताते है कि पूर्व नरसिंहगढ़ रियासत में भगवान रघुनाथ जी को ही शासक माना गया था। इसलिए पहला अन्नकूट भी उन्हीं के दरबार में होता था। पंडित मेहता के कहना है कि भारतीय समाज में अन्नकूट की परंपरा द्वापर काल से चली आ रही है। भगवान कृष्ण ने इंद्र का अहंकार चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाया था। इसके बाद से अहंकार पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में यह पर्व मनाया जाने लगा। दूसरे अर्थों में अन्नकूट महोत्सव सभी को भोजन उपलब्ध करवाने की मंगल कामना का भी प्रतीक है।
गोवर्धनजी और विष्णु लक्ष्मी जी की सुंदर रंगोली रही आकर्षण का केंद्र
राजगढ़ के वार्ड नंबर 15 के इंग्ले कॉलोनी में रहने वाली आर्किटेक्ट तन्वी नामदेव ने अपने घर के सामने शनिवार की रात को भगवान गोवर्धनजी और भगवान विष्णु लक्ष्मीजी की रंग बिरंगे, रंगों से रंगोली बनाई जो आकर्षण का केंद्र रही।
गोवर्धनजी और विष्णु लक्ष्मी जी रंगोली बनाई।
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